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11 सितंबर से शुरू होगा नंदादेवी महोत्सव, 350 साल पहले ऐसे शुरू हुई परंपरा - 350 साल पुराना नंदा देवी महोत्सव

अल्मोड़ा में नंदादेवी महोत्सव का आगाज 11 सितंबर से होगा. कुमाऊं में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. इस महोत्सव की शुरुआत चंद वंश के राजाओं ने की थी. जिसके बाद यह परंपरा लगातार चली आ रही है. नंदादेवी महोत्सव सबसे पहले 1671 में शुरू हुआ था. इस बार इसके 350 साल पूरे हो रहे हैं.

nanda devi temple
नंदादेवी महोत्सव
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Published : Sep 4, 2021, 5:35 PM IST

अल्मोड़ाः ऐतिहासिक मां नंदादेवी मंदिर में हर साल भाद्रपद माह में नंदादेवी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस बार यह मेला 11 सितंबर से आयोजित किया जाएगा, लेकिन कोरोना के चलते यह मेला बीते साल की तरह ही इस बार भी सादगी से मनाया जाएगा. मेले की शुरुआत 11 सितंबर को कलश स्थापना के साथ होगी और 17 सितंबर को मां नंदा देवी का डोला विसर्जन के साथ ही महोत्सव का समापन हो जाएगा.

अल्मोड़ा नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में हर साल भाद्र मास की शुक्ल पक्ष को लगने वाले मेले की रौनक ही कुछ अलग होती है. अल्मोड़ा शहर सोलहवीं शदी के छठे दशक के आसपास चंद राजाओं की राजधानी के रूप में विकसित हुआ था. नंदादेवी मेला चंद वंश की राज परंपराओं से संबंध रखता है, क्योंकि मां नंदादेवी को चंद वंशीय राजाओं की कुलदेवी माना जाता है.

नंदादेवी महोत्सव 11 सितंबर से

यही वजह है कि इस महोत्सव में आज भी पूजा अनुष्ठान चंद शासकों के पूर्वज ही करते हैं. इस महोत्सव की शुरुआत 1671 से शुरू हुई थी. तब से निरंतर यह महोत्सव मनाया जाता है. पंचमी तिथि से प्रारंभ मेले के अवसर पर दो भव्य मां नंदा-सुनंदा देवी प्रतिमाएं बनाई जाती हैं. पंचमी की रात्रि से ही जागर भी प्रारंभ होती है.

ये भी पढ़ेंः कुमाऊं की कुलदेवी हैं मां नंदा-सुनंदा, 11 सितंबर से महोत्सव का आगाज

साल 1671 में शुरू हुआ था नंदादेवी महोत्सवः कहा जाता है कि अल्मोड़ा में नंदा देवी का महोत्सव 1671 से प्रारंभ हुआ था. बाद में कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल ने नंदा की प्रतिमा को मल्ला महल से हटाकर दीप चंदेश्वर मंदिर में स्थापित करवाया था. कहा जाता है कि वर्तमान में स्थित मंदिर में 1816 से मेले का आयोजन होते आ रहा है.

इस बार 11 सितंबर से नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत होगी. जिसके बाद एक सप्ताह तह विभिन्न पूजा अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे. इस पूजा अनुष्ठान को कराने के लिए चंद वंश के राजाओं के वंशज नैनीताल के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे यहां पहुचेंगे. 17 सितंबर को मां नंदादेवी का डोला विसर्जन के साथ ही इस महोत्सव का समापन हो जाएगा.

अल्मोड़ाः ऐतिहासिक मां नंदादेवी मंदिर में हर साल भाद्रपद माह में नंदादेवी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस बार यह मेला 11 सितंबर से आयोजित किया जाएगा, लेकिन कोरोना के चलते यह मेला बीते साल की तरह ही इस बार भी सादगी से मनाया जाएगा. मेले की शुरुआत 11 सितंबर को कलश स्थापना के साथ होगी और 17 सितंबर को मां नंदा देवी का डोला विसर्जन के साथ ही महोत्सव का समापन हो जाएगा.

अल्मोड़ा नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में हर साल भाद्र मास की शुक्ल पक्ष को लगने वाले मेले की रौनक ही कुछ अलग होती है. अल्मोड़ा शहर सोलहवीं शदी के छठे दशक के आसपास चंद राजाओं की राजधानी के रूप में विकसित हुआ था. नंदादेवी मेला चंद वंश की राज परंपराओं से संबंध रखता है, क्योंकि मां नंदादेवी को चंद वंशीय राजाओं की कुलदेवी माना जाता है.

नंदादेवी महोत्सव 11 सितंबर से

यही वजह है कि इस महोत्सव में आज भी पूजा अनुष्ठान चंद शासकों के पूर्वज ही करते हैं. इस महोत्सव की शुरुआत 1671 से शुरू हुई थी. तब से निरंतर यह महोत्सव मनाया जाता है. पंचमी तिथि से प्रारंभ मेले के अवसर पर दो भव्य मां नंदा-सुनंदा देवी प्रतिमाएं बनाई जाती हैं. पंचमी की रात्रि से ही जागर भी प्रारंभ होती है.

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साल 1671 में शुरू हुआ था नंदादेवी महोत्सवः कहा जाता है कि अल्मोड़ा में नंदा देवी का महोत्सव 1671 से प्रारंभ हुआ था. बाद में कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल ने नंदा की प्रतिमा को मल्ला महल से हटाकर दीप चंदेश्वर मंदिर में स्थापित करवाया था. कहा जाता है कि वर्तमान में स्थित मंदिर में 1816 से मेले का आयोजन होते आ रहा है.

इस बार 11 सितंबर से नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत होगी. जिसके बाद एक सप्ताह तह विभिन्न पूजा अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे. इस पूजा अनुष्ठान को कराने के लिए चंद वंश के राजाओं के वंशज नैनीताल के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे यहां पहुचेंगे. 17 सितंबर को मां नंदादेवी का डोला विसर्जन के साथ ही इस महोत्सव का समापन हो जाएगा.

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