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इस गांव के लोग जी रहे मौत के साये में, कब कहां से आ जाए मौत कोई नहीं जानता, जानिए क्या है वजह - Kosi River

वन ग्राम सुन्दरखाल में वन्यजीवों ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर रखा है. ग्रामीण वन्य जीवों के आतंक से परेशान हैं. शाम होते ही गांव के आस-पास  बाघ,गुलदार और जंगली हाथियों आना जाना शुरू हो जाता है.लेकिन सम्बन्धित विभाग उनकी कोई समस्या सुनने को तैयार नहीं है.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा सुन्दरखाल गांव.
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Published : Mar 20, 2019, 9:44 PM IST

रामनगर : वन ग्राम सुन्दरखाल में वन्यजीवों ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर रखा है. वर्षों से ग्रामीण बाघ, हाथियों के हमले और अन्य वन्य जीवों के आतंक से परेशान हैं. जिस कारण ग्रामीणों को लगातार जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है. पर इन ग्रामीणों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है. जिससे ग्रामीण इन्हीं परिस्तिथियों में जीने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि, सुन्दरखाल गाँव में रह रहे ग्रामीण आजादी के बाद से ही पर्वतीय क्षेत्रों से निकल रोजगार की तलाश में यहां आकर बसे थे. लेकिन जब से वन विभाग ने वन्य सम्पदा पर रोक लगायी है. तब से ये ग्रामीण बिना घेराबंदी के खुले में जीने को मजबूर हैं. जिससे ग्रामीणों पर वन्य जीवों के हमले का खतरा हमेशा ही मंडराता रहता है.

डर के साएं में जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण.

आपको बता दे कि, यह क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा है,जो रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है. साथ ही यह गांव तीन तरफ से जंगल से घिरा है. और गांव के पीछे कोसी नदी बहती है जिस कारण वन्य जीवों के आने जाने के रास्ते इसी गांव से होकर जाते हैं. ऐसे में कई बार इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की प्रबल सम्भावनायें बनी रहती है.
वर्ष 2011 से इस गांव में मौत का साया छाया हुआ था. जब एक आदमखोर बाघ ने इस गांव में सात महिलाओं और दो पुरुषों को अपना निवाला बना डाला था. तब से लेकर आज तक बाघ का आतंक इनके दिलो दिमाग में छाया है. शाम होते ही गांव के आस-पास बाघ,गुलदार और जंगली हाथियों आना जाना शुरू हो जाता है. ग्रामीणों को यही डर सताता रहता है की कोई वन्यजीव उन्हें अपना निवाला न बना दें.
सुन्दरखाल के ग्रामीणों का कहना है कि,सम्बन्धित विभाग उनकी कोई समस्या सुनने को तैयार नहीं है. शासन प्रशासन हमेशा ही इनकी समस्याओं को नजर अंदाज करके आंखे मूंदे बैठा रहता है.और चुनाव के मौके पर नेता सुनहरे सपने दिखा कर वोट तो हासिल कर लेते हैं. और फिर कभी इस ओर पलट कर नहीं देखते हैं. ऐसे में यहां के ग्रामीण डर से भरा कष्टमय जीवन जीने को मजबूर हैं .अब तो इन लोगों ने अपनी समस्याओं को ही अपनी किस्मत मान लिया है.

रामनगर : वन ग्राम सुन्दरखाल में वन्यजीवों ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर रखा है. वर्षों से ग्रामीण बाघ, हाथियों के हमले और अन्य वन्य जीवों के आतंक से परेशान हैं. जिस कारण ग्रामीणों को लगातार जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है. पर इन ग्रामीणों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है. जिससे ग्रामीण इन्हीं परिस्तिथियों में जीने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि, सुन्दरखाल गाँव में रह रहे ग्रामीण आजादी के बाद से ही पर्वतीय क्षेत्रों से निकल रोजगार की तलाश में यहां आकर बसे थे. लेकिन जब से वन विभाग ने वन्य सम्पदा पर रोक लगायी है. तब से ये ग्रामीण बिना घेराबंदी के खुले में जीने को मजबूर हैं. जिससे ग्रामीणों पर वन्य जीवों के हमले का खतरा हमेशा ही मंडराता रहता है.

डर के साएं में जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण.

आपको बता दे कि, यह क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा है,जो रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है. साथ ही यह गांव तीन तरफ से जंगल से घिरा है. और गांव के पीछे कोसी नदी बहती है जिस कारण वन्य जीवों के आने जाने के रास्ते इसी गांव से होकर जाते हैं. ऐसे में कई बार इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की प्रबल सम्भावनायें बनी रहती है.
वर्ष 2011 से इस गांव में मौत का साया छाया हुआ था. जब एक आदमखोर बाघ ने इस गांव में सात महिलाओं और दो पुरुषों को अपना निवाला बना डाला था. तब से लेकर आज तक बाघ का आतंक इनके दिलो दिमाग में छाया है. शाम होते ही गांव के आस-पास बाघ,गुलदार और जंगली हाथियों आना जाना शुरू हो जाता है. ग्रामीणों को यही डर सताता रहता है की कोई वन्यजीव उन्हें अपना निवाला न बना दें.
सुन्दरखाल के ग्रामीणों का कहना है कि,सम्बन्धित विभाग उनकी कोई समस्या सुनने को तैयार नहीं है. शासन प्रशासन हमेशा ही इनकी समस्याओं को नजर अंदाज करके आंखे मूंदे बैठा रहता है.और चुनाव के मौके पर नेता सुनहरे सपने दिखा कर वोट तो हासिल कर लेते हैं. और फिर कभी इस ओर पलट कर नहीं देखते हैं. ऐसे में यहां के ग्रामीण डर से भरा कष्टमय जीवन जीने को मजबूर हैं .अब तो इन लोगों ने अपनी समस्याओं को ही अपनी किस्मत मान लिया है.
Intro:एंकर-रामनगर क्षेत्र के अंतर्गत बसा वन ग्राम सुन्दरखाल के ग्रामीणों का वन्यजीवों ने जीना मुहाल करके रख दिया है।वर्षो से बाघ और हाथियों एवम अन्य वन्य जीवों के आतंक और उनके हमलो से परेशान है।और यह ग्रामीण इन ही परिस्तिथियों में जीनो को मजबूर है।कोई इनकी सुनने वाला नही है।


Body:वीओ-1-गौरतलब है कि सुन्दरखाल गाँव के ग्रामीण आजादी के बाद बाद पर्वतीय क्षेत्रों से निकल कर रोजगार की तलाश में यहाँ आकर बसे थे।तब से यहॉ के ही होकर रह गये।जंगलो से लकडियॉ लाकर चारो ओर से घेराबंदी करके अपने परिवारों को वन्य जीवों से सुरक्षित से रखते थे।परन्तु जब से वन विभाग ने वन्य सम्पदा पर रोक लगायी है तब से यह खुले में जीनो को मजबूर है ।आपको बता दे कि यह क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटा है और रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है।तीन तरफा जंगल होने और गाँव के पीछे कोसी नदी होने के कारण वन्य जीवों का आना जाना इस गाँव से होकर लगा रहता है।और ऐसे में कई बार मानव वन्यजीव संघर्ष प्रबल सम्भावनाये बनी रहती है।

बाइट-गौरा देवी(स्थानीय ग्रामीण)

वीओ-2-वर्ष 2011 में तो इस गाँव मे मौत का साया छाया हुआ था।जब एक आदमखोर बाघ ने इस गाँव मे सात महिलाओ और दो पुरुषों को अपना निवाला बना डाला था।तब से लेकर आज तक बाघ का आतंक इनके दिलो दिमाग पर ऐसा छाया की आज तक निकल ही नही सका।स्तानीय ग्रामीणों की माने तो शाम होते ही इस गाँव के ग्रामीण और छोटे बच्चे घरो में पैक हो जाते है।क्यो की शाम होते ही बाघ,गुलदार और जंगली हाथियों का यहाँ आना जाना शुरू हो जाता है।यह लोग इस डर से घरो में छिप जाते है कि कोई इन्हें कोई वन्यजीव अपना निवाला न बना डाले।और सम्बन्धित विभाग इनकी कोई समस्या सुनने को तैयार नही है।ऐसे में यह ग्रामीण कष्टमयी जीवन जीने को मजबूर है

बाइट-2-चन्दनराम(स्थानीय ग्रामीण)





Conclusion:एफवीओ-वर्षो से दुखो से भरा जीवन जी रहे सुन्दरखाल वासी आगे भी ऐसे जीने को मजबूर है।क्योंकि इनके जीवन मे कोई उम्मीद की किरण दिखाई नही देती है।शासन प्रशासन इनकी समस्याओ को नज़र अंदाज़ करके आँखे मूँदे बैठा है।और चुनाव के मौके पर नेता इनको सुनहरे सपने दिखा कर वोट तो हासिल कर लेते है और फिर इस ओर पलट का देखते है नही।अब तो इन लोगो ने अपनी समस्याओं को ही अपनी किस्मत मान कर सब्र कर लिया है।
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