बागेश्वर: ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. उत्तरायणी मेले के लिए ऐतिहासिक सरयू बगड़ को सजाने का काम चल रहा है. नगर में भी सजावट की जा रही है. बागनाथ मंदिर समेत गलियों, पुलों को झालरों से सजाने का काम चल रहा है. मेले में जनता को सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी देने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के स्टॉल्स भी लगाये जा रहे हैं.
उत्तरायणी बागेश्वर जिले का प्रमुख और पौराणिक मेला है. माघ मास में सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण पर जाने पर मेले की शुरुआत होती है. इस बार मेले को संपन्न कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर है. मेले की तैयारियों को लेकर नगर पालिका ने भी विशेष सफाई अभियान चलाया है. इसके सांथ ही सरयू नदी में लकड़ी के अस्थायी पुल भी आने—जाने के लिए तैयार किए जा रहे हैं. इस ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में दानपुर, जोहार, दारमा, चौंदास, व्यासघाटी समेत बाहरी क्षेत्रों से व्यापारियों और मेलार्थियों का जमावड़ा लगता है.
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उत्तरायणी मेले के लिए नुमाइश मैदान में झूले—चरखे लगने शुरू हो गए हैं. सरयू नदी के तट व घाटों में रंग रोगन किया जा रहा है. मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्कूली बच्चे भी लोक संस्कृति की छटा बिखेरेंगे. नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी हयात सिंह परिहार ने बताया उत्तरायणी मेले की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. उन्होंने बताया इस बार नदी के तट किनारे दुकानें नहीं लगेंगी. इसके लिए अन्यत्र व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि मेले में बाहर से आने वाले सभी व्यापारियों को दुकानें आवंटित की जाएंगी.