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अल्मोड़ा में होगी सेब की खेती, उन्नत प्रजाति के पौधे विकसित करने में जुटा उद्यान विभाग - अल्मोड़ा में सेब के बगीचे

अल्मोड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में हिमाचल की तर्ज पर सेब की उन्नत प्रजाति की बागवानी विकसित की जा रही है. शीतलाखेत में सेब की स्पर किस्म की नर्सरी विकसित की गई है. जबकि, ताड़ीखेत, हवालबाग, ताकुला विकासखंड में भी सेब की नर्सरी तैयार की जा रही है.

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अल्मोड़ा में सेब
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Published : Oct 24, 2020, 4:41 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 5:25 PM IST

अल्मोड़ाः हिमाचल की तर्ज पर अल्मोड़ा में भी सेब की खेती होगी. जिसके लिए उद्यान विभाग जिले के हर विकासखंडों में उद्यान विकसित करने की कवायद में जुटा हुआ है. खासकर अल्मोड़ा के पहाड़ी क्षेत्रो में सेब उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए उद्यान विभाग सेब के उन्नत प्रजाति के बगीचे तैयार कर रहा है. जल्द ही किसानों को इससे जोड़ा जाएगा. जिससे किसानों की आय में इजाफा हो सके. फिलहाल, जिले के ताड़ीखेत, हवालबाग, ताकुला विकासखंड में उद्यान विभाग सेब की नर्सरी विकसित करने में जुटा है.

अल्मोड़ा में होगी सेब की खेती.

अल्मोड़ा जिले के कई क्षेत्र फलोत्पादन के लिए मुफीद हैं, लेकिन अच्छी प्रजाति के पौधे नहीं मिल पाने से काश्तकार उद्यानीकरण से विमुख हो रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में सेब उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं. इसी को देखते हुए उद्यान विभाग की ओर से ताड़ीखेत के बिल्लेख में सेब के सफल उत्पादन के बाद अब अन्य विकासखंडों में इसके उद्यानीकरण की प्रकिया शुरू कर दी गई है.

ये भी पढ़ेंः काश्तकारों की आय बढ़ाएगी कीवी, बागवानी को लेकर कवायद तेज

मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय सेब मिशन योजना के तहत अल्मोड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में हिमाचल की तर्ज पर सेब की उन्नत प्रजाति की बागवानी विकसित की जा रही है. ताड़ीखेत ब्लॉक के बिल्लेख में सेब की सफल पैदावार होने के बाद अब शीतलाखेत में उद्यान विभाग की ओर से सेब की बागवानी विकसित की जा रही है. उन्होंने बताया कि यहां नौ प्रजाति के सेब की उन्नत प्रजाति विकसित की जा रही है. धीरे-धीरे आगे इससे जिले के किसानों को जोड़ा जाएगा. जिससे उनकी आय में इजाफा हो सके.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के सेब को मिलने लगी अपनी पहचान, उद्यान विभाग मुहैया करा रहा कार्टन

उन्होंने बताया कि जिले के लिए रेड चीफ, गोल्डन डेविल, रेड फ्यूजी, बांस डेलिसिस, हनी क्राप्स, जेल गाला, सुपर चीफ सेब की प्रजातियां उपयुक्त हैं. शीतलाखेत में इन प्रजातियों के सेब की स्पर किस्म की नर्सरी विकसित की गई है. यहां इन प्रजातियों के करीब 500 के सेब के पेड़ लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि यह सेब का पेड़ 2 से 3 सालों में फल देने लग जाते हैं. अभी उद्यान विभाग इन्हें अपनी नर्सरी में उगा रहा है. आगे इसके पौध सरकार की योजनाओं के माध्यम से किसानों को दिए जाएंगे.

अल्मोड़ाः हिमाचल की तर्ज पर अल्मोड़ा में भी सेब की खेती होगी. जिसके लिए उद्यान विभाग जिले के हर विकासखंडों में उद्यान विकसित करने की कवायद में जुटा हुआ है. खासकर अल्मोड़ा के पहाड़ी क्षेत्रो में सेब उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए उद्यान विभाग सेब के उन्नत प्रजाति के बगीचे तैयार कर रहा है. जल्द ही किसानों को इससे जोड़ा जाएगा. जिससे किसानों की आय में इजाफा हो सके. फिलहाल, जिले के ताड़ीखेत, हवालबाग, ताकुला विकासखंड में उद्यान विभाग सेब की नर्सरी विकसित करने में जुटा है.

अल्मोड़ा में होगी सेब की खेती.

अल्मोड़ा जिले के कई क्षेत्र फलोत्पादन के लिए मुफीद हैं, लेकिन अच्छी प्रजाति के पौधे नहीं मिल पाने से काश्तकार उद्यानीकरण से विमुख हो रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में सेब उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं. इसी को देखते हुए उद्यान विभाग की ओर से ताड़ीखेत के बिल्लेख में सेब के सफल उत्पादन के बाद अब अन्य विकासखंडों में इसके उद्यानीकरण की प्रकिया शुरू कर दी गई है.

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मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय सेब मिशन योजना के तहत अल्मोड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में हिमाचल की तर्ज पर सेब की उन्नत प्रजाति की बागवानी विकसित की जा रही है. ताड़ीखेत ब्लॉक के बिल्लेख में सेब की सफल पैदावार होने के बाद अब शीतलाखेत में उद्यान विभाग की ओर से सेब की बागवानी विकसित की जा रही है. उन्होंने बताया कि यहां नौ प्रजाति के सेब की उन्नत प्रजाति विकसित की जा रही है. धीरे-धीरे आगे इससे जिले के किसानों को जोड़ा जाएगा. जिससे उनकी आय में इजाफा हो सके.

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उन्होंने बताया कि जिले के लिए रेड चीफ, गोल्डन डेविल, रेड फ्यूजी, बांस डेलिसिस, हनी क्राप्स, जेल गाला, सुपर चीफ सेब की प्रजातियां उपयुक्त हैं. शीतलाखेत में इन प्रजातियों के सेब की स्पर किस्म की नर्सरी विकसित की गई है. यहां इन प्रजातियों के करीब 500 के सेब के पेड़ लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि यह सेब का पेड़ 2 से 3 सालों में फल देने लग जाते हैं. अभी उद्यान विभाग इन्हें अपनी नर्सरी में उगा रहा है. आगे इसके पौध सरकार की योजनाओं के माध्यम से किसानों को दिए जाएंगे.

Last Updated : Oct 24, 2020, 5:25 PM IST
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