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चितई गोल्ज्यू मंदिर विवाद में SC ने HC के आदेश को रखा बरकरार, संध्या पंत की अपील खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने अल्मोड़ा के चितई गोल्ज्यू मंदिर विवाद मामले में संध्या पंत की अपील को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

HC ON ALMORA
चितई गोल्ज्यू मंदिर विवाद
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Published : Aug 20, 2022, 7:58 PM IST

देहरादून: अल्मोड़ा के चितई गोल्ज्यू मंदिर विवाद (Chitai Goljue Temple Controversy) में उच्चतम न्यायालय ने संध्या पंत की अपील को खारिज कर दिया (Supreme Court dismisses Sandhya Pant appeal) है. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है. उच्च न्यायालय ने 19 नवंबर 2020 को महत्वपूर्ण निर्णय जारी करते हुए गोल्ज्यू मंदिर विवाद (goljue temple controversy)को सिविल न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था.

पीठ ने इस विवाद के हल के लिए सिविल न्यायालय में वाद दायर करने के निर्देश दिए. साथ ही तब तक मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन की अगुवाई वाली कमेटी के हाथ में दे दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश को संध्या पंत की ओर से शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी. अपीलकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय ने उसका पक्ष सुने बिना आदेश पारित कर दिया.

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अपील में यह भी कहा गया कि उनके पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण 1909 में किया है. इसलिए इसका प्रबंधन उनको दिया जाए. जिसे पूर्व में उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके बनर्जी की पीठ ने अपील को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय के निर्णय में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया और अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

देहरादून: अल्मोड़ा के चितई गोल्ज्यू मंदिर विवाद (Chitai Goljue Temple Controversy) में उच्चतम न्यायालय ने संध्या पंत की अपील को खारिज कर दिया (Supreme Court dismisses Sandhya Pant appeal) है. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है. उच्च न्यायालय ने 19 नवंबर 2020 को महत्वपूर्ण निर्णय जारी करते हुए गोल्ज्यू मंदिर विवाद (goljue temple controversy)को सिविल न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था.

पीठ ने इस विवाद के हल के लिए सिविल न्यायालय में वाद दायर करने के निर्देश दिए. साथ ही तब तक मंदिर का प्रबंधन जिला प्रशासन की अगुवाई वाली कमेटी के हाथ में दे दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश को संध्या पंत की ओर से शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी. अपीलकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय ने उसका पक्ष सुने बिना आदेश पारित कर दिया.

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अपील में यह भी कहा गया कि उनके पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण 1909 में किया है. इसलिए इसका प्रबंधन उनको दिया जाए. जिसे पूर्व में उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके बनर्जी की पीठ ने अपील को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय के निर्णय में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया और अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

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