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कोरोना काल में पर्यावरण में दिख रहे सकारात्‍मक बदलाव, शोध में जुटा जीबी पंत पर्यावरण संस्थान - आरएस रावल

कोरोना काल में पर्यावरण पर सकरात्मक असर पड़ा है. इसी कड़ी में गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण और विकास संस्थान शोध में जुट गया है.

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जीबपंत रिर्सच संस्थान
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Published : Aug 3, 2020, 5:03 PM IST

अल्मोड़ा: कोरोना काल में जहां देश- दुनिया को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. वहीं पर्यावरण पर कोरोना का साकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कोरोना काल के दौरान हिमालयी क्षेत्रों में हुए बदलाव और प्रभाव को जानने के लिए दुनिया के बड़े संस्थान आंकड़े एकत्र करने में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में हिमालयी राज्यों के हिमालयी क्षेत्रों लंबे समय से शोध करने वाला गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान शोध में जुट गया है.

संस्थान के निदेशक आरएस रावल का कहना है कि कोरोना काल के शुरू होने के साथ ही गतिविधियां बंद होने से देश- दुनिया में कार्बन का उत्सर्जन कम हो गया. वातावरण में कार्बन की मात्रा में कमी का असर हिमालय क्षेत्रों के ग्लेशियरों के साथ ग्लोबल वार्मिंग पर निश्चित तौर पर पड़ा है. रावल ने कहा कि विश्व के कई बड़े संस्थान कोरोना के दौरान वैश्विक गतिविधियों पर शोध कर रहें हैं.

पढ़े: रक्षाबंधन पर त्रिवेंद्र सरकार का तोहफा, आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स को मिलेंगे एक हजार रुपए

इसी क्रम में गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण और विकास संस्थान हिमालय क्षेत्रों में कोरोना के दौरान आंकड़े एकत्र कर डाटा तैयार कर रहा है. पूरी रिसर्च और विश्लेषण के बाद दुनिया के सामने कोरोना के दौरान कार्बन उत्सर्जन में कमी से वातावरण और वनस्पितियों पर कितना प्रभाव पड़ा? इस पर रिसर्च जारी है.

अल्मोड़ा: कोरोना काल में जहां देश- दुनिया को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. वहीं पर्यावरण पर कोरोना का साकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कोरोना काल के दौरान हिमालयी क्षेत्रों में हुए बदलाव और प्रभाव को जानने के लिए दुनिया के बड़े संस्थान आंकड़े एकत्र करने में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में हिमालयी राज्यों के हिमालयी क्षेत्रों लंबे समय से शोध करने वाला गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान शोध में जुट गया है.

संस्थान के निदेशक आरएस रावल का कहना है कि कोरोना काल के शुरू होने के साथ ही गतिविधियां बंद होने से देश- दुनिया में कार्बन का उत्सर्जन कम हो गया. वातावरण में कार्बन की मात्रा में कमी का असर हिमालय क्षेत्रों के ग्लेशियरों के साथ ग्लोबल वार्मिंग पर निश्चित तौर पर पड़ा है. रावल ने कहा कि विश्व के कई बड़े संस्थान कोरोना के दौरान वैश्विक गतिविधियों पर शोध कर रहें हैं.

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इसी क्रम में गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण और विकास संस्थान हिमालय क्षेत्रों में कोरोना के दौरान आंकड़े एकत्र कर डाटा तैयार कर रहा है. पूरी रिसर्च और विश्लेषण के बाद दुनिया के सामने कोरोना के दौरान कार्बन उत्सर्जन में कमी से वातावरण और वनस्पितियों पर कितना प्रभाव पड़ा? इस पर रिसर्च जारी है.

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