ETV Bharat / state

हिंदी को लेकर सक्रिय हुआ चीन, 15 विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही हिंदी

अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के एक प्रोग्राम के तहत विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर चीन में दो साल सेवा देने के बाद प्रोफेसर नवीन चन्द्र लोहनी भारत लौटे. जिसके बाद उन्होंने चीन की रणनीति का खुलासा किया.

हिंदी को लेकर सक्रिय हुआ चीन.
author img

By

Published : Nov 4, 2019, 7:58 PM IST

बागेश्वर: भारतीय भाषा हिंदी को लेकर अब चीन भी सजग होने लगा है. चीन ने अपनी व्यापारिक रणनीति में भारतीय भाषा हिंदी और संस्कृत को शामिल करने की योजना बनायी है. इसके लिये मीडिया संस्थानों से लेकर अन्य रोजगारपरक क्षेत्रों में अवसर तलाशे जा रहे हैं.

हिंदी को लेकर सक्रिय हुआ चीन.

अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के एक प्रोग्राम के तहत विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर चीन में दो साल सेवा देने के बाद भारत लौटे प्रोफेसर नवीन चन्द्र लोहनी ने चीन की रणनीति का खुलासा किया. प्रो. लोहनी ने बताया कि चीन हिंदी को लेकर अब सजग होने लगा है. मौजूदा समय में चीन के 15 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है. एक यूनिवर्सिटी में हिंदी पर शोध पाठ्यक्रम भी चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ये सब महज पिछले पांच सालों में हुआ है.

पढ़ें-दून के एक अस्पताल में फिर बदला गया बच्चा, CCTV फुटेज से खुली पोल

प्रो. लोहनी ने बताया कि हिंदी और संस्कृत को लेकर चीन में रोजगार के अवसर भी तैयार किये जा रहे हैं. मीडिया से लेकर सामान्य व्यापारिक नौकरियों में अनुवादकों के लिये रोजगारपरक संभावनाओं को विकसित किया जा रहा है. चीन का मकसद व्यापार में अधिक से अधिक हिंदी बोली और भाषा के अनुवादकों की नियुक्ति करना है. व्यापारिक तौर पर चीन का मानना है कि पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अरब और एशियाई देशों में भारतीय लोगों की अच्छी खासी संख्या में हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड: इंडिया के 'जेम्स बांड' को मानद उपाधि देगा गढ़वाल विश्वविद्यालय

इसके अलावा चीन भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर भी देखता है. जिसके कारण चीन ने ये फैसला लिया है. अपने दो साल के अनुभव को साझा करते हुये प्रो. लोहनी ने बताया कि चीन सभी देशों में अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलकर वहां एक हिंदी भाषा कर्मचारी की तैनाती की योजना तैयार कर रहा है ताकि उसे एक बड़ा बाजार मिल सके.

बागेश्वर: भारतीय भाषा हिंदी को लेकर अब चीन भी सजग होने लगा है. चीन ने अपनी व्यापारिक रणनीति में भारतीय भाषा हिंदी और संस्कृत को शामिल करने की योजना बनायी है. इसके लिये मीडिया संस्थानों से लेकर अन्य रोजगारपरक क्षेत्रों में अवसर तलाशे जा रहे हैं.

हिंदी को लेकर सक्रिय हुआ चीन.

अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के एक प्रोग्राम के तहत विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर चीन में दो साल सेवा देने के बाद भारत लौटे प्रोफेसर नवीन चन्द्र लोहनी ने चीन की रणनीति का खुलासा किया. प्रो. लोहनी ने बताया कि चीन हिंदी को लेकर अब सजग होने लगा है. मौजूदा समय में चीन के 15 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है. एक यूनिवर्सिटी में हिंदी पर शोध पाठ्यक्रम भी चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ये सब महज पिछले पांच सालों में हुआ है.

पढ़ें-दून के एक अस्पताल में फिर बदला गया बच्चा, CCTV फुटेज से खुली पोल

प्रो. लोहनी ने बताया कि हिंदी और संस्कृत को लेकर चीन में रोजगार के अवसर भी तैयार किये जा रहे हैं. मीडिया से लेकर सामान्य व्यापारिक नौकरियों में अनुवादकों के लिये रोजगारपरक संभावनाओं को विकसित किया जा रहा है. चीन का मकसद व्यापार में अधिक से अधिक हिंदी बोली और भाषा के अनुवादकों की नियुक्ति करना है. व्यापारिक तौर पर चीन का मानना है कि पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अरब और एशियाई देशों में भारतीय लोगों की अच्छी खासी संख्या में हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड: इंडिया के 'जेम्स बांड' को मानद उपाधि देगा गढ़वाल विश्वविद्यालय

इसके अलावा चीन भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर भी देखता है. जिसके कारण चीन ने ये फैसला लिया है. अपने दो साल के अनुभव को साझा करते हुये प्रो. लोहनी ने बताया कि चीन सभी देशों में अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलकर वहां एक हिंदी भाषा कर्मचारी की तैनाती की योजना तैयार कर रहा है ताकि उसे एक बड़ा बाजार मिल सके.

Intro:बागेश्वर।

एंकर- भारतीय भाषा हिंदी को लेकर चीन अब सजग होने लगा है। चीन ने अपनी व्यापारिक रणनीति में भारतीय भाषा हिंदी और संस्कृत को शामिल करने की योजना बनायी है। इसके लिये मीडिया संस्थानों से लेकर अन्य रोजगारपरक क्षेत्रों में अवसर तलाशे जा रहे हैं।

वीओ- अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के एक प्रोग्राम के तहत विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर चायना में दो साल सेवा देने के बाद भारत लौटे प्रोफेसर नवीन चन्द्र लोहनी ने चायना की रणनीति का खुलासा किया। चायना से लौटने के बाद अपने गृह जनपद बागेश्वर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रो0 तिवारी ने बताया कि चायना हिंदी को लेकर अब सजग होने लगा है। मौजूदा समय में चीन के 15 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। एक यूनिर्वसिटी में हिंदी पर शोध पाठ्यक्रम भी चल रहा है। यह महज पिछले पांच सालों में हुआ है। हिंदी और संस्कृत को लेकर चीन ने रोजगार के अवसर भी तैयार किये हैं। मीडिया से लेकर सामान्य व्यापारिक नौकरियों में अनुवादकों के लिये रोजगारपरक संभावनायें विकसित की जा रही हैं। चीन का मकसद व्यापार में अधिक से अधिक हिंदी बोली और भाषा के अनुवादकों की नियुक्ति करना है। व्यापारिक तौर पर चायना का मानना है कि पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अरब और ऐशियाई देशों में भारतीय लोगों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा भारत को चायना एक बड़े बाजार के तौर पर भी देखता है। अपने दो साल के अनुभव सांझा करते हुये प्रो0 तिवारी ने बताया कि चीन सभी देशों में अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलकर वहां एक हिंदी भाषा कर्मचारी की तैनाती की योजना तैयार कर रहा है ताकि उसे एक बड़ा बाजार मिल सके।
बाइट-1/2- प्रो0 नवीन चन्द्र लोहनी, प्रोफेसर।Body:वीओ- अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के एक प्रोग्राम के तहत विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर चायना में दो साल सेवा देने के बाद भारत लौटे प्रोफेसर नवीन चन्द्र लोहनी ने चायना की रणनीति का खुलासा किया। चायना से लौटने के बाद अपने गृह जनपद बागेश्वर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रो0 तिवारी ने बताया कि चायना हिंदी को लेकर अब सजग होने लगा है। मौजूदा समय में चीन के 15 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। एक यूनिर्वसिटी में हिंदी पर शोध पाठ्यक्रम भी चल रहा है। यह महज पिछले पांच सालों में हुआ है। हिंदी और संस्कृत को लेकर चीन ने रोजगार के अवसर भी तैयार किये हैं। मीडिया से लेकर सामान्य व्यापारिक नौकरियों में अनुवादकों के लिये रोजगारपरक संभावनायें विकसित की जा रही हैं। चीन का मकसद व्यापार में अधिक से अधिक हिंदी बोली और भाषा के अनुवादकों की नियुक्ति करना है। व्यापारिक तौर पर चायना का मानना है कि पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अरब और ऐशियाई देशों में भारतीय लोगों की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा भारत को चायना एक बड़े बाजार के तौर पर भी देखता है। अपने दो साल के अनुभव सांझा करते हुये प्रो0 तिवारी ने बताया कि चीन सभी देशों में अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलकर वहां एक हिंदी भाषा कर्मचारी की तैनाती की योजना तैयार कर रहा है ताकि उसे एक बड़ा बाजार मिल सके।

बाइट-1/2- प्रो0 नवीन चन्द्र लोहनी, प्रोफेसर।Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.