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बागेश्वर में सरयू तट पर रही मकर संक्रांति की धूम, बटुकों का हुआ उपनयन संस्कार - Bageshwar Latest News

मकर संक्रांति (Makar Sankranti festival 2022) पर जनेऊ संस्कार कराने का रिवाज है. इसे देखते हुए आज बागेश्वर में सरयू और गोमती के संगम पर जनेऊ संस्कार के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचे. वहीं कोरोना की वजह से उत्तरायणी मेला नहीं हो पाया.

Upanayana Sanskar  in Bageshwar
उपनयन संस्कार
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Published : Jan 14, 2022, 4:14 PM IST

Updated : Jan 14, 2022, 6:43 PM IST

बागेश्वर: जिले में मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti festival 2022) धूमधाम के साथ मनाया गया. लोगों ने सुबह गंगा स्नान कर बागनाथ समेत विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की और खिचड़ी का भोग लगाया. इसके अलावा सूरजकुंड, सैंज, अग्निकुंड में सुबह से ही लोग अपने बच्चों के मुंडन तथा जनेऊ संस्कार करने के लिए पहुंचे. यह सिलसिला दोपहर तक चलता रहा. जिले के अलावा दूसरे जिलों अल्मोड़ा, चमोली, पिथौरागढ़, हल्द्वानी व अन्य जनपदों से भी अपने बच्चों के उपनयन संस्कार के लिए यहां पहुंचे.

गौर हो कि इस बार कोरोना के चलते उत्तरायणी मेला नहीं हो पाया, लेकिन गंगा स्नान व धार्मिक कार्यक्रम को लेकर लोगों में उत्साह देखा गया. आज सुबह चार बजे से लोग गंगा स्नान कर बागनाथ मंदिर, काल भैरवनाथ, बाणेश्वर, बैणीमाधव मंदिर में पहुंचने लगे. यहां पूजा-अर्चना के साथ उन्होंने परिवार, देश तथा समाज की सुख-समृद्धि की कामना की. इसके अलावा सूरजकुंड, अग्निकुंड तथा सरयू तट पर जनेऊ संस्कार, मुंडन तथा चूणाकर्म कराने वालों की भीड़ रही.

बागेश्वर में सरयू तट पर रही मकर संक्रांति की धूम.

पढ़ें-मकर संक्रांति गंगा स्नान पर कोरोना की मार, गंगा घाट सील, लौटाए जा रहे श्रद्धालु

पुरोहितों ने पूजा-अर्चना के साथ मंगल कार्य पूरे किए. बागेश्वर जिले के अलावा अन्य जिलों से भी लोग वाहन बुक कराकर यहां पहुंचे और बच्चों के संस्कार संपन्न कराए. पंडित केदार मिश्रा ने बताया कि मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि होने के इसे कुमाऊं की काशी कहा जाता है. यहां जनेऊ संस्कार का उतना ही महत्व है, जितना प्रयागराज में करने का है. वहीं सरयू प्रयागराज के बाद बागेश्वर में ही उत्तरायणी होती है जिस वजह से इसका विशेष महत्व है.

बागेश्वर: जिले में मकर संक्रांति का पर्व (Makar Sankranti festival 2022) धूमधाम के साथ मनाया गया. लोगों ने सुबह गंगा स्नान कर बागनाथ समेत विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की और खिचड़ी का भोग लगाया. इसके अलावा सूरजकुंड, सैंज, अग्निकुंड में सुबह से ही लोग अपने बच्चों के मुंडन तथा जनेऊ संस्कार करने के लिए पहुंचे. यह सिलसिला दोपहर तक चलता रहा. जिले के अलावा दूसरे जिलों अल्मोड़ा, चमोली, पिथौरागढ़, हल्द्वानी व अन्य जनपदों से भी अपने बच्चों के उपनयन संस्कार के लिए यहां पहुंचे.

गौर हो कि इस बार कोरोना के चलते उत्तरायणी मेला नहीं हो पाया, लेकिन गंगा स्नान व धार्मिक कार्यक्रम को लेकर लोगों में उत्साह देखा गया. आज सुबह चार बजे से लोग गंगा स्नान कर बागनाथ मंदिर, काल भैरवनाथ, बाणेश्वर, बैणीमाधव मंदिर में पहुंचने लगे. यहां पूजा-अर्चना के साथ उन्होंने परिवार, देश तथा समाज की सुख-समृद्धि की कामना की. इसके अलावा सूरजकुंड, अग्निकुंड तथा सरयू तट पर जनेऊ संस्कार, मुंडन तथा चूणाकर्म कराने वालों की भीड़ रही.

बागेश्वर में सरयू तट पर रही मकर संक्रांति की धूम.

पढ़ें-मकर संक्रांति गंगा स्नान पर कोरोना की मार, गंगा घाट सील, लौटाए जा रहे श्रद्धालु

पुरोहितों ने पूजा-अर्चना के साथ मंगल कार्य पूरे किए. बागेश्वर जिले के अलावा अन्य जिलों से भी लोग वाहन बुक कराकर यहां पहुंचे और बच्चों के संस्कार संपन्न कराए. पंडित केदार मिश्रा ने बताया कि मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि होने के इसे कुमाऊं की काशी कहा जाता है. यहां जनेऊ संस्कार का उतना ही महत्व है, जितना प्रयागराज में करने का है. वहीं सरयू प्रयागराज के बाद बागेश्वर में ही उत्तरायणी होती है जिस वजह से इसका विशेष महत्व है.

Last Updated : Jan 14, 2022, 6:43 PM IST
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