अल्मोड़ाः दुनियाभर में महिलाओं के मौत के कारणों में सर्वाइकल कैंसर भी बड़ा कारण है. ऐसे में छात्राओं को जागरुक करने को लेकर सोबन सिंह जीना परिसर में अंडरस्टैंडिंग मेंस्ट्रुएशन एंड सर्वाइकल कैंसर विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें छात्राओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाव की जानकारी दी हुई.
गांवों में पैड का इस्तेमाल न करना चिंता का विषयः कार्यक्रम संयोजक अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर इला साह ने कहा कि मासिक धर्म एक जैवकीय प्रक्रिया है. जिस पर समाजशास्त्र विषय में शोध जारी है. पर्वतीय क्षेत्र में मासिक धर्म के दौरान महिला को पृथक किया जाता है, जो एक मिथ्या और रूढ़िवादिता है. वर्तमान में सर्वाइकल कैंसर की वजह से मासिक धर्म में बदलाव हो रहा है. जो महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है. गांवों में पैड का प्रयोग आज के समय में भी नहीं होना चिंतनीय है.
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विज्ञान संकाय संकायाध्यक्ष प्रोफेसर जया उप्रेती ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान महिला को खानपान समेत स्वच्छता और सर्वाइकल कैंसर का ध्यान रखना जरूरी है. प्रोफेसर अरविंद अधिकारी ने कहा कि इस संवेदनशील विषय मासिक धर्म को लेकर लोग जागरूक होने लगे हैं. मासिक धर्म और सर्वाइकल कैंसर के बारे में सभी को जानना चाहिए. प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि मासिक धर्म को देश में संस्कार के रूप में भी मनाया जाता है. लेकिन इसको लेकर जो भ्रांतियां हैं, उनको दूर करते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
सोच संस्था की हिमांशी भंडारी ने बताया कि मासिक धर्म के संबंध में आज संवेदनशील होकर सोचना होगा. उन्होंने कहा कि सोच संस्था लगातार महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म को लेकर समाज को जागरूक कर रही है. मासिक धर्म के दौरान मानसिक रूप से कई बदलाव होते हैं. सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में अमूमन होने वाला दूसरा महत्वपूर्ण कैंसर है. उन्होंने मासिक धर्म की शुरुआत, गर्भाशय, मासिक धर्म श्रृंखला, मासिक धर्म के लक्षण आदि पर विस्तार से बताया.