ऋषिकेश: शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दूसरा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया. दीक्षांत समारोह में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मेडिकल छात्रों से गरीब जनता की सेवा करने की अपील की. इस दौरान उन्होंने एम्स के निदेशक डॉ. रविकांत की तारीफ करते हुए कहा जिस तरह से एम्स काम कर रहा हैं, वह काबिले तारीफ है.
अमित शाह ने युवा चिकित्सकों व नर्सिंग स्नातकों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी डिग्रियां लेने वाले चिकित्सक एवं नर्सिंग आज जीवन के नए चरण में प्रवेश करने जा रहे है. वे एक ऐसी जगह पर हैं जहां उन्हें अपने चुने हुए काम की जिम्मेदारी लेनी होगी. इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के द्वारा संस्थान की प्रगति के लिए किए गए कामों की तारीफ भी की. गृहमंत्री ने कहा ऋषिकेश जैसे स्थान पर एम्स की उपलब्धियां प्रशंसनीय हैं.
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उन्होंने कहा भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत संचालित इस संस्थान का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव वाले तथा अल्प आय वाले राज्यों में आम आदमी के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना है बल्कि देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा एवं शोध कार्य को आगे बढ़ाना भी है. उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश की स्थिति अन्य नए स्थापित एम्स संस्थानों से अलग एवं चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उत्तराखंड कठिन पहाड़ी इलाकों और भौगोलिक बाधाओं वाला राज्य है. राज्य का अधिकतम क्षेत्र वर्षों से स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रहा है. ऐसे में एम्स, ऋषिकेश ने बहुत कम समय में उत्तराखंड की जनता बहुत सी सेवाएं प्रदान की है.
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दीक्षांत समारोह में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी युवा चिकित्सकों व नर्सिंग स्नातकों को बधाई दी. समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और नैनीताल सांसद अजय भट्ट भी मौजूद रहे.
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वहीं, दीक्षांत समारोह में बोलते हुए एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि 2013 में 50 बेड के साथ एम्स शुरू हुआ था, जो कि आज अपनी समस्त केयर सेवाओं के साथ 1,060 बेड की सेवाएं उपलब्ध करा रहा है. उन्होंने बताया संस्थान में वर्तमान में सभी 45 स्पेशलिस्ट व सुपर स्पेशलिस्ट विभाग सफलतापूर्वक कार्यरत हैं. निदेशक एम्स ने बताया कि संस्थान की ओपीडी प्रतिवर्ष 8 लाख से अधिक हो चुकी है, जबकि आईपीडी में प्रतिवर्ष 50 हजार मरीजों को सेवा दी जा रही है. आज के दीक्षांत समारोह में संस्थान की ओर से एमबीबीएस, पीजी, पीएचडी व नर्सिग के 252 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई.