अल्मोड़ा: उत्तराखंड में उड़नपरी के नाम से मशहूर अंतरराष्ट्रीय एथलीट गरिमा जोशी का परिवार इनदिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. हालात ये है कि कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण उनका मकान नीलाम होने को है. इस आर्थिक बोझ से परेशान होकर एथलीट जोशी के पिता ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है. ईटीवी भारत ने एथलीट गरिमा जोशी के पिता पूरन जोशी से एक्सक्लूसिव बातचीत की...
एथलीट गरिमा जोशी के पिता पूरन जोशी ने बातचीत में कहा कि उनकी बेटी का लंबे समय से इलाज चल रहा है और उनकी पत्नी को भी कैंसर था. जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनकी बेटी और पत्नी के इलाज का खर्चा उठाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब सरकार अपने वादे से मुकर गई है.
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पूरन जोशी ने बताया कि पत्नी और बेटी के इलाज के लिए उन्होंने बैंक से कर्जा लिया था, लेकिन कर्जा न चुकान पाने के कारण अब उनका मकान नीलाम होने जा रहा है. ऐसे परिस्थिति में वे दर-बदर की ठोकरें खाने के मजबूर हैं. आज उन्हें इस आर्थिक तंगी से उबरने के लिए मदद की दरकार है.
पूरन जोशी के मुताबिक, वे मदद के लिए मोदी सरकार को भी पत्र लिख चुके हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी. आखिर में थक हारकर उन्होंने पिछले दिनों राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है. जोशी ने बताया कि वह एक महीने का इंतजार कर रहे हैं अगर एक महीने में उनकी कोई मदद नहीं होती है तो वो खुद आत्महत्या कर लेंगे. जिसकी जिम्मेदार राज्य सरकार होगी. उन्होंने बेटी और पत्नी के इलाज के लिए बैंक से कर्ज लिया, जिसे वे चुका नहीं पाए. अब उनके मकान के नीलामी का आदेश आया है.
बता दें कि मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के छतगुल्ला गांव की रहने वाली एथलीट गरिमा जोशी अंतरराष्ट्रीय पर स्वर्ण पदक जीतकर देश और उत्तराखंड का नाम रोशन कर चुकी हैं. जिसे उत्तराखंड की उड़नपरी के नाम से भी जाना जाता है.
बेंगलूरु में हुआ था हादसा
बीते साल गरीमा बेंगलूरु में अभ्यास के दौरान सड़क हादसे में घायल हो गई थी. इस हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. जिस कारण वे व्हीलचेयर पर आ गई थी. उनका स्पाइनल इंजरी का इलाज चल रहा है. इतना ही नहीं गरिमा की मां भी कैंसर से जूझ रही थी. जिनका बीते लंबे समय से दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन उनकी भी इसी साल मार्च में मौत हो गई थी.
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व्हीलचेयर बास्केटबॉल की कप्तान है गरीमा
गरिमा की प्रतिभा को देखते हुए हरियाणा ने कुछ महीने पहले उन्हें राज्य की व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम का कप्तान बनाया है. गरिमा के इलाज में अबतक लाखों रुपये का खर्च आ चुका है.
सरकार 13 लाख की मदद कर चुकी है
गरिमा के पिता पूरन जोशी का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने गरिमा के पूर्ण इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया था, लेकिन 13 लाख 10 हजार की आर्थिक मदद के बाद सरकार अब सरकार बिलों का भुगतान नहीं कर रही है. उनका कहना है कि अचानक इतने दु:खों का पहाड़ उनके सिर पर टूटने से वह अब जीना नहीं चाहते हैं. इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है.