ऋषिकेश: कूड़ा निस्तारण के मोर्चे पर निगम के अधिकारी कितने सजग हैं इसकी बानगी सोमवार को शासन से आए आला अधिकारियों की बैठक में देखने को मिली. अव्यवस्था और भटकाव का आलम ये रहा कि बैठक में निगम अधिकारी कूड़े से निकलने वाली प्लास्टिक की मात्रा तक नहीं बता पाए. इतना ही नहीं सभी कूड़ा गड़ियों में अब तक जीपीएस की व्यवस्था भी नहीं हो पाई है. निगम प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर आखिरकार अधिक्षण अभियंता बिफर गये. बिफरे अधिक्षण अभियंता ने कहा जब काम होगा तभी तो सटीक आंकड़े भी पता होंगे.
सोमवार को निगम सभागार में जर्मन इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन, निगम, पालिका, पेयजल विभाग के आला अधिकारियों के बीच बैठक हुई. ये बैठक गंगा किनारे बसे शहरों में प्लास्टिक प्रबंधन को लेकर आयोजित की गई . बता दें कि गंगा रिजुविनेशन कार्यक्रम के तहत जर्मन इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन की ओर से गंगा प्लास्टिक सिटी पार्टनरशिप योजना के अंतर्गत गंगा से लगे बड़े शहरों ऋषिकेश, हरिद्वार में प्लास्टिक की समस्या को हल करने के लिए एक पायलट परियोजना तैयार की जा रही है.
इसमें जर्मन इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन के विशेषज्ञ समेत नगर निगम ऋषिकेश, मुनि की रेती नगर पालिका और पेयजल विभाग के आला अधिकारियों ने भाग लिया. इसमें विशेषज्ञों ने दोनों क्षेत्रों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, सोर्स सेग्रीगेशन के सबंध में जानकारी ली.
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मौन रहे निगम के अधिकारी
विशेषज्ञों के सवाल पर नगर आयुक्त नरेंद्र सिंह क्वींरियाल ने बताया कि वर्तमान में पूरे निगम क्षेत्र से 60 मीट्रिक टन डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है. जैसे ही सोर्स सेग्रीगेशन के बारे में पूछा गया वे बगलें झांकते नजर आए. इसके बाद जवाब देने के लिए सफाई निरीक्षकों की ओर इशारा किया. हालत ये रहा कि अपने आला अधिकारी की तरह सफाई के बाद निरीक्षकों की फौज भी सेग्रीगेशन का आकड़ा नहीं दे पाई. कूड़े से कितना प्लास्टिक निकल रहा है इस बारे में भी निगम के अधिकारी और कर्मचारी मौन रहे.
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बगल की पालिका से कूड़ा छंटाई की विधि सीखिए: अधिक्षण अभियंता
विदेशी कंपनी के विशेषज्ञों के सामने इस तरह की स्थिति से शहरी विकास विभाग के अधिक्षण अभियंता रवि पाण्डेय असहज नजर आये. उन्होंने बिना तैयारी बैठक में आने पर नाराजगी जाहिर करते हुए निगम अधिकारियों को ट्रचिंग ग्राउंड में कॉम्पेक्टर लगाने के निर्देश दिए. उन्होंने हिदायत देते हुए कहा कि मुनि की रेती पालिका में कॉम्पेक्टर से हो रही कूड़े की छंटाई से सीख कर आएं.
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शहरी विकास विभाग के अधिक्षण अभियंता रवि पांडे ने बताया कि ऋषिकेश, मुनि की रेती, नरेंद्रनगर, स्वर्गाश्रम, डोईवाला के क्षेत्रों से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जगह का चयन किया गया है. मगर पिछले कुछ समय से ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है. वर्तमान में यहां पर वन विभाग से भूमि शहरी विकास विभाग को ट्रांसफर होने के अंतिम चरण में है. इसके लिए 28 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि भूमि ट्रांसफर होने के बाद इसके निर्माण के लिए डीपीआर पर काम शुरू किया जाएगा.