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रंगारंग कार्यक्रमों से साथ संपन्न हुआ अनुवाल महोत्सव, कई हस्तियों को किया गया सम्मानित - सांस्कृतिक कार्यक्रम

अनुवाल समुदाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय महासम्मेलन में धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय के लोगों ने शिरकत की. इस महासम्मेलन में ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए सामूहिक खेती पर जोर दिया गया.

दो दिवसीय अनुवाल महोत्सव का हुआ समापन.
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Published : Feb 6, 2019, 6:00 AM IST

पिथौरागढ़: जिले के मदकोट क्षेत्र में दो दिनों तक चला अनुवाल महोत्सव सम्पन्न हो गया है. चीन और नेपाल सीमा से सटे उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय ने पहली बार इस महोत्सव का आयोजन किया. महोत्सव में स्थानीय संस्कृति पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. इस दौरान अनुवाल समुदाय से निकली हस्तियों को सम्मानित भी किया गया. उच्च हिमालयी में इलाकों में रहने वाला अनुवाल समुदाय अपनी एक खास सांस्कृतिक पहचान से जाने-जाते हैं.

दो दिवसीय अनुवाल महोत्सव का हुआ समापन.

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अनुवाल समुदाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय महासम्मेलन में धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय के लोगों ने शिरकत की. इस महासम्मेलन में ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए सामूहिक खेती पर जोर दिया गया. इस सम्मेलन में शासन-प्रशासन से दुर्गम क्षेत्रों में आपदाकाल के दौरान सीमांत में संचार व्यवस्था को दुरूस्त करने की मांग की गई.

बता दें कि अनुवाल समुदाय को उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र में ऊन और भेड़पालन के लिए जाना जाता है. विकासखण्ड धारचूला और मुनस्यारी की 152 जातियां अनुवाल समुदाय के अंतर्गत आती हैं. जिनकी जनसंख्या 30 हजार से अधिक है.

पिथौरागढ़: जिले के मदकोट क्षेत्र में दो दिनों तक चला अनुवाल महोत्सव सम्पन्न हो गया है. चीन और नेपाल सीमा से सटे उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय ने पहली बार इस महोत्सव का आयोजन किया. महोत्सव में स्थानीय संस्कृति पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. इस दौरान अनुवाल समुदाय से निकली हस्तियों को सम्मानित भी किया गया. उच्च हिमालयी में इलाकों में रहने वाला अनुवाल समुदाय अपनी एक खास सांस्कृतिक पहचान से जाने-जाते हैं.

दो दिवसीय अनुवाल महोत्सव का हुआ समापन.

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अनुवाल समुदाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय महासम्मेलन में धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय के लोगों ने शिरकत की. इस महासम्मेलन में ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए सामूहिक खेती पर जोर दिया गया. इस सम्मेलन में शासन-प्रशासन से दुर्गम क्षेत्रों में आपदाकाल के दौरान सीमांत में संचार व्यवस्था को दुरूस्त करने की मांग की गई.

बता दें कि अनुवाल समुदाय को उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र में ऊन और भेड़पालन के लिए जाना जाता है. विकासखण्ड धारचूला और मुनस्यारी की 152 जातियां अनुवाल समुदाय के अंतर्गत आती हैं. जिनकी जनसंख्या 30 हजार से अधिक है.
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रंगारंग कार्यक्रमों से साथ संपन्न हुआ अनुवाल महोत्सव, कई हस्तियों को किया गया सम्मानित

पिथौरागढ़: जिले के मदकोट क्षेत्र में दो दिनों तक चला अनुवाल महोत्सव सम्पन्न हो गया है. चीन और नेपाल सीमा से सटे उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय ने पहली बार इस महोत्सव का आयोजन किया. महोत्सव में स्थानीय संस्कृति पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. इस दौरान अनुवाल समुदाय से निकली हस्तियों को सम्मानित भी किया गया. उच्च हिमालयी में इलाकों में रहने वाला अनुवाल समुदाय अपनी एक खास सांस्कृतिक पहचान से जाने-जाते हैं.

  अनुवाल समुदाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय महासम्मेलन में धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले अनुवाल समुदाय के लोगों ने शिरकत की. इस महासम्मेलन में ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए सामूहिक खेती पर जोर दिया गया. इस सम्मेलन में शासन-प्रशासन से दुर्गम क्षेत्रों में आपदाकाल के दौरान सीमांत में संचार व्यवस्था को दुरूस्त करने की मांग की गई.

बता दें कि अनुवाल समुदाय को उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र में ऊन और भेड़पालन के लिए जाना जाता है. विकासखण्ड धारचूला और मुनस्यारी की 152 जातियां अनुवाल समुदाय के अंतर्गत आती हैं. जिनकी जनसंख्या 30 हजार से अधिक है.


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