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प्रधानों के पास प्रवासियों को क्वारंटाइन करने को नहीं है पर्याप्त व्यवस्था

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Published : May 22, 2020, 1:45 PM IST

लॉकडाउन के बीच आए दिन सैकड़ों प्रवासी अपने गांव पहुंच रहे हैं. सोमेश्वर की ग्राम पंचायत सुनोली में अब तक 91 प्रवासी पहुंचे हैं. 91 प्रवासियों में से केवल 18 को स्वर्गीय सोबन सिंह जीना राजकीय संग्रहालय और सुनोली पंचायत भवन में क्वारंटाइन किया गया है. ग्राम प्रधानों का कहना है कि उनके पास लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

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प्रवासियों के क्वरेंटाइन के लिए नहीं है उचित व्यवस्था.

सोमेश्वर: लॉकडाउन के बीच गांवों में पहुंच रहे सैकड़ों प्रवासियों को सरकार की ओर से संस्थागत क्वारंटाइन नहीं किया जा रहा है. प्रशासन ने होम क्वारंटाइन का जिम्मा ग्राम प्रधानों को सौंप दिया है. ग्राम प्रधानों के पास प्रवासियों को क्वारंटाइन करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है.

प्रवासियों के क्वारंटाइन के लिए नहीं है उचित व्यवस्था.

ग्राम प्रधानों ने जल्द से जल्द तमाम प्रवासियों को संस्थागत क्वारंटाइन करने की मांग की है. ताकुला विकासखंड में बाहर से पहुंच रहे सैकड़ों प्रवासियों को क्वारंटाइन करने के मामले में शासन प्रशासन चुप्पी साधे हुए है. हालत यह है कि गांवों में आ रहे अनेक प्रवासियों के पास आवास की समस्या के कारण उन्हें संयुक्त रूप से रहना पड़ रहा है. ग्राम प्रधानों का आरोप है कि सरकार ने प्रवासियों को ग्राम प्रधानों के जिम्मे डालकर अपनी जिम्मेदारी से भागने का काम किया है.

बानगी के तौर पर ताकुला ब्लॉक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सुनोली को ही ले लें. यहां अभी तक 91 प्रवासी गांव में पहुंच चुके हैं. प्रवासियों का आना जारी है. सूत्रों के अनुसार इससे भी अधिक प्रवासी रास्ते में हैं जो कि 2-3 दिन के अंदर गांव पहुंचने वाले हैं. विकासखंड की सबसे अधिक आबादी वाली इस ग्राम पंचायत में पहुंचे 91 प्रवासियों में से केवल 18 लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन किया गया है. इन दोनों भवनों की क्षमता इतने ही लोगों को रखने की है. बाकी 73 प्रवासी अपने घरों में होम क्वारंटाइन में हैं.

यह भी पढ़ें-उत्तराखंड: कोरोना संकट के बीच बड़ी लापरवाही, डेढ़ घंटे एम्बुलेंस में इंतजार करते रहे 4 कोरोना मरीज

सुनोली की ग्राम प्रधान मीना देवी का कहना है कि जब गांव में सबके पास पर्याप्त कमरे ही नहीं हैं तो होम क्वारंटाइन करने के सरकारी आदेशों का पालन कैसे हो सकता है? पंचायत सदस्यों की ओर से 3 दिन पहले उप जिलाधिकारी को मांग पत्र भी सौंपा गया था. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रवासियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय दलाड़, राजकीय प्राथमिक विद्यालय नकशिला और राजकीय इंटर कॉलेज सुनोली में संस्थागत क्वारंटाइन करने की मांग की थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

यह भी पढ़ें-किसानों की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री से मिले कांग्रेस नेता

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर जोशी का कहना है कि क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों ने प्रशासन को राय दी थी कि बाहरी राज्यों से आ रहे प्रवासियों को गांव से बाहर स्थित कुमाऊं मंडल विकास निगम के पर्यटक गृह बिनसर, महेंद्रा एंड महेंद्रा रिसॉर्ट बसौली सहित समस्त इंटर कॉलेजों और प्राथमिक विद्यालयों में संस्थागत क्वारंटाइन किया जाए, लेकिन शासन-प्रशासन ने ग्रामीणों की अनसुनी कर गांवों में क्षमता से अधिक प्रवासियों को आने की अनुमति दे दी है. प्रशासन को चाहिए कि शीघ्र उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप प्रवासियों के संस्थागत क्वारंटाइन की व्यवस्था करे.

ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष रणजीत नयाल का कहना है कि कई बार बिगड़ते हालातों से प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है. तहसील कार्यालय में एसडीएम को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, लेकिन गांवों में चुपचाप पहुंच रहे प्रवासियों की न तो प्रशासन से सूची मिल रही है और न ही उन्हें संस्थागत क्वारंटाइन करने के प्रयास किए जा रहे हैं. सोमेश्वर क्षेत्र के 66 ग्राम पंचायतों में सैकड़ों प्रवासी पहुंचे हैं. इनमें अधिकांश बाजारों में भी घूमते हैं और प्रशासन के पास उनकी कोई सूची नहीं है. अकेले ग्राम प्रधान इस मामले से कैसे निपट सकते हैं. सरकार से अनुरोध है कि प्रवासियों को संस्थागत क्वारंटाइन किया जाय जिसमें प्रधान भी पूर्ण सहयोग करेंगे.

सोमेश्वर: लॉकडाउन के बीच गांवों में पहुंच रहे सैकड़ों प्रवासियों को सरकार की ओर से संस्थागत क्वारंटाइन नहीं किया जा रहा है. प्रशासन ने होम क्वारंटाइन का जिम्मा ग्राम प्रधानों को सौंप दिया है. ग्राम प्रधानों के पास प्रवासियों को क्वारंटाइन करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है.

प्रवासियों के क्वारंटाइन के लिए नहीं है उचित व्यवस्था.

ग्राम प्रधानों ने जल्द से जल्द तमाम प्रवासियों को संस्थागत क्वारंटाइन करने की मांग की है. ताकुला विकासखंड में बाहर से पहुंच रहे सैकड़ों प्रवासियों को क्वारंटाइन करने के मामले में शासन प्रशासन चुप्पी साधे हुए है. हालत यह है कि गांवों में आ रहे अनेक प्रवासियों के पास आवास की समस्या के कारण उन्हें संयुक्त रूप से रहना पड़ रहा है. ग्राम प्रधानों का आरोप है कि सरकार ने प्रवासियों को ग्राम प्रधानों के जिम्मे डालकर अपनी जिम्मेदारी से भागने का काम किया है.

बानगी के तौर पर ताकुला ब्लॉक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सुनोली को ही ले लें. यहां अभी तक 91 प्रवासी गांव में पहुंच चुके हैं. प्रवासियों का आना जारी है. सूत्रों के अनुसार इससे भी अधिक प्रवासी रास्ते में हैं जो कि 2-3 दिन के अंदर गांव पहुंचने वाले हैं. विकासखंड की सबसे अधिक आबादी वाली इस ग्राम पंचायत में पहुंचे 91 प्रवासियों में से केवल 18 लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन किया गया है. इन दोनों भवनों की क्षमता इतने ही लोगों को रखने की है. बाकी 73 प्रवासी अपने घरों में होम क्वारंटाइन में हैं.

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सुनोली की ग्राम प्रधान मीना देवी का कहना है कि जब गांव में सबके पास पर्याप्त कमरे ही नहीं हैं तो होम क्वारंटाइन करने के सरकारी आदेशों का पालन कैसे हो सकता है? पंचायत सदस्यों की ओर से 3 दिन पहले उप जिलाधिकारी को मांग पत्र भी सौंपा गया था. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रवासियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय दलाड़, राजकीय प्राथमिक विद्यालय नकशिला और राजकीय इंटर कॉलेज सुनोली में संस्थागत क्वारंटाइन करने की मांग की थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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वहीं सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर जोशी का कहना है कि क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों ने प्रशासन को राय दी थी कि बाहरी राज्यों से आ रहे प्रवासियों को गांव से बाहर स्थित कुमाऊं मंडल विकास निगम के पर्यटक गृह बिनसर, महेंद्रा एंड महेंद्रा रिसॉर्ट बसौली सहित समस्त इंटर कॉलेजों और प्राथमिक विद्यालयों में संस्थागत क्वारंटाइन किया जाए, लेकिन शासन-प्रशासन ने ग्रामीणों की अनसुनी कर गांवों में क्षमता से अधिक प्रवासियों को आने की अनुमति दे दी है. प्रशासन को चाहिए कि शीघ्र उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप प्रवासियों के संस्थागत क्वारंटाइन की व्यवस्था करे.

ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष रणजीत नयाल का कहना है कि कई बार बिगड़ते हालातों से प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है. तहसील कार्यालय में एसडीएम को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, लेकिन गांवों में चुपचाप पहुंच रहे प्रवासियों की न तो प्रशासन से सूची मिल रही है और न ही उन्हें संस्थागत क्वारंटाइन करने के प्रयास किए जा रहे हैं. सोमेश्वर क्षेत्र के 66 ग्राम पंचायतों में सैकड़ों प्रवासी पहुंचे हैं. इनमें अधिकांश बाजारों में भी घूमते हैं और प्रशासन के पास उनकी कोई सूची नहीं है. अकेले ग्राम प्रधान इस मामले से कैसे निपट सकते हैं. सरकार से अनुरोध है कि प्रवासियों को संस्थागत क्वारंटाइन किया जाय जिसमें प्रधान भी पूर्ण सहयोग करेंगे.

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