नैनीताल: पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं दिये जाने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने एक बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने सरकार को 6 महीने के भीतर पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास का किराया राजकीय कोष में जमा करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने सरकार को चार माह के भीतर पूर्व मुख्यमंत्रियों के अन्य खर्चों की जांचकर वह धनराशि भी वसूलने को कहा है.
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी आवास और सुविधाएं दी जा रही है. वह उचित नहीं है. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी जिन सरकारी आवास में वह रहे और अन्य सुविधाएं ले रहे थे. उस अवधि तक का भी उनसे किराया और अन्य खर्चे वसूले जाएं.
वहीं, इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यंत्रियों को 6 माह के भीतर बाजार भाव से किराया जमा करने को कहा है. साथ ही चार माह के भीतर पूर्व मुख्यमंत्रियों के अन्य खर्चों की जांचकर वह धनराशि भी वसूलने के लिए कहा है. कोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया है कि अगर तय सीमा के भीतर पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा यह बकाया स्वयं जमा नहीं कराया जाता तो वह सरकार ही पूर्व मुख्यंत्रियों से यह बकाया वसूले.
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गौरतलब है कि कोर्ट में याचिकाकर्ता ने सूबे के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर करीब 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें बताया गया था कि पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया हैं. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी के नाम पर भी एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.