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हिलांस परियोजना की अनूठी पहल, कम दामों पर मिलेंगे ग्रामीण उत्पाद

बागेश्वर जिले में लंबे समय से विकास भवन के कर्मचारी आउटलेट की मांग कर रहे थे. यहां मंडुवा, जौ और चौलाई के बिस्किट, बुरांश का जूस, संतरा, नाशपती, अचार, हल्दी सहित अन्य ग्रामीण उत्पाद कम दामों में मिल सकेंगे.

अब कम दामों पर मिलेंगे ग्रामीण उत्पाद
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Published : Aug 2, 2019, 12:00 AM IST

Updated : Aug 2, 2019, 1:36 PM IST

बागेश्वर: जिले में आजीविका परियोजना को राज्य की ओर से बेहतर कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है. परियोजना के माध्यम से बन रहे स्थानीय उत्पादों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं. जिसके बाद अब परियोजना ने एक और अनूठी पहल शुरू की है.

हिलांस परियोजना की अनूठी पहल.

जैविक उत्पादों को आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से परियोजना ने विकास भवन में हिलांश नामक आउटलेट का शुभारंभ किया. जहां से कर्मचारी, अधिकारी सहित यहां आने वाले लोगों को रियायती दाम पर सीधे किसानों से जैविक उत्पाद मिल सकेंगे.

पढे़ं- कांजी हाउस मामलाः सीएम त्रिवेंद्र ने ETV भारत की खबर पर लगाई मुहर, माना महीने भर में 102 गोवंश की हुई मौत

इस आउटलेट में हमेशा जैविक पहाड़ी उत्पाद मिलेंगे. लंबे समय से विकास भवन के कर्मचारियों द्वारा इस आउटलेट की मांग की जा रही थी. आउटलेट में मंडुवा, जौ और चौलाई के बिस्किट, बुरांश का जूस, संतरा, नाशपती, अचार, हल्दी सहित अन्य ग्रामीण उत्पाद रखे जायेंगे. कोई भी स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों को लाकर सीधे आउटलेट के माध्यम से बेच सकता है.

बता दें कि आजीविका परियोजना में जिले के 700 से अधिक समूह जुड़े हुए हैं. इस तरह के आउटलेट का सीधा लाभ समूह से जुड़े उत्पादकों को होगा. जिससे उनकी आर्थिकी को बेहतर किया जा सकेगा.

बागेश्वर: जिले में आजीविका परियोजना को राज्य की ओर से बेहतर कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है. परियोजना के माध्यम से बन रहे स्थानीय उत्पादों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं. जिसके बाद अब परियोजना ने एक और अनूठी पहल शुरू की है.

हिलांस परियोजना की अनूठी पहल.

जैविक उत्पादों को आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से परियोजना ने विकास भवन में हिलांश नामक आउटलेट का शुभारंभ किया. जहां से कर्मचारी, अधिकारी सहित यहां आने वाले लोगों को रियायती दाम पर सीधे किसानों से जैविक उत्पाद मिल सकेंगे.

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इस आउटलेट में हमेशा जैविक पहाड़ी उत्पाद मिलेंगे. लंबे समय से विकास भवन के कर्मचारियों द्वारा इस आउटलेट की मांग की जा रही थी. आउटलेट में मंडुवा, जौ और चौलाई के बिस्किट, बुरांश का जूस, संतरा, नाशपती, अचार, हल्दी सहित अन्य ग्रामीण उत्पाद रखे जायेंगे. कोई भी स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों को लाकर सीधे आउटलेट के माध्यम से बेच सकता है.

बता दें कि आजीविका परियोजना में जिले के 700 से अधिक समूह जुड़े हुए हैं. इस तरह के आउटलेट का सीधा लाभ समूह से जुड़े उत्पादकों को होगा. जिससे उनकी आर्थिकी को बेहतर किया जा सकेगा.

Intro:एंकर- जिले में आजीविका परियोजना को राज्य की ओर से बेहतर कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है। परियोजना के माध्यम से बन रहे स्थानीय उत्पादों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं। अब परियोजना ने एक और अनूठी पहल की है। जैविक उत्पादों को आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से परियोजना ने विकास भवन में हिलांश नामक आउटलेट का शुभारंभ किया। जहां से कर्मचारी, अधिकारी सहित यहां आने वाले लोगों को रियायती दाम पर सीधे किसानों से जैविक उत्पाद मिल सकेंगे।

वीओ- कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अंतर्गत विकास भवन परिसर में आज हिलांश आउटलेट का शुभारंभ हुआ। इस आउटलेट में हमेशा जैविक पहाड़ी उत्पाद उपलब्ध रहेंगे। लंबे समय से विकास भवन के कर्मचारियों द्वारा इस आउटलेट की मांग की जा रही थी। आउटलेट में मडुवा, जौं और चैलाई के बिस्किट, बुरांश का जूस, संतरा, नाशपाती, अचार, हल्दी सहित अन्य ग्रामीण उत्पाद रखे जायेंगे। कोई भी स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों को लाकर सीधे आउटलेट के माध्यम से बेच सकता है।
बाइट- धर्मेंद्र पांडे, परियोजना प्रबंधक आजीविका परियोजना।

वीओ- आउटलेट के शुभारंभ पर मौजूद डीएम और सीडीओ का कहना था कि आजीविका परियोजना की इस पहल से ग्रामीण उत्पादों को बाजार मिलेगा। उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

बाइट- रंजना राजगुरु डीएम।

एफवीओ - आजीविका परियोजना में जिले के 700 से अधिक समूह जुड़े हैं। इस तरह के आउटलेट का सीधा लाभ समूह से जुड़े उत्पादकों को होगा। जिससे उनकी आर्थिकी भी सुधरेगी। परियोजना की यह पहल वाकई स्वागतयोग्य कदम है।Body:वीओ- कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अंतर्गत विकास भवन परिसर में आज हिलांश आउटलेट का शुभारंभ हुआ। इस आउटलेट में हमेशा जैविक पहाड़ी उत्पाद उपलब्ध रहेंगे। लंबे समय से विकास भवन के कर्मचारियों द्वारा इस आउटलेट की मांग की जा रही थी। आउटलेट में मडुवा, जौं और चैलाई के बिस्किट, बुरांश का जूस, संतरा, नाशपाती, अचार, हल्दी सहित अन्य ग्रामीण उत्पाद रखे जायेंगे। कोई भी स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों को लाकर सीधे आउटलेट के माध्यम से बेच सकता है।
बाइट- धर्मेंद्र पांडे, परियोजना प्रबंधक आजीविका परियोजना।

वीओ- आउटलेट के शुभारंभ पर मौजूद डीएम और सीडीओ का कहना था कि आजीविका परियोजना की इस पहल से ग्रामीण उत्पादों को बाजार मिलेगा। उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

बाइट- रंजना राजगुरु डीएम। Conclusion:एफवीओ - आजीविका परियोजना में जिले के 700 से अधिक समूह जुड़े हैं। इस तरह के आउटलेट का सीधा लाभ समूह से जुड़े उत्पादकों को होगा। जिससे उनकी आर्थिकी भी सुधरेगी। परियोजना की यह पहल वाकई स्वागतयोग्य कदम है।
Last Updated : Aug 2, 2019, 1:36 PM IST
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