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पलायन पर IIT रुड़की में कार्यशाला का आयोजन, वैज्ञानिकों ने किया मंथन - हिमालय को लेकर प्रस्तुति

आईआईटी रुड़की में हिमालय बचाने को लेकर मंगलवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इमसें डब्ल्यूआईआई की सीनियर प्रोफेसर रुचि बडोला ने शिरकत की. वहीं, कार्यक्रम में मौजूद आईआईटी निदेशक सहित कई प्रोफेसर भी मौजूद रहे.

पहाड़ों से पलायन पर चर्चा.
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Published : Sep 11, 2019, 9:32 AM IST

रुड़की: उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों से लगातार पलायान हो रहा है. इसका मुख्य कारण गांव में रोजगार और मूलभूत सुविधाओं का न होना है. जिसके चलते साल दर साल गांव के गांव खाली हो रहे हैं. ऐसे में पहाड़ी जनपदों से पलायन को रोकने और हिमालय बचाने को लेकर आईआईटी रुड़की में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें कई प्रोफेसरों ने शिरकत की.

उत्तराखंड की पलायने आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पलायन करने वालों में 42.2 फीसदी 26 से 35 उम्रवर्ग के युवा हैं. साथ ही रोजगार के साधनों का अभाव युवाओं के पलायन का मुख्य कारण है. रोजगार के नाम पर पहाड़ों पर कुछ भी नहीं है, जिसके कारण युवा रोजी-रोटी की तलाश में बड़े शहरों का रुख करने को विवश हो रहे हैं. हालांकि, सरकार का दावा है कि वह पलायन को लेकर गंभीर है.

पहाड़ों से पलायन पर चर्चा.

यह भी पढ़ें: नए मोटर व्हीकल एक्ट से खौफजदा लोग, लूट रहे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक

वहीं, हिमालयी क्षेत्रों में बन रहे बांधों को लेकर डब्ल्यूआईआई की सीनियर प्रोफेसर रुचि बडोला ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि पहाड़ों पर अंधाधुंध हो रहे निर्माण कार्य की वजह से ग्रामीण को अधिक मुसीबत होती है. गांवों में अनुसार शहर में लगातार जनसंख्या बढ़ रही है, इसलिए हिमालयी क्षेत्र अब धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि बांध जलीय जंतुओं के लिए बेरियर का काम करता है, क्योंकि वह एक ही स्थान पर रह जाते हैं. जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है. साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार मौसम में परिवर्तन हो रहा है, जिससे जीव जंतुओं के लिए भी नुकसान पहुंच रहा है. वहीं, वैज्ञानिक अब हिमालय को लेकर चिंतित हैं, और हर संभव कार्य करने की योजना तैयार की जा रही है.

रुड़की: उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों से लगातार पलायान हो रहा है. इसका मुख्य कारण गांव में रोजगार और मूलभूत सुविधाओं का न होना है. जिसके चलते साल दर साल गांव के गांव खाली हो रहे हैं. ऐसे में पहाड़ी जनपदों से पलायन को रोकने और हिमालय बचाने को लेकर आईआईटी रुड़की में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें कई प्रोफेसरों ने शिरकत की.

उत्तराखंड की पलायने आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पलायन करने वालों में 42.2 फीसदी 26 से 35 उम्रवर्ग के युवा हैं. साथ ही रोजगार के साधनों का अभाव युवाओं के पलायन का मुख्य कारण है. रोजगार के नाम पर पहाड़ों पर कुछ भी नहीं है, जिसके कारण युवा रोजी-रोटी की तलाश में बड़े शहरों का रुख करने को विवश हो रहे हैं. हालांकि, सरकार का दावा है कि वह पलायन को लेकर गंभीर है.

पहाड़ों से पलायन पर चर्चा.

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वहीं, हिमालयी क्षेत्रों में बन रहे बांधों को लेकर डब्ल्यूआईआई की सीनियर प्रोफेसर रुचि बडोला ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि पहाड़ों पर अंधाधुंध हो रहे निर्माण कार्य की वजह से ग्रामीण को अधिक मुसीबत होती है. गांवों में अनुसार शहर में लगातार जनसंख्या बढ़ रही है, इसलिए हिमालयी क्षेत्र अब धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि बांध जलीय जंतुओं के लिए बेरियर का काम करता है, क्योंकि वह एक ही स्थान पर रह जाते हैं. जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है. साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार मौसम में परिवर्तन हो रहा है, जिससे जीव जंतुओं के लिए भी नुकसान पहुंच रहा है. वहीं, वैज्ञानिक अब हिमालय को लेकर चिंतित हैं, और हर संभव कार्य करने की योजना तैयार की जा रही है.

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आईआईटी रुड़की में हिमालय बचाने को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिमसें डब्ल्यूआईआई की सीनियर प्रोफेसर रुचि बडोला ने शिरकत की। वही कार्यक्रम में मौजूद आईआईटी निदेशक सहित कई प्रोफेसर भी मौजूद रहे। कार्यक्रम हिमालय को लेकर प्रजेंटेशन भी दिया गया। Body:वीओ-- पहाड़ो पर लगातार लंबे समय से हो रहे पलायन भी इसका एक बड़ा कारण है कि पहाड़ो पर गाँव के गाँव खाली हो गए है जहाँ पर अब सरकार का ध्यान ही न जाता है कि उन गांवों के जंगलो में भी रह रहे जानवरो के लिए भी पानी खाने आदि की जरूरत है वो कैसे भेजी जाय इसलिए हिमालयी क्षेत्रो में बन रहे बांधो को लेकर चिंता जाहिर की है वैज्ञानिको का कहना है पहाड़ों पर आधाधुंध हो रहे निर्माण को कहा कि गाँवो में मुताबिक शहर में लगातार जनसँख्या बढ़ रही है इसलिए हिमालयी क्षेत्र अब धीरे समाप्त होते जा रहे है। उन्होंने कहा कि बांध जलीय जन्तुओ के लिए बेरियर का काम करता है क्योंकि वो एक ही स्थान पर रह जाते है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। वैज्ञानिको का कहना लगातार मौसम परिवर्तन हो रहा है जोकि जीवजन्तुओं के लिए भी नुकसान पहुँचा रहा खास तौर पर हिलामयी क्षेत्रों में रहने वाले जीव जन्तुओ के लिए। वही वैज्ञानिक अब हिमालय को लेकर चिंतित है हर सम्भव काम किया जा रहा है।


Byte.रुचि बडोला (सीनियर प्रोफेसर डब्ल्यूआईआई )
Byte..ए के चतुर्वेदी (निदेशक आईआईटी रुड़की )Conclusion:1
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