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टी बोर्ड के उपाध्यक्ष ने किया चाय बागान का निरीक्षण, काश्तकारों की जानी समस्याएं - टी बोर्ड के उपाध्यक्ष ने किया चाय बागान का निरीक्षण

उत्तराखंड के चंपावत, घोड़ाखाल, गैरसैंण और कौसानी में स्थित चाय बागानों में करीब 80 हजार किलो प्रति वर्ष चाय का उत्पादन हो रहा है. उत्पादित चाय का अधिकांश हिस्सा कोलकाता बिक्री के लिए भेज दिया जाता है, जबकि बचा हुआ कुछ प्रतिशत उत्तराखंड में ही रिटेल में बेचा जाता है.

अल्मोड़ा
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Published : Dec 31, 2020, 3:17 PM IST

Updated : Dec 31, 2020, 4:18 PM IST

अल्मोड़ा: उत्तराखंड चाय बोर्ड उपाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिलख्वाल ने गुरुवार को गरूणांबाज में चाय बागान का निरीक्षण किया. इस दौरान गोविन्द सिंह पिलख्वाल ने स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत की और बागान के मजदूरों का हाल जाना. इस मौके पर उन्होंने कहा कि जल्द ही चाय के क्षेत्र में अन्य ग्रामीणों को रोजागार से जोड़ने का कार्य किया जाएगा.

टी बोर्ड के उपाध्यक्ष ने किया चाय बागान का निरीक्षण.

पढ़ें- जंगल छोड़ सड़क पर निकला 'टाइगर', ट्रैफिक रोककर आधा घंटे तक किया वॉक

पिलख्वाल ने कहा कि गरूणांबाज में वर्तमान में 63 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय के बागान है. जिससे स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है. यहां पर करीब 7.5 हजार किलो चाय का उत्पादन होता है. गरूणांबाज क्षेत्र चाय बागानों के लिए उपयुक्त जगह है. इसलिए यहां पर चाय बागान लगाने के लिए इच्छुक ग्रामीणों को सुविधाएं दी जायेंगी और उनकी समस्याओं को दूर किया जायेगा.

टी बोर्ड कार्यालय अल्मोड़ा से गैरसैंण शिफ्ट होने के सवाल पर पिलख्वाल ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए. गैरसैंण को राजधानी के रूप में स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नेतृत्व में काफी काम किया.

अल्मोड़ा: उत्तराखंड चाय बोर्ड उपाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिलख्वाल ने गुरुवार को गरूणांबाज में चाय बागान का निरीक्षण किया. इस दौरान गोविन्द सिंह पिलख्वाल ने स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत की और बागान के मजदूरों का हाल जाना. इस मौके पर उन्होंने कहा कि जल्द ही चाय के क्षेत्र में अन्य ग्रामीणों को रोजागार से जोड़ने का कार्य किया जाएगा.

टी बोर्ड के उपाध्यक्ष ने किया चाय बागान का निरीक्षण.

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पिलख्वाल ने कहा कि गरूणांबाज में वर्तमान में 63 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय के बागान है. जिससे स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है. यहां पर करीब 7.5 हजार किलो चाय का उत्पादन होता है. गरूणांबाज क्षेत्र चाय बागानों के लिए उपयुक्त जगह है. इसलिए यहां पर चाय बागान लगाने के लिए इच्छुक ग्रामीणों को सुविधाएं दी जायेंगी और उनकी समस्याओं को दूर किया जायेगा.

टी बोर्ड कार्यालय अल्मोड़ा से गैरसैंण शिफ्ट होने के सवाल पर पिलख्वाल ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए. गैरसैंण को राजधानी के रूप में स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नेतृत्व में काफी काम किया.

Last Updated : Dec 31, 2020, 4:18 PM IST
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