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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः हालातों को हराकर सफलता के शिखर पर पहुंची ममता, महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर

कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए ममता ने एक नई जिन्दगी की शुरुआत की. चार साल पहले ममता ने चैाकोड़ी के हिमालया इंटर कॉलेज में योगा शिक्षक का पद संभाला. यहां उन्होंने स्कूली बच्चों को योग के गुर सिखाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरुक भी किया.

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हालातों को हराकर सफलता के शिखर पर पहुंची ममता.
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Published : Mar 7, 2020, 11:44 PM IST

बेरीनाग: कहते हैं न अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो मुश्किलें भी आपका रास्ता नहीं रोक सकती हैं, देर सबेर मेहनत रंग लाती ही है. ऐसी ही एक कहानी हल्द्वानी की रहने वाली ममता टाकुली की भी है. जिसने पहाड़ जैसी कठिनाइयों से लड़कर आज अपना मुकाम हासिल किया है. सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद ममता पहाड़ की महिलाओं के लिए आगे बढ़ने के मार्ग खोल रही हैं. जिससे वो आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं.

चौकोड़ी की वादियों में शुरू किया काम

हल्द्वानी की रहने वाली ममता टाकुली ने देहरादून के आयुर्वेदिक कॉलेज से योगा का डिप्लोमा करने के साथ ही सीएस से पॉलिटेक्निक भी किया. जिसके बाद शुरुआती दिनों में उसे कई कठनाइयों का सामना करना पड़ा. मगर ममता ने इससे कभी हार नहीं मानी. कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए ममता ने एक नई जिन्दगी की शुरुआत की. चार साल पहले ममता ने चौकोड़ी के हिमालया इंटर कॉलेज में योगा शिक्षक का पद संभाला. यहां उन्होंने स्कूली बच्चों को योग के गुर सिखाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरुक भी किया.

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हालातों को हराकर सफलता के शिखर पर पहुंची ममता

पढ़ें- महिला दिवस विशेष : भाषा, गरिमा, ज्ञान और स्वाभिमान का अर्थ 'सुषमा स्वराज

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

कुछ समय यहां काम करने के बाद ममता ने चैाकोड़ी को ही अपने कार्य क्षेत्र के साथ घर भी बना दिया. ममता ने यहां हिमालया नारी संस्थान में एक प्रबंधक के रूप में काम करते हुए महिलाओं का एक समूह बनाया. जिससे ममता ने 60 से अधिक महिलाओं को कताई-बुनाई का प्रशिक्षण देने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रयास किया. जिसमें वह सफल रही यहां काम करने वाली महिलायें आज अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

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उत्तराखंड का संस्कृति को बढ़ा रही ममता.

पढ़ें- देहरादून नगर निगम के खिलाफ प्रदर्शन, कारगी चौक से कूड़ा डंपिंग हाउस हटाने की मांग

सामाजिक कार्यक्रम में बढ़- चढ़कर हिस्सा लेतीं ममता

चैाकोड़ी में होने वाले हर सामाजिक कार्यक्रम में ममता बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. साथ ही वह महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर उन्हें आगे बढ़ाने का काम करती हैं. ममता महिलाओं के बीच रहकर पहाड़ की ग्रामीण महिलाओं की स्थिति को ठीक करने में हमेशा ही लगी रहती हैं.

पढ़ें- कोरोना : अमृतसर में मिले दो नए मरीज, संख्या बढ़कर 33 हुई, जम्मू में स्कूल बंद

महिलाओं को अधिकारों के लिए लड़ना सिखाती ममता

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महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही ममता

ममता बताती हैं कि आज सरकार ने महिलाओं के लिए अनेकों योजनायें चलाई हैं, मगर आधे से अधिक योजनाएं महिलाओं तक नहीं पहुंच पाती हैं. जिसके कारण उन्हें इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. ममता का कहना है कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आगे आना चाहिए. महिलाओं को शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है.

फोटोग्राफी और एडवेंचर की शौकीन हैं ममता

समाज के लिए काम करने के साथ-साथ ममता खुद के लिए जीना भी नहीं छोड़ती, ममता अपने फोटोग्राफी के शौक को पूरा करते हुए पहाड़ की सभ्यता और संस्कृति को कैमरे में कैद करती हैं. वह अपने इस हुनर से पहाड़ के हालत, महिलाओं की स्थिति, तीज त्योहारों को कुछ अलग अंदाज में पेश करती हैं. ममता की खिची हुई फोटोज की आज देश दुनिया में अपनी अलग पहचान है.

बेरीनाग: कहते हैं न अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो मुश्किलें भी आपका रास्ता नहीं रोक सकती हैं, देर सबेर मेहनत रंग लाती ही है. ऐसी ही एक कहानी हल्द्वानी की रहने वाली ममता टाकुली की भी है. जिसने पहाड़ जैसी कठिनाइयों से लड़कर आज अपना मुकाम हासिल किया है. सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद ममता पहाड़ की महिलाओं के लिए आगे बढ़ने के मार्ग खोल रही हैं. जिससे वो आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं.

चौकोड़ी की वादियों में शुरू किया काम

हल्द्वानी की रहने वाली ममता टाकुली ने देहरादून के आयुर्वेदिक कॉलेज से योगा का डिप्लोमा करने के साथ ही सीएस से पॉलिटेक्निक भी किया. जिसके बाद शुरुआती दिनों में उसे कई कठनाइयों का सामना करना पड़ा. मगर ममता ने इससे कभी हार नहीं मानी. कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए ममता ने एक नई जिन्दगी की शुरुआत की. चार साल पहले ममता ने चौकोड़ी के हिमालया इंटर कॉलेज में योगा शिक्षक का पद संभाला. यहां उन्होंने स्कूली बच्चों को योग के गुर सिखाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरुक भी किया.

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हालातों को हराकर सफलता के शिखर पर पहुंची ममता

पढ़ें- महिला दिवस विशेष : भाषा, गरिमा, ज्ञान और स्वाभिमान का अर्थ 'सुषमा स्वराज

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

कुछ समय यहां काम करने के बाद ममता ने चैाकोड़ी को ही अपने कार्य क्षेत्र के साथ घर भी बना दिया. ममता ने यहां हिमालया नारी संस्थान में एक प्रबंधक के रूप में काम करते हुए महिलाओं का एक समूह बनाया. जिससे ममता ने 60 से अधिक महिलाओं को कताई-बुनाई का प्रशिक्षण देने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रयास किया. जिसमें वह सफल रही यहां काम करने वाली महिलायें आज अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

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उत्तराखंड का संस्कृति को बढ़ा रही ममता.

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सामाजिक कार्यक्रम में बढ़- चढ़कर हिस्सा लेतीं ममता

चैाकोड़ी में होने वाले हर सामाजिक कार्यक्रम में ममता बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. साथ ही वह महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर उन्हें आगे बढ़ाने का काम करती हैं. ममता महिलाओं के बीच रहकर पहाड़ की ग्रामीण महिलाओं की स्थिति को ठीक करने में हमेशा ही लगी रहती हैं.

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महिलाओं को अधिकारों के लिए लड़ना सिखाती ममता

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महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही ममता

ममता बताती हैं कि आज सरकार ने महिलाओं के लिए अनेकों योजनायें चलाई हैं, मगर आधे से अधिक योजनाएं महिलाओं तक नहीं पहुंच पाती हैं. जिसके कारण उन्हें इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. ममता का कहना है कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आगे आना चाहिए. महिलाओं को शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है.

फोटोग्राफी और एडवेंचर की शौकीन हैं ममता

समाज के लिए काम करने के साथ-साथ ममता खुद के लिए जीना भी नहीं छोड़ती, ममता अपने फोटोग्राफी के शौक को पूरा करते हुए पहाड़ की सभ्यता और संस्कृति को कैमरे में कैद करती हैं. वह अपने इस हुनर से पहाड़ के हालत, महिलाओं की स्थिति, तीज त्योहारों को कुछ अलग अंदाज में पेश करती हैं. ममता की खिची हुई फोटोज की आज देश दुनिया में अपनी अलग पहचान है.

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