सोमेश्वर: उत्तराखंड सरकार जहां एक ओर प्रदेश में नये उद्योगों की स्थापना कर रोजगार सृजित करने की बात कर रही है. वहीं दूसरी ओर दशकों पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित उद्योग आज बंद पड़े हैं. जिस कारण मशीनरी जंक लगने से बर्बाद हो रही हैं. हैरानी की बात है कि कबाड़ में तब्दील मशीनरी की चौकीदारी करवाने में विभाग पिछले 24 सालों में लाखों का वेतन भुगतान कर चुका है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी हल्द्वानी कार्यालय में बैठकर पिछले 10 सालों से कबाड़ की नीलामी की बात कर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.
सोमेश्वर तहसील के तहत ग्राम पंचायत फल्यांटी में वर्ष 1979 में भूतत्व एवं खनिज विभाग ने लाखों की कीमत की मशीनों के साथ चूना एवं सीमेंट उद्योग की स्थापना की थी. लेकिन साल 1995 से यह उद्योग बंद है. जिसके बाद से विभाग की ड्रिल मशीनें, क्रेशिंग पम्प, बिट, कोर बैरल, तम्बू और फर्नीचर सहित अन्य कई सामान आज तक फल्यांटी में सोमेश्वर-गिरेछिना सड़क किनारे पड़ा हुआ है. जिसके लिए वेतनभोगी चौकीदार तैनात कर विभागीय अधिकारी पिछले 24 सालों से कुम्भकर्णी नींद में हैं.
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कबाड़ बन चुकी सामग्री की चौकीदारी में तैनात कर्मचारी किशन राम का कहना है कि वह कई वर्षों से सड़क किनारे पड़े इन सामानों की चौकीदारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह अपना वेतन हल्द्वानी के कार्यालय से लेते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि इन मशीनों को देखने कोई नहीं आता है.