अल्मोड़ा: आर्थिक तंगी से जूझ रही दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) धीरे-धीरे अपना कारोबार समेट रही है. आर्थिक घाटे के कारण अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत में बीएसएनएल की स्थिति दिन प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है. खर्च कम करने के लिए इन चार जिलों में बीएसएनएल अब तक एक दर्जन से अधिक दूरभाष केंद्र बंद कर चुका है. इसके अलावा बीएसएनएल द्वारा बिजली का भी नहीं दिया गया है.
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बता दें कि 1995 के बाद से बीएसएनएल ने पहाड़ में नेटवर्क का जाल बिछाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए थे. करीब दो दशक तक केंद्र सरकार के इस निगम का तेजी से विस्तार हुआ था, लेकिन अब हालात ये हैं कि अल्मोड़ा समेत पहाड़ के 4 जिलों में बीएसएनल के करीब 60 प्रतिशत कर्मचारी और अधिकारी वीआरएस ले रहे हैं. पिछले करीब एक साल से बीएसएनएल की दशा लगातार बिगड़ रही है. बीएसएनएल बिजली के बिलों का भुगतान तक नहीं कर पा रहा है, जिससे करीब 20 से अधिक मोबाइल टावरों के बिजली कनेक्शन कट गए हैं.
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जानकारी के मुताबिक, अल्मोड़ा जिले में 50 साल की आयु पूरी कर चुके बीएसएनएल के 56 कर्मचारी और अधिकारी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं. मापदंड पूरे करने वाले कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इसके लिए आगामी दिनों में आवेदन करने की लाइन में खड़े हैं. इसके बाद 4 जिलों में करीब 40 प्रतिशत कर्मचारी और अधिकारी ही सेवा में रह जाएंगे. भारी मात्रा में कर्मचारियों और अधिकारियों के वीआरएस लेने के बाद कुछ महीनों में अल्मोड़ा महाप्रबंधक कार्यालय को बंद करने की संभावना जताई जा रही है.
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अल्मोड़ा के महाप्रबंधक ए. के. गुप्ता का कहना है कि बीएसएनएल की आर्थिक स्थिति खराब चल रही. जिसके चलते कंपनी पर करोड़ों की देनदारी है. बीएसएनएल में अबतक 12 अधिकारी और 44 कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है. उन्होंने बताया कि खर्च कम करने के लिए बीएसएनएल ने अभी तक 12 दूरभाष केंद्र बंद कर दिए हैं, जबकि 16 दूरभाष केंद्र इस महीने बंद होने की कगार पर हैं.