अल्मोड़ाः उड़नपरी के नाम से मशहूर उत्तराखंड की एथलीट गरिमा जोशी के पिता ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु गुहार लगाई है. उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा है कि घायल बेटी और पत्नी का इलाज कराते हुए वह कर्ज में डूब चुके हैं. जबकि, उनकी बेटी का इलाज जारी है. इलाज के लिए पैसा नहीं है. वहीं, उन्होंने राज्य सरकार पर बेटी के इलाज के नाम पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है.
बता दें कि, मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के छतगुल्ला गांव की रहने वाली धाविका गरिमा जोशी बीते साल बेंग्लुरू में अभ्यास के दौरान सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई थी. रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण गरिमा व्हील चीयर पर आ गईं. उनका स्पाइनल इंजरी सेंटर का इलाज दिल्ली में चल रहा है. इतना ही नहीं गरिमा की मां भी कैंसर से जूझ रही थीं. जिनका बीते लंबे समय से दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन उनकी भी मौत हो चुकी है.
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गरिमा की प्रतिभा को देखते हुए हरियाणा ने कुछ महीने पहले उन्हें राज्य की व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम का कप्तान बनाया है. गरिमा के इलाज में अब तक लाखों रुपये का खर्च आ चुका है. गरिमा के पिता पूरन जोशी का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने गरिमा के पूर्ण इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया था, लेकिन 13 लाख 10 हजार की आर्थिक मदद के बाद सरकार अब इलाज के बिलों का भुगतान नहीं कर रही है.
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पिता पूरन जोशी ने कहा घायल बेटी और कैंसर से जूझ रही पत्नी के इलाज के लिए उन्होंने दो बैंकों से ऋण लिया है. जिनका भुगतान वह नहीं कर पा रहे हैं. कैंसर के इलाज के दौरान कुछ महीने पहले उनकी पत्नी की मौत हो गई थी. बेटी गरिमा के इलाज में भी काफी खर्च आ रहा है. परिवार के आर्थिक हालात भी बेहद खराब हो गए हैं.
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वहीं, पूरन जोशी ने बताया कि हाल ही में उनके छोटे भाई का भी निधन हो गया था. जिसके बाद से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. साथ ही कहा कि वह लगातार कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. इच्छा मृत्यु ही उनके लिए एकमात्र राह बची है. उन्होंने हालातों के मद्देनजर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है.