रामनगर : वन ग्राम सुन्दरखाल में वन्यजीवों ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर रखा है. वर्षों से ग्रामीण बाघ, हाथियों के हमले और अन्य वन्य जीवों के आतंक से परेशान हैं. जिस कारण ग्रामीणों को लगातार जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है. पर इन ग्रामीणों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है. जिससे ग्रामीण इन्हीं परिस्तिथियों में जीने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि, सुन्दरखाल गाँव में रह रहे ग्रामीण आजादी के बाद से ही पर्वतीय क्षेत्रों से निकल रोजगार की तलाश में यहां आकर बसे थे. लेकिन जब से वन विभाग ने वन्य सम्पदा पर रोक लगायी है. तब से ये ग्रामीण बिना घेराबंदी के खुले में जीने को मजबूर हैं. जिससे ग्रामीणों पर वन्य जीवों के हमले का खतरा हमेशा ही मंडराता रहता है.
आपको बता दे कि, यह क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा है,जो रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है. साथ ही यह गांव तीन तरफ से जंगल से घिरा है. और गांव के पीछे कोसी नदी बहती है जिस कारण वन्य जीवों के आने जाने के रास्ते इसी गांव से होकर जाते हैं. ऐसे में कई बार इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की प्रबल सम्भावनायें बनी रहती है.
वर्ष 2011 से इस गांव में मौत का साया छाया हुआ था. जब एक आदमखोर बाघ ने इस गांव में सात महिलाओं और दो पुरुषों को अपना निवाला बना डाला था. तब से लेकर आज तक बाघ का आतंक इनके दिलो दिमाग में छाया है. शाम होते ही गांव के आस-पास बाघ,गुलदार और जंगली हाथियों आना जाना शुरू हो जाता है. ग्रामीणों को यही डर सताता रहता है की कोई वन्यजीव उन्हें अपना निवाला न बना दें.
सुन्दरखाल के ग्रामीणों का कहना है कि,सम्बन्धित विभाग उनकी कोई समस्या सुनने को तैयार नहीं है. शासन प्रशासन हमेशा ही इनकी समस्याओं को नजर अंदाज करके आंखे मूंदे बैठा रहता है.और चुनाव के मौके पर नेता सुनहरे सपने दिखा कर वोट तो हासिल कर लेते हैं. और फिर कभी इस ओर पलट कर नहीं देखते हैं. ऐसे में यहां के ग्रामीण डर से भरा कष्टमय जीवन जीने को मजबूर हैं .अब तो इन लोगों ने अपनी समस्याओं को ही अपनी किस्मत मान लिया है.