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हाईकोर्ट का आदेश, जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा के बर्खास्त कर्मचारियों की दो हफ्तों में हो बहाली - कर्मचारियों को बहाल करने के आदेश

2018 में बर्खास्त हुए जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सभी बर्खास्त हुए कर्मचारियों को दो हफ्तों के भीतर बहाल करने का आदेश दिया है.

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Published : Aug 2, 2022, 9:28 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा में साल 2015 में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के बाद 2018 में बर्खास्त किये गए कार्मिकों को दो हफ्ते के भीतर बहाल करने के आदेश दिए हैं. ये बहाली आदेश नई नियुक्ति के दिन से मान्य होगा.

मामले के अनुसार जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा में चतुर्थ श्रेणी के दो दर्जन पदों के लिये साल 2014 में बैंक की ओर से विज्ञप्ति जारी हुई थी. भर्ती साक्षात्कार के आधार पर हुई थी, जिसे मनोज कुमार एवं ललित प्रसाद ने चुनौती देते हुए कहा कि साक्षात्कार से भर्ती निष्पक्षता से नहीं हो सकती. इस आधार पर 2015 में एकलपीठ ने उक्त विज्ञप्ति को रद्द कर दिया था. लेकिन बैंक ने एकलपीठ के आदेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा कि जिस अभ्यर्थी ने यह याचिका दायर की है, वह स्वयं साक्षात्कार में शामिल हुआ था और परिणाम भी घोषित नहीं हुआ है. जबकि दूसरे व्यक्ति का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है.
पढ़ें- उत्तराखंड HC ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों के लिए जारी विज्ञप्ति को किया निरस्त

इस आधार पर खण्डपीठ ने एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया और बैंक में नियुक्तियां हो गई, लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए पुनः सुनवाई के लिये भेजा, जिसके बाद 2018 में ये कर्मचारी बर्खास्त हो गए.

इस मामले में बर्खास्त कर्मचारी प्रमोद सिंह एवं अन्य ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर मामले को सुनने का आग्रह किया. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने एकलपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश व उसके खिलाफ दायर विशेष अपील खारिज करते हुए बर्खास्त किये गए कर्मचारियों को बहाल करने के निर्देश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा में साल 2015 में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के बाद 2018 में बर्खास्त किये गए कार्मिकों को दो हफ्ते के भीतर बहाल करने के आदेश दिए हैं. ये बहाली आदेश नई नियुक्ति के दिन से मान्य होगा.

मामले के अनुसार जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा में चतुर्थ श्रेणी के दो दर्जन पदों के लिये साल 2014 में बैंक की ओर से विज्ञप्ति जारी हुई थी. भर्ती साक्षात्कार के आधार पर हुई थी, जिसे मनोज कुमार एवं ललित प्रसाद ने चुनौती देते हुए कहा कि साक्षात्कार से भर्ती निष्पक्षता से नहीं हो सकती. इस आधार पर 2015 में एकलपीठ ने उक्त विज्ञप्ति को रद्द कर दिया था. लेकिन बैंक ने एकलपीठ के आदेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा कि जिस अभ्यर्थी ने यह याचिका दायर की है, वह स्वयं साक्षात्कार में शामिल हुआ था और परिणाम भी घोषित नहीं हुआ है. जबकि दूसरे व्यक्ति का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है.
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इस आधार पर खण्डपीठ ने एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया और बैंक में नियुक्तियां हो गई, लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए पुनः सुनवाई के लिये भेजा, जिसके बाद 2018 में ये कर्मचारी बर्खास्त हो गए.

इस मामले में बर्खास्त कर्मचारी प्रमोद सिंह एवं अन्य ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर मामले को सुनने का आग्रह किया. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने एकलपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश व उसके खिलाफ दायर विशेष अपील खारिज करते हुए बर्खास्त किये गए कर्मचारियों को बहाल करने के निर्देश दिए हैं.

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