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2022 के विधानसभा चुनाव में जनता के पास होगा विकल्प: यूकेडी

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Published : May 25, 2019, 4:47 PM IST

Updated : May 25, 2019, 5:06 PM IST

यूकेडी का असली मकसद उत्तराखंड में गांव से लेकर विधानसभा तक एक सशक्त और सक्रिय नेतृत्व पैदा करना है और इसके लिए यूकेडी ने कमर कस ली है.

2022 के विधानसभा चुनाव में विकल्प बनना चाहती है यूकेडी

अल्मोड़ा: लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड में क्षेत्रीय दलों की सक्रियता नगण्य ही नजर आई. इस अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में बीजेपी कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को ही चुना. ऐसे में उत्तराखंड क्रांति दल जिसने पृथक राज्य उत्तराखंड के लिए संघर्ष किया. वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट में छठवें स्थान पर रहा और यहां पर 15 हजार 505 मत नोटा में पड़े जबकि, यूकेडी उम्मीदवार एल आर्य को इस सीट पर मात्र 4 हजार 60 मत ही मिले.

2022 के विधानसभा चुनाव में विकल्प बनना चाहती है यूकेडी.

पढ़ें- वीकेंड को बनाना चाहते हैं खास तो चले आइए नैनीताल, प्राकृतिक आकर्षणों से घिरा है ये शहर

अल्मोड़ा लोकसभा सीट से यूकेडी के उम्मीदवार केएल आर्य का चुनाव नतीजों को लेकर कहना है कि राज्य गठन के बाद पहली बार उत्तराखंड क्रांति दल ने सभी लोकसभा में अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल के नाम से मिलते जुलते अन्य क्षेत्रीय दलों दलों की सक्रियता से यहां मतों का विभाजन हो गया और जिसका नुकसान यूकेडी को उठाना पड़ा.

हालांकि, केएल आर्य लोकसभा उम्मीदवारी को लेकर कहते हैं कि देश की राजनीति करना यूकेडी का मकसद नहीं, हां इतना जरूर है कि ये सिर्फ आगाज था. पार्टी का असली मकसद उत्तराखंड में गांव से लेकर विधानसभा तक एक सशक्त और सक्रिय नेतृत्व पैदा करना है और इसके लिए यूकेडी ने कमर कस ली है. क्योंकि, उत्तराखंड राज्य यूकेडी के अथक संघर्षों की बदौलत ही अस्तित्व में आया है. उनका कहना है कि आगामी पंचायत चुनाव में यूकेडी राज्यभर में अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी. उसके बाद उनका मुख्य फोकस 2022 विधानसभा चुनाव है. जिसमें जनता को बीजेपी-कांग्रेस के अलावा यूकेडी भी विकल्प के रूप में दिखे.

अल्मोड़ा: लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड में क्षेत्रीय दलों की सक्रियता नगण्य ही नजर आई. इस अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में बीजेपी कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को ही चुना. ऐसे में उत्तराखंड क्रांति दल जिसने पृथक राज्य उत्तराखंड के लिए संघर्ष किया. वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट में छठवें स्थान पर रहा और यहां पर 15 हजार 505 मत नोटा में पड़े जबकि, यूकेडी उम्मीदवार एल आर्य को इस सीट पर मात्र 4 हजार 60 मत ही मिले.

2022 के विधानसभा चुनाव में विकल्प बनना चाहती है यूकेडी.

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अल्मोड़ा लोकसभा सीट से यूकेडी के उम्मीदवार केएल आर्य का चुनाव नतीजों को लेकर कहना है कि राज्य गठन के बाद पहली बार उत्तराखंड क्रांति दल ने सभी लोकसभा में अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल के नाम से मिलते जुलते अन्य क्षेत्रीय दलों दलों की सक्रियता से यहां मतों का विभाजन हो गया और जिसका नुकसान यूकेडी को उठाना पड़ा.

हालांकि, केएल आर्य लोकसभा उम्मीदवारी को लेकर कहते हैं कि देश की राजनीति करना यूकेडी का मकसद नहीं, हां इतना जरूर है कि ये सिर्फ आगाज था. पार्टी का असली मकसद उत्तराखंड में गांव से लेकर विधानसभा तक एक सशक्त और सक्रिय नेतृत्व पैदा करना है और इसके लिए यूकेडी ने कमर कस ली है. क्योंकि, उत्तराखंड राज्य यूकेडी के अथक संघर्षों की बदौलत ही अस्तित्व में आया है. उनका कहना है कि आगामी पंचायत चुनाव में यूकेडी राज्यभर में अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी. उसके बाद उनका मुख्य फोकस 2022 विधानसभा चुनाव है. जिसमें जनता को बीजेपी-कांग्रेस के अलावा यूकेडी भी विकल्प के रूप में दिखे.

Intro:लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड में क्षेत्रीय दलों की हालत काफी कमजोर सामने आई। अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि यहाँ बीजेपी कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर नोटा का परचम रहा। उत्तराखंड क्रांति दल जिसने अलग उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष किया वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट में छठवे स्थान पर रहा यहाँ पर नोटा 15505 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहा जबकि उत्तराखंड क्रांति दल के एल आर्य को अल्मोड़ा सीट पर मात्र 4060 ही मत मिले।


Body:अल्मोड़ा लोकसभा सीट से यूकेडी के उम्मीदवार रहे के एल आर्य का इस परिणाम को लेकर कहना है कि उत्तराखंड बनने के बाद पहली बार उत्तराखंड क्रांति दल ने सभी लोकसभा में अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन यहाँ पर उत्तराखंड क्रांति दल के नाम से मिलते जुलते अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी अपने उम्मीदवार उतारे थे जिस कारण मतों का विभाजन हो गया और उनको इसका नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि वह कहते है कि लोकसभा उम्मीदवारी का मतलब देश की राजनीति करना यूकेडी का मकसद नही यह सिर्फ आगाज था असली मकसद उनका उत्तराखंड में गांव से लेकर विधानसभा तक सक्रिय राजनीति के साथ एक एक सशक्त नेतृत्व पैदा करना है। इसके लिए यूकेडी ने कमर कस ली है। क्योंकि उत्तराखंड राज्य यूकेडी के अथक संघर्षो से ही मिल है।उनका कहना है कि आगामी पंचायत चुनाव में यूकेडी पूरे राज्यभर में अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी उसके बाद उनका मुख्य फोकस 2022 विधानसभा चुनाव है। जिसमे उन्होंने बीजेपी कांग्रेस के अलावा जनता के लिए यूकेडी को विकल्प बनाना है।

के एल आर्य, यूकेडी प्रत्याशी अल्मोड़ा लोकसभा


Conclusion:
Last Updated : May 25, 2019, 5:06 PM IST
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