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बागेश्वर: कीवी की खेती कर किसान बना लखपति, लोगों को भी दे रहा रोजगार - kiwi farming

बागेश्वर जिले के शामा गांव में कीवी की खेती कर भवना सिंह कोरंगा ने 10 लाख रुपए कमाए है. इसके साथ ही वह क्षेत्र में हिमालयन कीवी जैम नामक कुटीर उद्योग की स्थापना कर लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

bageshwar
कीवी की खेती
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Published : Feb 17, 2020, 9:13 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 10:47 PM IST

बागेश्वर: आपने अक्सर सुना होगा की बुनियादी सुविधाओं और रोजगार के अभाव में उत्तराखंड से लोग पलायन कर रहे हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं, जिसमें एक किसान ने ना सिर्फ कीवी की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दिया है. देखिए ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

इन दिनों चीन और न्यूजीलैंड में होने वाले कीवी फल का बागेश्वर जिले के शामा गांव में खूब पैदावार हो रहा है. इतना ही नहीं जिले के एक किसान ने बकायदा हिमालयन कीवी जैम नाम से कुटीर उद्योग स्थापित कर बाजारों में कीवी जैम बेच रहे हैं. वहीं कीवी की खेती कर भवान सिंह कोरंगा ने 10 लाख रुपए कमाये हैं साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

कीवी की खेती

जिले के शामा गांव के भवान सिंह कोरंगा की पिछले 10 सालों की मेहनत रंग लाई है. प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भवान सिंह ने कीवी के उत्पादन के बारे में सोचा. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने मिट्टी का परीक्षण करवाया. जिसके बाद उन्होंने करीब दो हेक्टेयर में कीवी के पोधे लगाए. करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में लगाए गए कीवी के अधिकतर पौधों ने अब फल देना शुरू कर दिया है.

ये भी पढ़े: परीक्षा केंद्रों के बाहर खड़ी गाड़ियों की डिग्गी तोड़कर चोरी करने वाले 3 शातिर गिरफ्तार, दिल्ली विश्वविद्यालय के हैं छात्र

इस वर्ष 75 क्विंटल से अधिक कीवी का उत्पादन हुआ है. जबकि शुरुआत में 20 से 25 क्विंटल कीवी का उत्पादन हो रहा था. भवान सिंह कोरंगा ने बताया कि उन्होंने हेवाल्ड, ब्रूनो, एलीसन, मोंटी प्रजाति के पौधे लगाए हैं. अब उनको देखते हुए क्षेत्र के कई किसानों ने भी कीवी की खेती शुरू कर दी है. जिसके चलते इस वर्ष शामा क्षेत्र में पांच हेक्टेयर में लगाये गए कीवी के पौधों से करीब पौने दो सौ क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ है.

कीवी फल से होने वाले लाभ

ह्रदय रोगियों, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, डायबिटीज, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, ब्लड प्रेशर को कम करने, अनिद्रा से पीड़ित मरीजों, गर्भवती महिला, अस्थमा के मरीजों, अल्सर के मरीजों व आंखों की रोशनी बढ़ाने में लाभकारी है.

कीवी फल को चाइनीज गूजवैरी के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम एक्टिनिडिया डेलिसिओसा है. इस फल के उत्पादन की शुरुआत सबसे पहले चीन में हुई. जिसके बाद कीवी का उत्पादन न्यूजीलेंड समेत कई देशों में होने लगा. भारत में हिमाचल प्रदेश में भी कीवी की अच्छी पैदावार होती है. उत्तराखंड की जलवायु भी कीवी के उत्पादन के लिए उपयुक्त है.

भवान सिंह कोरंगा ने बताया कि इस वर्ष उन्हें कीवी से करीब 10 लाख रुपये की आमदनी हुई है. उन्होंने अन्य लोगों को भी कीवी उत्पादन के लिए जागरुक किया है. साथ ही उन्होंने उद्यान विभाग, ग्राम्या का आभार जताया. अब हिमालयन कीवी फ्रूट के नाम से जैम भी बनाए जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कुटीर उद्योग स्थापित किया है. जैम की कीमत बाजार में 250 रुपये है. जिसकी काफी मांग है. वहीं गावं में कीवी उत्पादन से फल की तुड़ाई, पैकिंग आदि में स्थानीय महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी मिल रहा है.

वहीं जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने किसानों की मेहनत की तारीफ करते हुए कहा कि पहाड़ में स्वरोजगार के लिए कीवी फल का उत्पादन एक अच्छा स्रोत है. उन्होंने कहा कि यह उद्यान व कृषि विभाग के लिए अच्छा संकेत है. क्षेत्र के अन्य किसानों को भी उनसे प्रेरित हो कर कीवी का उत्पादन कर लाभ उठाना चाहिए.

बागेश्वर: आपने अक्सर सुना होगा की बुनियादी सुविधाओं और रोजगार के अभाव में उत्तराखंड से लोग पलायन कर रहे हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं, जिसमें एक किसान ने ना सिर्फ कीवी की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दिया है. देखिए ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

इन दिनों चीन और न्यूजीलैंड में होने वाले कीवी फल का बागेश्वर जिले के शामा गांव में खूब पैदावार हो रहा है. इतना ही नहीं जिले के एक किसान ने बकायदा हिमालयन कीवी जैम नाम से कुटीर उद्योग स्थापित कर बाजारों में कीवी जैम बेच रहे हैं. वहीं कीवी की खेती कर भवान सिंह कोरंगा ने 10 लाख रुपए कमाये हैं साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

कीवी की खेती

जिले के शामा गांव के भवान सिंह कोरंगा की पिछले 10 सालों की मेहनत रंग लाई है. प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भवान सिंह ने कीवी के उत्पादन के बारे में सोचा. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने मिट्टी का परीक्षण करवाया. जिसके बाद उन्होंने करीब दो हेक्टेयर में कीवी के पोधे लगाए. करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में लगाए गए कीवी के अधिकतर पौधों ने अब फल देना शुरू कर दिया है.

ये भी पढ़े: परीक्षा केंद्रों के बाहर खड़ी गाड़ियों की डिग्गी तोड़कर चोरी करने वाले 3 शातिर गिरफ्तार, दिल्ली विश्वविद्यालय के हैं छात्र

इस वर्ष 75 क्विंटल से अधिक कीवी का उत्पादन हुआ है. जबकि शुरुआत में 20 से 25 क्विंटल कीवी का उत्पादन हो रहा था. भवान सिंह कोरंगा ने बताया कि उन्होंने हेवाल्ड, ब्रूनो, एलीसन, मोंटी प्रजाति के पौधे लगाए हैं. अब उनको देखते हुए क्षेत्र के कई किसानों ने भी कीवी की खेती शुरू कर दी है. जिसके चलते इस वर्ष शामा क्षेत्र में पांच हेक्टेयर में लगाये गए कीवी के पौधों से करीब पौने दो सौ क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ है.

कीवी फल से होने वाले लाभ

ह्रदय रोगियों, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, डायबिटीज, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, ब्लड प्रेशर को कम करने, अनिद्रा से पीड़ित मरीजों, गर्भवती महिला, अस्थमा के मरीजों, अल्सर के मरीजों व आंखों की रोशनी बढ़ाने में लाभकारी है.

कीवी फल को चाइनीज गूजवैरी के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम एक्टिनिडिया डेलिसिओसा है. इस फल के उत्पादन की शुरुआत सबसे पहले चीन में हुई. जिसके बाद कीवी का उत्पादन न्यूजीलेंड समेत कई देशों में होने लगा. भारत में हिमाचल प्रदेश में भी कीवी की अच्छी पैदावार होती है. उत्तराखंड की जलवायु भी कीवी के उत्पादन के लिए उपयुक्त है.

भवान सिंह कोरंगा ने बताया कि इस वर्ष उन्हें कीवी से करीब 10 लाख रुपये की आमदनी हुई है. उन्होंने अन्य लोगों को भी कीवी उत्पादन के लिए जागरुक किया है. साथ ही उन्होंने उद्यान विभाग, ग्राम्या का आभार जताया. अब हिमालयन कीवी फ्रूट के नाम से जैम भी बनाए जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कुटीर उद्योग स्थापित किया है. जैम की कीमत बाजार में 250 रुपये है. जिसकी काफी मांग है. वहीं गावं में कीवी उत्पादन से फल की तुड़ाई, पैकिंग आदि में स्थानीय महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी मिल रहा है.

वहीं जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने किसानों की मेहनत की तारीफ करते हुए कहा कि पहाड़ में स्वरोजगार के लिए कीवी फल का उत्पादन एक अच्छा स्रोत है. उन्होंने कहा कि यह उद्यान व कृषि विभाग के लिए अच्छा संकेत है. क्षेत्र के अन्य किसानों को भी उनसे प्रेरित हो कर कीवी का उत्पादन कर लाभ उठाना चाहिए.

Last Updated : Feb 17, 2020, 10:47 PM IST
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