रुद्रपुर: सितारगंज में तालाब पर अवैध कब्जा करने का विरोध करने पर 2011 में ग्राम प्रधान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. ग्राम प्रधान के हत्यारे दो भाइयों सहित तीन लोगों को तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी शुक्ला ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. तीनों पर 32-32 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. इस दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता ने 11 गवाह पेश किए.
ऐसे शुरू हुआ था विवाद: सितारगंज निवासी महेंद्र पाल सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कर बताया था कि उसके पिता ओमप्रकाश ग्राम प्रधान थे. उनके घर के बगल में एक तालाब था. गांव के ही खेमकरन, ठाकुर सिंह एवं दयाशंकर पुत्र ठाकुर सिंह ने तालाब को पाटकर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया. जिसका ग्राम प्रधान ओमप्रकाश द्वारा विरोध किया गया. इसी बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद चल रहा था.
अवैध कब्जे के विवाद ने पकड़ा तूल: 26 मई 2011 को ओम प्रकाश अपने घर के बाहर गए तो उन्होंने देखा कि उस जमीन पर लकड़ियां पड़ी थी. उन्होंने अवैध कब्जा करने वाले तीनों आरोपियों को बुलाकर कहा कि यह लकड़ियां उठा लें. यह सरकारी जमीन है. आरोप है कि इस पर तीनों ने उनको गालियां देते हुए धमकी दी. जान से मारने की धमकी भी दी गई. ग्राम प्रधान ओम प्रकाश ने कहा कि यह सरकारी जमीन है. इस पर मैं किसी को कब्जा नहीं करने दूंगा.
ग्राम प्रधान को मार दी गोली: ये सुनकर खेमकरन और दयाशंकर गुस्से से आग बबूला हो गए. ठाकुर सिंह अपने घर से लाइसेंसी बंदूक निकाल लाया और गोली चला दी. गोली ग्राम प्रधान के दिल के पास लगी और वह गिर गए. फायरिंग की आवाज सुनकर उनका भतीजा चन्द्र प्रकाश बचाने आया. उस पर भी फायर कर दिया गया. उसको छर्रे लगने से वह गम्भीर रूप से घायल हो गया. ग्राम प्रधान ओमप्रकाश को अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया.
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तीन आरोपियों को आजीवन कारावास: तीनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया तथा आला कतल बन्दूक बरामद कर ली. तीनों के विरुद्ध तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी शुक्ला के न्यायालय में मुक़दमा चला. एडीजीसी लक्ष्मी नारायण पटवा ने 11 गवाह पेश कर आरोप सिद्ध कर दिया. जिसके बाद तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी शुक्ला ने बुधवार को निर्णय सुनाते हुए धारा 302 व 34 में तीनों को आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माने, धारा 307 में 7 वर्ष के कठोर कारावास और 5-5 हजार, धारा 504 में 6 माह के कारावास और 1-1 हज़ार रुपये जुर्माने, धारा 506 में एक-एक वर्ष के कठोर कारावास और 1-1 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाकर जेल भेज दिया.