ETV Bharat / state

बागेश्वर: उच्च शिक्षा में नवाचार को लेकर संगोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- मील का पत्थर होगा साबित

उच्च शिक्षा में नवाचार की भूमिका को लेकर बागेश्वर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में वक्ताओं ने नवाचार कार्यक्रम को मील का पत्थर बताया. इस दौरान महाविद्यालय के छात्र भी खुश नजर आए,

बागेश्वर
author img

By

Published : Nov 24, 2019, 9:13 AM IST

बागेश्वर: पंडित बद्री दत्त पांडे राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शिक्षा के नवाचार (Innovation) के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया है. संगोष्ठी में कौशल विकास में शिक्षा के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई. साथ ही विद्यार्थियों को शैक्षणिक नवाचार के विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी दी गई. इस मौके पर वक्ताओं ने नवाचार कार्यक्रम को मील का पत्थर बताया.

उच्च शिक्षा में नवाचार को लेकर संगोष्ठी

संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में नवाचार की अहम भूमिका है. नवाचार बच्चों के सहज विकास की प्रकिया के साथ ताल-मेल बिठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. नवाचार अपने काम के प्रति रचनात्मक, जिम्मेदार, ठोस और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का एक तरीका होता है. नवाचार के माध्यम से परम्परागत शैक्षिक जड़ता को तोड़ते हुए दक्षताओं को विकसित करने का प्रयास जरूरी है. संगोष्ठी में बताया गया कि उच्च शिक्षा में किस तरह से शिक्षा का स्तर बढ़ाया जाए.

पढ़ें- थाईलैंड समिट में राज्य सरकार और एम्स के एक्सपर्ट होंगे शामिल, चिकित्सा के क्षेत्र में आएगी क्रांति

उच्च शिक्षा में नवाचार की संगोष्ठी से महाविद्यालय के छात्र काफी खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि नवाचार के कार्यक्रमों से उनको काफी कुछ सीखने को मिलता है.

बागेश्वर: पंडित बद्री दत्त पांडे राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शिक्षा के नवाचार (Innovation) के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया है. संगोष्ठी में कौशल विकास में शिक्षा के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई. साथ ही विद्यार्थियों को शैक्षणिक नवाचार के विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी दी गई. इस मौके पर वक्ताओं ने नवाचार कार्यक्रम को मील का पत्थर बताया.

उच्च शिक्षा में नवाचार को लेकर संगोष्ठी

संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में नवाचार की अहम भूमिका है. नवाचार बच्चों के सहज विकास की प्रकिया के साथ ताल-मेल बिठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. नवाचार अपने काम के प्रति रचनात्मक, जिम्मेदार, ठोस और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का एक तरीका होता है. नवाचार के माध्यम से परम्परागत शैक्षिक जड़ता को तोड़ते हुए दक्षताओं को विकसित करने का प्रयास जरूरी है. संगोष्ठी में बताया गया कि उच्च शिक्षा में किस तरह से शिक्षा का स्तर बढ़ाया जाए.

पढ़ें- थाईलैंड समिट में राज्य सरकार और एम्स के एक्सपर्ट होंगे शामिल, चिकित्सा के क्षेत्र में आएगी क्रांति

उच्च शिक्षा में नवाचार की संगोष्ठी से महाविद्यालय के छात्र काफी खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि नवाचार के कार्यक्रमों से उनको काफी कुछ सीखने को मिलता है.

Intro:बागेश्वर।

एंकर— बागेश्वर में पंडित बद्री दत्त पांडे राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में नवाचार कार्यशाला का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में शिक्षा के नवाचार हेतु कौशल विकास में शिक्षा का योगदान पर विस्तार से चर्चा के सांथ ही विद्यार्थियों को शैक्षणिक नवाचार के विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी दी गई। वक्ताओं ने नवाचार कार्यक्रम को मील का पत्थर बताया।

वीओ— संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में नवाचार की अहम भूमिका है। नवाचार बच्चों के सहज विकास की प्रकिया के साथ ताल-मेल बिठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नवाचार अपने काम के प्रति रचनात्मक, ज़िम्मेवार, ठोस व व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का एक तरीका होता है। नवाचारों के माध्यम से परम्परागत शैक्षिक जड़ता को तोड़ते हुए दक्षताओं को विकसित करने का प्रयास जरूरी है। कक्षा के अन्दर ही विभिन्न प्रकार के संदर्भ बनाए जाएं जिनके आधार पर बच्चे भाषा को विविध तरीकों से उपयोग करने का अभ्यास कर सकें। संगोष्ठी में बताया गया कि उच्च शिक्षा में किस तरह से शिक्षा का स्तर बढ़ाया जाए।
उच्च शिक्षा में नवाचार की कार्यशाला से महाविद्यालय के छात्र—छात्राओं ने भी काफी सराहा। उनका कहना है कि इस तरह के नवाचार के कार्यक्रमों से काफी कुछ सीखने को मिलता है।

बाईट—1— भावना राज, छात्रा
बाईट—2— डा. मनोज उप्रेती, प्रोफेसरBody:वीओ— संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में नवाचार की अहम भूमिका है। नवाचार बच्चों के सहज विकास की प्रकिया के साथ ताल-मेल बिठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नवाचार अपने काम के प्रति रचनात्मक, ज़िम्मेवार, ठोस व व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का एक तरीका होता है। नवाचारों के माध्यम से परम्परागत शैक्षिक जड़ता को तोड़ते हुए दक्षताओं को विकसित करने का प्रयास जरूरी है। कक्षा के अन्दर ही विभिन्न प्रकार के संदर्भ बनाए जाएं जिनके आधार पर बच्चे भाषा को विविध तरीकों से उपयोग करने का अभ्यास कर सकें। संगोष्ठी में बताया गया कि उच्च शिक्षा में किस तरह से शिक्षा का स्तर बढ़ाया जाए।
उच्च शिक्षा में नवाचार की कार्यशाला से महाविद्यालय के छात्र—छात्राओं ने भी काफी सराहा। उनका कहना है कि इस तरह के नवाचार के कार्यक्रमों से काफी कुछ सीखने को मिलता है।

बाईट—1— भावना राज, छात्रा
बाईट—2— डा. मनोज उप्रेती, प्रोफेसरConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.