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सड़क पर जंग खा रही लाखों की मशीनें, रखवाली कर रहे चौकीदार को बांट दिए लाखों - खनिज विभाग सोमेश्वर

अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर में भू-तत्व एवं खनिज विभाग पिछले 24 सालों से कबाड़ बन चुकी मशीनरी की चौकीदारी करवा रहा है. विभाग अबतक इन मशीनों को नीलाम भी नहीं करवा पाया है. वहीं संबंधित अधिकारी लाखों के नुकसान पर मूक दर्शक बने हुए हैं.

सड़क पर सड़ रही लाखों की मशीनें.
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Published : Oct 7, 2019, 11:27 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 10:36 AM IST

सोमेश्वर: उत्तराखंड सरकार जहां एक ओर प्रदेश में नये उद्योगों की स्थापना कर रोजगार सृजित करने की बात कर रही है. वहीं दूसरी ओर दशकों पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित उद्योग आज बंद पड़े हैं. जिस कारण मशीनरी जंक लगने से बर्बाद हो रही हैं. हैरानी की बात है कि कबाड़ में तब्दील मशीनरी की चौकीदारी करवाने में विभाग पिछले 24 सालों में लाखों का वेतन भुगतान कर चुका है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी हल्द्वानी कार्यालय में बैठकर पिछले 10 सालों से कबाड़ की नीलामी की बात कर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.

सोमेश्वर तहसील के तहत ग्राम पंचायत फल्यांटी में वर्ष 1979 में भूतत्व एवं खनिज विभाग ने लाखों की कीमत की मशीनों के साथ चूना एवं सीमेंट उद्योग की स्थापना की थी. लेकिन साल 1995 से यह उद्योग बंद है. जिसके बाद से विभाग की ड्रिल मशीनें, क्रेशिंग पम्प, बिट, कोर बैरल, तम्बू और फर्नीचर सहित अन्य कई सामान आज तक फल्यांटी में सोमेश्वर-गिरेछिना सड़क किनारे पड़ा हुआ है. जिसके लिए वेतनभोगी चौकीदार तैनात कर विभागीय अधिकारी पिछले 24 सालों से कुम्भकर्णी नींद में हैं.

पढ़ें- देहरादूनः परेड ग्राउंड में मंगलवार शाम 6.05 बजे होगा 62 फुट के रावण का दहन

कबाड़ बन चुकी सामग्री की चौकीदारी में तैनात कर्मचारी किशन राम का कहना है कि वह कई वर्षों से सड़क किनारे पड़े इन सामानों की चौकीदारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह अपना वेतन हल्द्वानी के कार्यालय से लेते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि इन मशीनों को देखने कोई नहीं आता है.

सोमेश्वर: उत्तराखंड सरकार जहां एक ओर प्रदेश में नये उद्योगों की स्थापना कर रोजगार सृजित करने की बात कर रही है. वहीं दूसरी ओर दशकों पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित उद्योग आज बंद पड़े हैं. जिस कारण मशीनरी जंक लगने से बर्बाद हो रही हैं. हैरानी की बात है कि कबाड़ में तब्दील मशीनरी की चौकीदारी करवाने में विभाग पिछले 24 सालों में लाखों का वेतन भुगतान कर चुका है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी हल्द्वानी कार्यालय में बैठकर पिछले 10 सालों से कबाड़ की नीलामी की बात कर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.

सोमेश्वर तहसील के तहत ग्राम पंचायत फल्यांटी में वर्ष 1979 में भूतत्व एवं खनिज विभाग ने लाखों की कीमत की मशीनों के साथ चूना एवं सीमेंट उद्योग की स्थापना की थी. लेकिन साल 1995 से यह उद्योग बंद है. जिसके बाद से विभाग की ड्रिल मशीनें, क्रेशिंग पम्प, बिट, कोर बैरल, तम्बू और फर्नीचर सहित अन्य कई सामान आज तक फल्यांटी में सोमेश्वर-गिरेछिना सड़क किनारे पड़ा हुआ है. जिसके लिए वेतनभोगी चौकीदार तैनात कर विभागीय अधिकारी पिछले 24 सालों से कुम्भकर्णी नींद में हैं.

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कबाड़ बन चुकी सामग्री की चौकीदारी में तैनात कर्मचारी किशन राम का कहना है कि वह कई वर्षों से सड़क किनारे पड़े इन सामानों की चौकीदारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह अपना वेतन हल्द्वानी के कार्यालय से लेते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि इन मशीनों को देखने कोई नहीं आता है.

Intro:सोमेश्वर में भू-तत्व एवं खनिज विभाग कबाड़ बन चुकी मशीनरी की चौकीदारी में मशीनों की कीमत से अधिक चौकीदारी में वेतन दे चुका है। विभाग की कार्यशैली हैरान करने वाली है कि वह पूरा समान जो कि लगभग 3-4 ट्रक मात्र है इस कबाड़ को नीलाम भी नही कर पा रहा है। और उसके जिम्मेदार अधिकारी जो कि अल्मोड़ा या हल्द्वानी के कार्यालय में बैठते हैं मामले से बेख़बर हैं।Body:सोमेश्वर। उत्तरांचल सरकार जहां एक ओर प्रदेश में नये उद्योगों की स्थापना कर रोजगार सृजित करने की बात कर रही है। वहीं दूसरी ओर दशकों पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित उद्योग आज बंद पड़े हैं और उनकी मशीनरी जंक लगने से बर्बाद हो रही है। हैरानी की बात है कि कबाड़ में तबदील मशीनरी की चौकीदारी में विभाग पिछले 35 वर्षों में लाखों का वेतन भुगतान कर सरकारी धन का दुरुपयोग भी कर चुका है। यही नही जिम्मेदार अधिकारी हल्द्वानी कार्यालय में बैठकर पिछले 10 वर्षों से कबाड़ की नीलामी की बात कर मामले से पल्ला झाड़ते रहे हैं।
सोमेश्वर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत फल्यांटी में वर्ष 1979 में भूतत्व एवं खनिज विभाग ने लाखों कीमत की मशीनों के साथ जिस चूना एवं सीमेंट उद्योग की स्थापना की थी वह वर्ष 1995 से बंद है। मनसा घाटी के गिरेछीना की पहाड़ी में चूना एवं सीमेंट उत्पादन की अपार सम्भावनाओं को देखते हुए जिस उद्योग की स्थापना की थी। उसमें विभाग की ड्रिल मशीनें, क्रेशिंग पम्प, बिट, कोर बैरल, तम्बू तथा फर्नीचर सहित अन्य साजो सामान आज तक फल्यांटी में सोमेश्वर-गिरेछिना सड़क किनारे पड़ा है। और हजारों का वेतनभोगी चौकीदार तैनात कर विभागीय अधिकारी पिछले 35 वर्षों से कुम्भकर्णी नींद में हैं।
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के समय वर्ष 1995 में जब यह उद्योग बंद हुआ तब इसमें दैनिक मजदूरों सहित 50 से अधिक लोगों को रोजगार मिला था। साथ ही झिरोली मैनेसाइट को भी यहां का कच्चा माल आपूर्ति करने की योजना विभाग थी। लेकिन यह उद्योग पिछले 35 वर्षों से बंद पड़ा है। कबाड़ बन चुकी सामग्री की चौकीदारी में तैनात कर्मचारी किसन राम का कहना है कि वह वर्षों से सड़क किनारे पड़े सामान की चौकीदारी कर रहे हैं। वह अपना वेतन हल्द्वानी के कार्यालय से आहरण करते हैं और स्थल पर कोई देखने नही आते हैं।Conclusion:
Last Updated : Oct 8, 2019, 10:36 AM IST
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