नैनीताल: हाई कोर्ट से राज्य सरकार को पंचायत चुनाव में आरक्षण तय करने के मामले में बड़ी राहत मिली है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की खंडपीठ ने माना कि राज्य सरकार द्वारा तय किया गया आरक्षण सही है.
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बता दें कि किच्छा निवासी लाल बहादुर कुशवाहा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार नियमों के खिलाफ पंचायतों में आरक्षण लागू कर रही है. याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा जारी 13 अगस्त और 22 अगस्त के नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी, जिसमें सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया था.
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने एक ग्राम जिसमें कोई फेरबदल नहीं किया, उसमें आरक्षण चौथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था की है. साथ ही जिस ग्राम पंचायत में नए वोटर बने हैं या जिनमें 50 प्रतिशत सदस्य जुड़े हैं या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है उसमें प्रथम चक्र के आरक्षण की व्यवस्था की है, जोकि गलत है. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार की यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 के प्रधान के भी खिलाफ है. इसलिए उत्तराखंड सरकार ये नोटिफिकेशन निरस्त करने योग्य है.
वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आरक्षण के मामले में राहत देते हुए याचिका को खारिज कर दिया. सरकार द्वारा जारी किए गए आरक्षण के फैसले को सही माना.