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इस मंदिर के चमत्कार को देखकर नासा के वैज्ञानिक भी हैरान, विवेकानंद की रही है तपोभूमि

यूं तो सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है. लेकिन, सांस्कृतिक पहचान से इतर अल्मोड़ा, धार्मिक एवं पौराणिक आस्था के केंद्रों के लिए भी समूचे प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी रखती है. अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं.

कसार देवी मंदिर.
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Published : Sep 13, 2019, 1:26 PM IST

Updated : Sep 13, 2019, 3:29 PM IST

अल्मोड़ा: प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज सांस्कृतिक नगरी की बात ही कुछ अलग है. इस क्षेत्र की दिव्यता का इसी बात से पता चलता है कि स्वामी विवेकानंद को भी ये जगह काफी प्रिय थी. जहां वे अकसर ध्यान लगाने आते थे. यहां पौराणिक आस्था और विश्वास से जुड़े कई स्थल हैं. इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं.

इस मंदिर के चमत्कार को देखकर नासा के वैज्ञानिक भी हैरान.

यूं तो सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है. लेकिन, सांस्कृतिक पहचान से इतर अल्मोड़ा, धार्मिक एवं पौराणिक आस्था के केंद्रों के लिए भी समूचे प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी रखती है. अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं. जो काषय (कश्यप) पर्वत में स्थित है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं प्राकृतिक सौन्दर्य के साथआध्यात्मिक शांति भी मिलती है. मंदिर निर्माण में प्रयुक्त प्रस्तर-शैली देखकर इतिहासकार इस मंदिर को दूसरी शताब्दी के समयकाल का निर्मित बताते हैं.

अद्भुत शक्तियों को देखकर नासा भी हैरान

मंदिर हवालबाग विकासखंड के सुरंय घाटी में स्थित है. जहां साल भर देश-विदेश के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर की महत्ता इसी बात से बढ़ जाती है देवी मां के इस मंदिर में ऐसी अद्भुत शक्तियां हैं जिसने नासा की भी नींद उड़ा दी. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास के क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है. इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है. जिसे जानने और समझने के लिए लंबे समय से नासा के वैज्ञानिक अध्यन कर रहे हैं. यह स्थान दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां विद्यमान है जो मनुष्य को सकारात्मक उर्जा प्रदान करती हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड: कैलाश मानसरोवर के परंपरागत रूट पर टूटा रिकॉर्ड, इस साल 925 यात्रियों ने की यात्रा

कसारदेवी मंदिर की महिमा एवं अपार शक्ति से बड़े-बड़े खगोलीय एवं भू-गर्भ वैज्ञानिक भी हैरान हैं. अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मंदिर और दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं. ये अद्वितीय चुंबकीय शक्ति के केंद्र भी हैं. बता दें कि कसार देवी क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है. यह स्थान 1960-1970 के दशक में 'हिप्पी आंदोलन' का प्रभाव भी इस क्षेत्र में पड़ा था.

मंदिर की पौराणिक मान्यता

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान से मां भगवती ने शुंभ-निशुंभ दानवों का वध करने के लिए कात्यायनी रूप धरा था. मां दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके दोनों राक्षसों का संहार किया था. तब से यह स्थान विशेष माना जाता है.

स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान

बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक दर्शन की शुरूआत के लिए देवभूमि के कसार देवी की सुरम्य वादियों को चुना था. स्वामी जी 1890 में कसार देवी में आध्यात्मिक एकग्रता एवं ध्यान योग के लिए कुछ महीनों के लिए इस स्थान में आये थे और उन्होंने यहां एक गुफा में ध्यान लगाया था. इसी तरह बोद्ध गुरु लामा अंग्रिका गोविंदा ने भी कसार गुफा में रहकर ही विशेष साधना कर ज्ञान की प्राप्ति की थी.

दर्शन के लिए देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

कसारदेवी मंदिर में पिछले 22 सालों से साधना कर रहे स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध संत का कहना है कि यहां मानसिक शांति की तलाश में काफी महापुरूष आए थे. स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए इसके अलावा यह जगह 60 और 70 के दशक में काफी प्रसिद्ध हुई जब यहां फिलास्फर, राइटर, म्यूजिशियन यहां आए थे. फेमस बैंड ग्रुप बिटल्स के लोग यहां पहुंचे. टीमोथी लेरी जिन्हें फादर आफ हिप्पी आन्दोलन के रूप में भी जाना जाता है वह भी यहां आए थे. उन्होंने बताया कि मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

अल्मोड़ा: प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज सांस्कृतिक नगरी की बात ही कुछ अलग है. इस क्षेत्र की दिव्यता का इसी बात से पता चलता है कि स्वामी विवेकानंद को भी ये जगह काफी प्रिय थी. जहां वे अकसर ध्यान लगाने आते थे. यहां पौराणिक आस्था और विश्वास से जुड़े कई स्थल हैं. इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं.

इस मंदिर के चमत्कार को देखकर नासा के वैज्ञानिक भी हैरान.

यूं तो सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है. लेकिन, सांस्कृतिक पहचान से इतर अल्मोड़ा, धार्मिक एवं पौराणिक आस्था के केंद्रों के लिए भी समूचे प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी रखती है. अल्मोड़ा से 5 किमी दूर कसार देवी मंदिर जहां से स्वामी विवेकानंद की कई यादें जुड़ी हुई हैं. जो काषय (कश्यप) पर्वत में स्थित है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं प्राकृतिक सौन्दर्य के साथआध्यात्मिक शांति भी मिलती है. मंदिर निर्माण में प्रयुक्त प्रस्तर-शैली देखकर इतिहासकार इस मंदिर को दूसरी शताब्दी के समयकाल का निर्मित बताते हैं.

अद्भुत शक्तियों को देखकर नासा भी हैरान

मंदिर हवालबाग विकासखंड के सुरंय घाटी में स्थित है. जहां साल भर देश-विदेश के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर की महत्ता इसी बात से बढ़ जाती है देवी मां के इस मंदिर में ऐसी अद्भुत शक्तियां हैं जिसने नासा की भी नींद उड़ा दी. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास के क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है. इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है. जिसे जानने और समझने के लिए लंबे समय से नासा के वैज्ञानिक अध्यन कर रहे हैं. यह स्थान दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां विद्यमान है जो मनुष्य को सकारात्मक उर्जा प्रदान करती हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड: कैलाश मानसरोवर के परंपरागत रूट पर टूटा रिकॉर्ड, इस साल 925 यात्रियों ने की यात्रा

कसारदेवी मंदिर की महिमा एवं अपार शक्ति से बड़े-बड़े खगोलीय एवं भू-गर्भ वैज्ञानिक भी हैरान हैं. अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मंदिर और दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं. ये अद्वितीय चुंबकीय शक्ति के केंद्र भी हैं. बता दें कि कसार देवी क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है. यह स्थान 1960-1970 के दशक में 'हिप्पी आंदोलन' का प्रभाव भी इस क्षेत्र में पड़ा था.

मंदिर की पौराणिक मान्यता

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान से मां भगवती ने शुंभ-निशुंभ दानवों का वध करने के लिए कात्यायनी रूप धरा था. मां दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके दोनों राक्षसों का संहार किया था. तब से यह स्थान विशेष माना जाता है.

स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान

बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक दर्शन की शुरूआत के लिए देवभूमि के कसार देवी की सुरम्य वादियों को चुना था. स्वामी जी 1890 में कसार देवी में आध्यात्मिक एकग्रता एवं ध्यान योग के लिए कुछ महीनों के लिए इस स्थान में आये थे और उन्होंने यहां एक गुफा में ध्यान लगाया था. इसी तरह बोद्ध गुरु लामा अंग्रिका गोविंदा ने भी कसार गुफा में रहकर ही विशेष साधना कर ज्ञान की प्राप्ति की थी.

दर्शन के लिए देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

कसारदेवी मंदिर में पिछले 22 सालों से साधना कर रहे स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध संत का कहना है कि यहां मानसिक शांति की तलाश में काफी महापुरूष आए थे. स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए इसके अलावा यह जगह 60 और 70 के दशक में काफी प्रसिद्ध हुई जब यहां फिलास्फर, राइटर, म्यूजिशियन यहां आए थे. फेमस बैंड ग्रुप बिटल्स के लोग यहां पहुंचे. टीमोथी लेरी जिन्हें फादर आफ हिप्पी आन्दोलन के रूप में भी जाना जाता है वह भी यहां आए थे. उन्होंने बताया कि मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

Intro:यूॅ तो सांस्कृतिक नगरी “अल्मोड़ा“ अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है। लेकिन, सांस्कृतिक पहचान से इतर अल्मोड़ा, धार्मिक एवं पौराणिक आस्था के केंद्रों के लिए भी समूचे प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी रखता है। यहाॅ पौराणिक आस्था, विश्वास एवं मान्यता से जुड़े कईं केंद्र अवस्थित है, इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा से 5 किमी दूरी पर स्थित माता कात्यानी
के साक्षात् दर्शन कराने वाला  सुप्रसिद्ध “कसार देवी” मंदिर। जो अल्मोड़ा के एक गाॅव में काषय (कश्यप) पर्वत में स्थित है। मंदिर निर्माण में प्रयुक्त प्रस्तर-शैली देखकर इतिहासकार इस मंदिर को दूसरी शताब्दी के समयकाल का निर्मित बताते है।  यह मंदिर हवालबाग विकासखंड के सुरंय घाटी में स्थित है। पर्वत अवस्थिति के कारण यह मंदिर जहाॅ माता के दर्शन करने
आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी सुरम्य वादियों एवं प्राकृतिक छटां के कारण आध्यात्मिक शांति देता है तो वहीं यह की हैरान करने वाली विशेषताओं से रोमांचित भी करता है। यह जगह अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी है।



Body:उत्तराखंड देवभूमि का यह स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहाँ खास चुंबकीय शक्तियाँ विद्यमान है जो मनुष्य को सकारात्मक उर्जा प्रदान करते हैं। कसारदेवी मंदिर की महिमा एवं अपार शक्ति से बड़े-बड़े खगोलीय एवं भू-गर्भ वैज्ञानिक भी हैरान हैं। दुनिया के तीन पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शनों के साथ ही मानसिक
शांति भी महसूस होती है। जिनमें अल्मोड़ा स्थित “कसार देवी मंदिर” और दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित “माचू-पिच्चू” व इंग्लैंड के “स्टोन हेंग” में अद्भुत समानताएं हैं। ये अद्वितीय चुंबकीय शक्ति के केंद्र भी हैं। जिससे यहां आने वाले लोगों को अपार मानसिक शांति का अहसास होता है।
नासा के वैज्ञानिकों द्वारा भी कसार पर्वत पर कई सालों तक रिसर्च किया , जिसमे यह निकल कर सामने आया कि यह पूरा क्षेत्र “वैन ऐलन बेल्ट” है। इस जगह में धरती के अंदर विशाल चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है। जिसे रेडिएशन भी कहते है। इस जगह पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है।
अध्ययन करने वालों ने अपने शोध में कसार देवी को चुंबकीय रूप से चार्ज पाया है। उन्होंने बताया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास भी इस तरह की शक्ति निहित है। नासा के वैज्ञानिकों ने यह पाया कि पूरी दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं ,जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं,लेकिन वहां चुंबकीय शक्ति का केन्द्र भी हैं जिनमें अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग है। .

 यह क्षेत्र ‘चीड़’ और ‘देवदार’ के जंगलों का घर है। यह न केवल अल्मोड़ा और हवालबाग घाटी के दृश्य प्रदान करता है। साथ ही साथ हिमाचल प्रदेश सीमा पर बंदरपंच शिखर से लेकर नेपाल में स्थित ‘एपी हिमल’ हिमालय के मनोरम दृश्य भी प्रदान करता है। हिन्दुस्तान के लोग शायद ही ये जानते होंगे कि ये स्थान जितना प्राचीन और धार्मिक महत्व का है। उतना ही वैज्ञानिक लिहाज से
भी अहम है।कसार देवी क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है। यह स्थान 1960-1970 के दशक में “हिप्पी आंदोलन” प्रभाव भी इस क्षेत्र में पड़ा था।
उत्तराखंड के अल्मोडा जिले से 5 किमी दूरी पर स्थित काषय (कश्यप) पर्वत पर मौजूद माॅ कसार देवी की शक्तियों का एहसास इस स्थान के कड़-कड़ में होता है। अल्मोड़ा-बागेश्वर हाईवे पर “कसार” नामक गांव में स्थित मंदिर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बना हुआ है। कहा जाता है कि कसार देवी मंदिर में माॅ दुर्गा साक्षात् प्रकट हुयी थी। मंदिर में माॅ दुर्गा के आठ रूपों में से एक रूप “देवी कात्यायनी” की पूजा की जाती है। मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान में ढाई हजार साल पहले “माॅ दुर्गा” ने शंुभ-निशुंभ नाम के दो राक्षसों का वध करने के लिए “देवी कात्यायनी” का रूप धारण किया था। माॅ दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके दोनों राक्षसों का संहार किया था। तब से यह स्थान विशेष माना
जाता है।
बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक दर्शन की शुरूआत के लिए देवभूमि के कसार देवी की सुरम्य वादियों को चुना था। वे, 1890 में कसार देवी में आध्यात्मिक एकग्रता एवं ध्यान योग के लिए कुछ महीनों के लिए इस स्थान में आये थे और उन्होंने यहां एक गुफा में ध्यान लगाया था। इसी तरह बोद्ध गुरु “लामा अंग्रिका गोविंदा” ने भी कसार गुफा में रहकर ही विशेष साधना कर ज्ञान की प्राप्ति की थी।
कसारदेवी मंदिर में पिछले 22 सालों से साधना कर रहे स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध संत कहना है कि यहां मानसिक शांति की तलाश में काफी महापुरूष आए थे। स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए इसके अलावा यह जगह 60 और 70 के दशक में काफी प्रसिद्ध हुई जब यहां फिलास्फर , राइटर ,
म्यूजिशियन यहां आए। फेमस बैंड गु्रप बिटल्स के लोग यहां पहुंचे। टीमोथी लेरी जिन्हें फादर आफ हिप्पी आन्दोलन के रूप में भी जाना जाता है वह भीयहां पहुंचे। वह बताते हैं इस जगह पर अलग ही प्रकार की ऊर्जा विद्यमान हैं जो दुनिया की तीसरी ऐसी जगह है।

इस जगह में कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। यह स्थान ध्यान और योग करने वालों के लिए बहुत ही उपयुक्त केंद्र रूप में ख्याति प्राप्त कर चुका है। माता के सच्चे भक्तांे को मंदिर में पहॅुचने के लिए सैकडों सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी तनिक भी थकान महसूस नहीं होती है। यहां आकर श्रद्धालु असीम मानसिक शांति की
अनुभूति होती है। यह वह पवित्र स्थान है, जहां भारत का प्रत्येक सच्चा हिन्दू धर्मालु व्यक्ति अपने जीवन का अंतिम पुरुषार्थ काल बिताने को इच्छुक रहता है। अधिकांश आत्मा- परमात्मा के एकाकार के लिए इस धार्मिक केंद्र को मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख केंद्र के रूप में अति उपयुक्त मानते है। अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश-विदेश से भी पर्यटक यहाॅ भारी
संख्या में आते है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा में (नवंबर-दिसंबर) को कसार देवी का मेला लगता है।

बाइट-स्वामी विवेकानंद, कसारदेवी में साधनारत संत
बाइट -नरेश कुमार, पर्यटक
बाइट-प्रशांत , पर्यटक


Conclusion:
Last Updated : Sep 13, 2019, 3:29 PM IST
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