अल्मोड़ा: प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज सांस्कृतिक नगरी की बात ही कुछ अलग है. इस क्षेत्र की दिव्यता का इसी बात से पता चलता है कि स्वामी विवेकानंद को भी ये जगह काफी प्रिय थी. जहां वे अकसर ध्यान लगाने आते थे. यहां पौराणिक आस्था और विश्वास से जुड़े कई स्थल हैं. इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं.
यूं तो सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है. लेकिन, सांस्कृतिक पहचान से इतर अल्मोड़ा, धार्मिक एवं पौराणिक आस्था के केंद्रों के लिए भी समूचे प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी रखती है. अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं. जो काषय (कश्यप) पर्वत में स्थित है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं प्राकृतिक सौन्दर्य के साथआध्यात्मिक शांति भी मिलती है. मंदिर निर्माण में प्रयुक्त प्रस्तर-शैली देखकर इतिहासकार इस मंदिर को दूसरी शताब्दी के समयकाल का निर्मित बताते हैं.
अद्भुत शक्तियों को देखकर नासा भी हैरान
मंदिर हवालबाग विकासखंड के सुरंय घाटी में स्थित है. जहां साल भर देश-विदेश के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर की महत्ता इसी बात से बढ़ जाती है देवी मां के इस मंदिर में ऐसी अद्भुत शक्तियां हैं जिसने नासा की भी नींद उड़ा दी. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास के क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है. इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है. जिसे जानने और समझने के लिए लंबे समय से नासा के वैज्ञानिक अध्यन कर रहे हैं. यह स्थान दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां विद्यमान है जो मनुष्य को सकारात्मक उर्जा प्रदान करती हैं.
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कसारदेवी मंदिर की महिमा एवं अपार शक्ति से बड़े-बड़े खगोलीय एवं भू-गर्भ वैज्ञानिक भी हैरान हैं. अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मंदिर और दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं. ये अद्वितीय चुंबकीय शक्ति के केंद्र भी हैं. बता दें कि कसार देवी क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है. यह स्थान 1960-1970 के दशक में 'हिप्पी आंदोलन' का प्रभाव भी इस क्षेत्र में पड़ा था.
मंदिर की पौराणिक मान्यता
मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान से मां भगवती ने शुंभ-निशुंभ दानवों का वध करने के लिए कात्यायनी रूप धरा था. मां दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके दोनों राक्षसों का संहार किया था. तब से यह स्थान विशेष माना जाता है.
स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान
बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक दर्शन की शुरूआत के लिए देवभूमि के कसार देवी की सुरम्य वादियों को चुना था. स्वामी जी 1890 में कसार देवी में आध्यात्मिक एकग्रता एवं ध्यान योग के लिए कुछ महीनों के लिए इस स्थान में आये थे और उन्होंने यहां एक गुफा में ध्यान लगाया था. इसी तरह बोद्ध गुरु लामा अंग्रिका गोविंदा ने भी कसार गुफा में रहकर ही विशेष साधना कर ज्ञान की प्राप्ति की थी.
दर्शन के लिए देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
कसारदेवी मंदिर में पिछले 22 सालों से साधना कर रहे स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध संत का कहना है कि यहां मानसिक शांति की तलाश में काफी महापुरूष आए थे. स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए इसके अलावा यह जगह 60 और 70 के दशक में काफी प्रसिद्ध हुई जब यहां फिलास्फर, राइटर, म्यूजिशियन यहां आए थे. फेमस बैंड ग्रुप बिटल्स के लोग यहां पहुंचे. टीमोथी लेरी जिन्हें फादर आफ हिप्पी आन्दोलन के रूप में भी जाना जाता है वह भी यहां आए थे. उन्होंने बताया कि मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.