बागेश्वर: परिसीमन के बाद कांडा क्षेत्र में विकास की गति धीमी पड़ गई है. लोगों को अपने कार्य करने के लिए जिला मुख्यालय बागेश्वर की दूरी नापनी पड़ती है. जिससे लोगों को अधिक धन और समय की बर्बादी होती है. लोगों का कहना है कि कांडा क्षेत्र को विकासखंड का दर्जा मिलना चाहिए, मांग पूरी ना होने पर वो आंदोलन करने को विवश होंगे.
साल 2009 में परिसीमन में विधानसभा का दर्जा खोने के बाद कांडा क्षेत्र के ग्रामीणों को लंबे समय के लिए राजनीति तौर पर हासिये में धकेल दिया गया है. कांडा क्षेत्र के लोगों को विधानसभा में वोटिंग के लिए कपकोट में मिला दिया गया और विकास खंड के चुनावों में वोटिंग के लिए बागेश्वर ब्लॉक में मिला दिया गया. कांडा क्षेत्र के ग्रामीणों के पास ना विधानसभा का दर्जा प्राप्त है, ना विकासखंड का दर्जा प्राप्त है.कांडा क्षेत्र को विकासखंड का दर्जा देने की मांग को लेकर कांडा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बैठक कर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने की रणनीति तैयार बनाई है.
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कांडा क्षेत्र के 182 ग्राम पंचायतों वाला क्षेत्र बागेश्वर के विकास खंड के साथ जोड़ा गया है. कांडा क्षेत्र को बागेश्वर विकास खंड से मिला कर कांडा क्षेत्र का विकास प्रभावित हो रहा है. कांडा क्षेत्र को पृथक तरीके से विकासखंड का दर्जा देने की मांग पर गौर नहीं किया जा रहा है. जिसके बाद ग्रामीणों ने विकास खंड की मांग के लिए निर्णायक आंदोलन करने की रणनीति बनायी है.वहीं पूर्व विधायक उमेद सिंह माजिला ने बताया कि विकास खंड को बागेश्वर में स्थापित कर दिया गया. जिससे क्षेत्र के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि मांगों पर गौर नहीं किया गया तो ग्रामीण सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे.