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CM के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगा रहा जल निगम, ग्रामीणों ने उठाये सवाल

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के उद्गम स्थल पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए प्रस्तावित पेयजल योजना है. जिसको लेकर ग्रामीणों ने जल निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है.

Pradhan
ग्रमीण
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Published : May 13, 2020, 6:46 PM IST

सोमेश्वर: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' को जल निगम बागेश्वर पलीता लगा रहा है. लॉकडाउन के बीच ग्रामीणों के विरोध और एसडीएम के संयुक्त निरीक्षण के आदेश के बावजूद जल निगम ने कोसी नदी के उद्गम से बन रही योजना को शुरू कर दिया. इसकी भनक लगते ही ग्रामीण और वन विभाग के कर्मचारियों ने कार्य रोकने के बाद जिलाधिकारी (अल्मोड़ा) से शिकायत की है.

गौर है कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के उद्गम स्थली पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए प्रस्तावित पेयजल योजना है. इस मामले में उपजिलाधिकारी सीमा विश्वकर्मा के साथ एक बैठक 19 फरवरी को सम्पन्न हुई थी. जिसमें ग्रामीणों ने योजना का कड़ा विरोध करते हुए जल निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी. बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलने पर एसडीएम ने मई- जून महीने में संयुक्त टीम को स्थलीय मुआयना करने और जल स्तर का पता करने के बाद ही योजना निर्माण पर निर्णय लिए जाने की बात कही थी.

पढ़ें: कैबिनेट की बैठक आज, लाये जा सकते हैं अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रस्ताव

ग्रामीणों का कहना है कि उप जिलाधिकारी ने वन विभाग, राजस्व विभाग, जल निगम (बागेश्वर) और अल्मोड़ा क्षेत्र के ग्राम प्रधानों को टीम बनाने के निर्देश दिए थे. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि योजना स्थल में पानी कम होने या दूसरी पेयजल योजना के प्रभावित होने की स्थिति में योजना का निर्माण नहीं किया जाएगा.

वहीं, ग्राम प्रधान संगठन के महामंत्री कैलाश चन्द्र जोशी ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपते हुए कहा है कि प्रशासन और ग्राम प्रधान कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. लेकिन विभाग और ठेकेदार ने संयुक्त टीम के निरीक्षण होने से पहले ही प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बगैर कार्य शुरू कर दिया है. कोसी नदी के मूलस्रोत पर बिना अनुमति के 4 इंच की पेयजल योजना बनाना कोसी नदी के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ है.

सोमेश्वर: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' को जल निगम बागेश्वर पलीता लगा रहा है. लॉकडाउन के बीच ग्रामीणों के विरोध और एसडीएम के संयुक्त निरीक्षण के आदेश के बावजूद जल निगम ने कोसी नदी के उद्गम से बन रही योजना को शुरू कर दिया. इसकी भनक लगते ही ग्रामीण और वन विभाग के कर्मचारियों ने कार्य रोकने के बाद जिलाधिकारी (अल्मोड़ा) से शिकायत की है.

गौर है कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के उद्गम स्थली पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए प्रस्तावित पेयजल योजना है. इस मामले में उपजिलाधिकारी सीमा विश्वकर्मा के साथ एक बैठक 19 फरवरी को सम्पन्न हुई थी. जिसमें ग्रामीणों ने योजना का कड़ा विरोध करते हुए जल निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी. बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलने पर एसडीएम ने मई- जून महीने में संयुक्त टीम को स्थलीय मुआयना करने और जल स्तर का पता करने के बाद ही योजना निर्माण पर निर्णय लिए जाने की बात कही थी.

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ग्रामीणों का कहना है कि उप जिलाधिकारी ने वन विभाग, राजस्व विभाग, जल निगम (बागेश्वर) और अल्मोड़ा क्षेत्र के ग्राम प्रधानों को टीम बनाने के निर्देश दिए थे. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि योजना स्थल में पानी कम होने या दूसरी पेयजल योजना के प्रभावित होने की स्थिति में योजना का निर्माण नहीं किया जाएगा.

वहीं, ग्राम प्रधान संगठन के महामंत्री कैलाश चन्द्र जोशी ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपते हुए कहा है कि प्रशासन और ग्राम प्रधान कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. लेकिन विभाग और ठेकेदार ने संयुक्त टीम के निरीक्षण होने से पहले ही प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बगैर कार्य शुरू कर दिया है. कोसी नदी के मूलस्रोत पर बिना अनुमति के 4 इंच की पेयजल योजना बनाना कोसी नदी के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ है.

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