सोमेश्वरः लॉकडाउन के कारण कई लोगों का रोजगार छिन गया है, लेकिन पहाड़ में स्वरोजगार की कोई कमी नहीं है. बस जरूरत है, जज्बे और हौसला दिखाने की. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, चनौदा के रहने वाले दीपक बोरा ने. दीपक बोरा ने नई सोच के साथ पहाड़ी उत्पादों से अपना व्यवसाय शुरू किया है. जिसके तहत वो तिमला और लहसुन का अचार के साथ सिलबट्टे से पिसकर नमक तैयार कर रहे हैं. जिसे वो हल्द्वानी समेत अन्य बाजारों में बेच रहे हैं. साथ ही बेरोजगार युवा पीढ़ी के लिए एक नजीर भी पेश की है.
दरअसल, सोमेश्वर के चमौदा के रहने वाले दीपक बोरा उर्फ रिंकू ने पहाड़ी उत्पादों से अपना व्यवसाय शुरू किया है. दीपक बोरा ने बीते दो महीने से तिमला और लहसुन का अचार तैयार कर रहे हैं. इसके अलावा वो सिलबट्टे में पीसा हुआ जखिए का नमक, भंगीरे का नमक, अलसी नमक, भांग के दानों का स्वादिष्ट नमक भी बेच रहे हैं. सिलबट्टे में नमक पीसकर उसे ऐपण से उकेरे मिट्टी के कुल्हड़ों में पैक कर बेच रहे हैं. जिससे नमक खराब न हो.
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दीपक इन ऑर्गेनिक उत्पादों को कई शहरों में बेच रहे हैं. उन्होंने अपने उत्पादों को दीपक पहाड़ी प्रोडक्टस नाम से शुरू किया है. दीपक का कहना है कि पहाड़ में रोजगार और स्वरोजगार की कोई कमी नहीं है. सभी को अपने ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए. जो आय का जरिया भी बन सकता है. ऐसे में 'लोकल और वोकल' के साथ ही 'स्वदेशी अपनाओ अभियान' भी सफल हो सकता है.
तिमला का महत्व
तिमला एक पहाड़ी फल है. पहाड़ में इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से उगते हैं. जब इसके फल नए-नए आते हैं तो उनकी सब्जी बनाई जाती है. इनकी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट होती है. तिमला का अचार भी स्वाद में अद्भुत होता है. साथ ही तिमला का पत्ता हिंदू धार्मिक कार्यक्रम में भी इस्तेमाल किया जाता है. तिमला के फल पहले हरा होता है, जबकि पकने के बाद यह लाल या भूरे रंग का हो जाता है. अचार और सब्जी बनाने लिए छोटे-छोटे कच्चे तिमलों का उपयोग किया जाता है.
बहुत फायदेमंद है तिमला
- तिमला अतिसार और पीलिया में लाभदायक है.
- पेट और मूत्र संबंधी रोगों में काफी फायदेमंद होता है.
- गले की खरास और खांसी के लिए दवा का काम करता है.
- इसमें आम और सेब से भी ज्यादा पोषक तत्व होते हैं.
- ये ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है.
- पका हुआ तिमला ग्लूकोज, फ्रक्टोज और सुक्रोज का बेहतर स्रोत है.
- शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है.
तिमला को और जानिए
- तिमला को अंजीर भी कहते हैं.
- ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है.
- इसका वैज्ञानिक नाम फाईकस आरीकुलेटा है. यह मोरेसी कुल का पौधा है.
- उत्तराखंड में तिमला समुद्र तल से 800-2000 मीटर ऊंचाई तक पाया जाता है.
- इसकी पत्तियां पशुओं को चारे के रूप में खिलाई जाती हैं
तिमला के ये गुण पढ़कर दंग रह जाएंगे
- तिमला के प्रति 100 ग्राम में प्रोटीन 5.3 प्रतिशत पाया जाता है.
- इसमें कार्बोहाईड्रेड 27.09 प्रतिशत होता है.
- फाइबर 16.96 प्रतिशत पाया जाता है.
- कैल्शियम 1.35, मैग्नीशियम 0.90 और पोटेशियम 2.11 प्रतिशत होता है.