अल्मोड़ा: उत्तराखंड क्रांति दल की अल्मोड़ा इकाई ने 41वां स्थापना दिवस हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया. इस मौके पर कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए जिस तरह यूकेडी ने अपना बलिदान दिया. आज एक बार फिर उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए बलिदान देने की जरूरत है.
यूकेडी केंद्रीय उपाध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र को पृथक प्रशासनिक इकाई बनाने की मांग आजादी के पहले से ही होती रही है. आजादी के बाद विभिन्न दलो के लोग विभिन्न मंचों से पर्वतीय क्षेत्र की उपेक्षा का मुद्दा उठाते रहे हैं और पर्वतीय क्षेत्र को पृथक राज्य बनाये जाने की मांग करते भी रहे. चुनावी व दलगत हितों के चलते ये मांग जोर नहीं पकड़ पाई. इसलिये उत्तराखंड राज्य के लिए गंभीर सोच रखने वाले बुद्धिजीवियों ने 24-25 जुलाई 1979 को मंसूरी में एक सम्मेलन आहूत किया. दो दिन चले गहन विचार विमर्श के बाद राज्य के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले संगठन की आवश्यकता को महसूस किया गया. इस दौरान उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों ने एक राजनैतिक दल के गठन का निर्णय लिया.
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वहीं, अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्य तिथि पर उत्तराखंड क्रांति दल का गठन महान वैज्ञानिक कुमाऊं विश्वविद्यायल के पूर्व कुलपति डॉ. डीडी पंत की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड क्रांति दल का गठन किया गया. दल ने लगातार सड़क से लेकर सदन तक राज्य के लिए संघर्ष किया. परिणामस्वरूप 9 नवंबर 2000 को उत्तराखण्ड राज्य बना, लेकिन उत्तराखंड बनने के 20 सालों के बाद भी राज्य की हालत बदतर होती जा रही है. उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी दल की भावनाओं के अनुरूप राज्य का विकास न हो पाने की कसक है. इसके लिए उक्रांद कार्यकर्ता उत्तराखंड के सर्वांगीण विकास हेतु संघर्षरत है. अमर शहीद श्रीदेव सुमन की शहादत को याद करते हुए उनसे प्रेरणा लेकर उत्तराखंड के विकास हेतु संघर्ष करने का आह्वान डालाकोटी द्वारा किया गया.
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अमर शहीद श्रीदेव सुमन को याद करते हुए जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने कहा कि जिस प्रकार टिहरी रियासत के अत्याचारों से टिहरी की जनता को बचाने के लिए श्रीदेव सुमन ने जीवन का बलिदान कर दिया. उसी प्रकार उक्रांद कार्यकर्ताओं ने भी अपना बलिदान देकर ये राज्य प्राप्त किया है. और इसको बचाने के लिए भी उक्रांद कार्यकर्ता हर बलिदान देने को तैयार है. इस अवसर पर उपस्थित सभी कार्यकर्ताओ ने श्रीदेव सुमन के चित्र पर फूलमाला एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि भी अर्पित की.