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'कोमा' में पहुंचा राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसड़गांव, 'भूत बंगला' बना परिसर - State Allopathic Health Center Bhainsargaon is in pathetic condition

सोमेश्वर के राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसड़गांव बना रेफर सेंटर. एक फार्मासिस्ट के भरोसे है अस्पताल में चिकित्सा सेवाएंम

राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसड़गांव
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Published : May 7, 2019, 11:27 PM IST

अल्मोड़ा: गिरासू भवन, डॉक्टर विहीन अस्पताल, परिसर में बिजली नहीं, पेयजल आपूर्ति की कमी... ये हालात हैं सोमेश्वर के राजकीय एलोपैथिक अस्पताल भैसड़गांव के अस्पताल की. दीवार एक ओर गिरने को है तो दूसरी ओर मनसा नदी का कटाव अस्पताल तक पहुंच गया है, जिससे भवन के ढहने का खतरा बना हुआ है. पिछले 10 सालों से अस्पताल की खिड़कियां टूटीं पड़ी हैं और अस्पताल में एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है. ये अस्पताल फिलहाल महज एक फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है.

almora someshwar Allopathic Health Center Bhainsadgaon is in pathetic condition
राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसड़गांव

बिना डॉक्टर के चल रहे राजकीय एलोपैथिक अस्पताल भैंसड़गांव में मनसा घाटी के रौलकुड़ी आगर, भूलगांव, खर्कवालगांव, नाकोट, मलड़गांव, फल्याटी, भैसड़गांव, डिगरा, चौड़ा, बनौड़ा, भनार, सतरासी-अरड़िया, महरागांव, ढुमुड़गांव और बैगनियां समेत करीब 18 गांव के ग्रामीण इसी अस्पताल के भरोसे हैं. लेकिन, इस अस्पताल के हालात 'कोमा' में पहुंच चुका है. फिलहाल इस अस्पताल को ऐसे 'डॉक्टर' की जरूरत है, जो इसकी बदहाली का 'इलाज' कर सके.

पढ़ें- महिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल, पानी के लिए तरस रहे मरीज और तीमारदार

6 बेड के इस अस्पताल की लंबे समय से देख रेख नहीं हुई है, जिस वजह से यहां के पानी के टैंक तक गायब हैं. इसके अलावा भवन निर्माण के 25 सालों से यहां रंग-रोगन भी नहीं हुआ है. जैसे ही कोई मरीज इस गिरासू भवन में इलाज के लिए पहुंचता है तो उसे सीधे हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल के चारों तरफ उगी झाड़ियां, टूटी फूटी खिड़कियां इन सबकी वजह से ये अस्पताल किसी भूत बंगले से कम नहीं लगता.

स्थानीय लोगों का कहना है कि मनसा घाटी के ग्रामीणों की लगातार उपेक्षा हो रही है. चिकित्सा सुविधा के नाम पर 6 बेड का अस्पताल तो है, लेकिन बिना डॉक्टर और अन्य जरूरी सुविधाओं के इस लाखों के अस्पताल का क्या काम. लोगों का कहना है कि अस्पताल में चिकित्सक की नियुक्ति नहीं की गई तो क्षेत्रवासी आंदोलन करेंगे. वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी अल्मोड़ा डॉ. विनीता शाह ने कहा कि भैंसड़गांव अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति का प्रयास किया जा रहा है. जीर्ण भवन का विभागीय अभियन्ता से आंकलन कराया जाएगा. मौके का मुआयना करने के बाद परिसर को लेकर कोई ठोस फैसला लिया जाएगा.

अल्मोड़ा: गिरासू भवन, डॉक्टर विहीन अस्पताल, परिसर में बिजली नहीं, पेयजल आपूर्ति की कमी... ये हालात हैं सोमेश्वर के राजकीय एलोपैथिक अस्पताल भैसड़गांव के अस्पताल की. दीवार एक ओर गिरने को है तो दूसरी ओर मनसा नदी का कटाव अस्पताल तक पहुंच गया है, जिससे भवन के ढहने का खतरा बना हुआ है. पिछले 10 सालों से अस्पताल की खिड़कियां टूटीं पड़ी हैं और अस्पताल में एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है. ये अस्पताल फिलहाल महज एक फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है.

almora someshwar Allopathic Health Center Bhainsadgaon is in pathetic condition
राजकीय एलोपैथिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसड़गांव

बिना डॉक्टर के चल रहे राजकीय एलोपैथिक अस्पताल भैंसड़गांव में मनसा घाटी के रौलकुड़ी आगर, भूलगांव, खर्कवालगांव, नाकोट, मलड़गांव, फल्याटी, भैसड़गांव, डिगरा, चौड़ा, बनौड़ा, भनार, सतरासी-अरड़िया, महरागांव, ढुमुड़गांव और बैगनियां समेत करीब 18 गांव के ग्रामीण इसी अस्पताल के भरोसे हैं. लेकिन, इस अस्पताल के हालात 'कोमा' में पहुंच चुका है. फिलहाल इस अस्पताल को ऐसे 'डॉक्टर' की जरूरत है, जो इसकी बदहाली का 'इलाज' कर सके.

पढ़ें- महिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल, पानी के लिए तरस रहे मरीज और तीमारदार

6 बेड के इस अस्पताल की लंबे समय से देख रेख नहीं हुई है, जिस वजह से यहां के पानी के टैंक तक गायब हैं. इसके अलावा भवन निर्माण के 25 सालों से यहां रंग-रोगन भी नहीं हुआ है. जैसे ही कोई मरीज इस गिरासू भवन में इलाज के लिए पहुंचता है तो उसे सीधे हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल के चारों तरफ उगी झाड़ियां, टूटी फूटी खिड़कियां इन सबकी वजह से ये अस्पताल किसी भूत बंगले से कम नहीं लगता.

स्थानीय लोगों का कहना है कि मनसा घाटी के ग्रामीणों की लगातार उपेक्षा हो रही है. चिकित्सा सुविधा के नाम पर 6 बेड का अस्पताल तो है, लेकिन बिना डॉक्टर और अन्य जरूरी सुविधाओं के इस लाखों के अस्पताल का क्या काम. लोगों का कहना है कि अस्पताल में चिकित्सक की नियुक्ति नहीं की गई तो क्षेत्रवासी आंदोलन करेंगे. वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी अल्मोड़ा डॉ. विनीता शाह ने कहा कि भैंसड़गांव अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति का प्रयास किया जा रहा है. जीर्ण भवन का विभागीय अभियन्ता से आंकलन कराया जाएगा. मौके का मुआयना करने के बाद परिसर को लेकर कोई ठोस फैसला लिया जाएगा.

Intro:रोगियों को देखने के लिए डॉक्टर नही, अस्पताल भवन में बिजली नही, पेयजल की कोई व्यवस्था नही, अस्पताल भवन को दीवार गिरने और आगे से मनसा नदी के कटाव से भवन को खतरा, रिसाव करती छतें और ध्वस्त होने के कगार पर दीवारें, पिछले 10 वर्षों से बिना शीशे की टूटी खिड़कियां और न जाने कितनी अन्य दुश्वारियां। जी हाँ सोमेश्वर के राजकीय ऐलोपैथिक अस्पताल भैसड़गांव में यह वानगी देखने को मिलती है।Body:सोमेश्वर। बिना डॉक्टर के चल रहे राजकीय ऐलोपैथिक अस्पताल भैंसड़गांव में मनसा घाटी के रौलकुड़ी आगर, भूलगांव, खर्कवालगांव, नाकोट, मलड़गांव, फल्याटी, भैसड़गांव, डिगरा, चौड़ा, बनौड़ा, भनार, सतरासी-अरड़िया, महरागांव, ढुमुड़गांव और बैगनियां सहित डेढ़ दर्जन गांवों के मरीज उपचार के लिए निर्भर हैं। लेकिन कोमा के हालातों में खड़े इस अस्पताल को खुद के ईलाज की दरकार है।
बताते चलें कि रेफर सेंटर बन चुके अस्पताल भवन के शीशे 10 वर्ष पूर्व अराजक तत्वों ने तोड़ दिए थे और पानी के टैंक भी गायब हो गए थे। इसके अलावा भवन निर्माण के 25 वर्षों बाद भी इसमें कभी दोबारा रंग-रोगन नही किया गया। अस्पताल में कोई साइनबोर्ड भी नही लगा हुआ है तथा चारों तरफ उगी झाडियां और टूटी फूटी खिड़कियों से यह किसी भूत बंगले से कम नही दिखता।
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मनसा घाटी विकास संघर्ष समिति अध्यक्ष डूंगर सिंह रावत, ग्राम प्रधान भूपेन्द्र रावत, सामाजिक कार्यकर्ता बची राम वैद्य, पूर्व बीडीसी कुंवर सिंह रावत तथा भुवन सिंह भैसोड़ा आदि का कहना है कि उपेक्षित मनसा घाटी के ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाएं देने के लिए 6 शैयाओं के जिस अस्पताल को बनाया गया वह खुद गम्भीर स्थिति में चला गया है। अस्पताल में चिकित्सक की नियुक्ति और भवन की सुध नही ली गई तो क्षेत्रवासियों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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भैसड़गांव अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति का प्रयास किया जा रहा है और जीर्ण भवन की जो समस्या है उसका विभागीय अभियन्ता से आगणन बनाया जाएगा। मौका मुआयना करने के बाद समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
डॉ विनीता शाह
मुख्य चिकित्सा अधिकारी अल्मोड़ा।
Conclusion:

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