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चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं पर महाराष्ट्र हाई कोर्ट के जज नाराज, उत्तराखंड के चीफ जस्टिस को लिखा खत - नैनीताल

महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश के. श्रीराम ने नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि चारधाम यात्रा में काफी अव्यवस्थाएं हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों को चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

नैनीताल हाईकोर्ट.
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Published : Jun 28, 2019, 8:48 PM IST

नैनीताल: महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने पत्र लिखकर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से चारधाम यात्रा में हो रही अव्यवस्थाओं पर संज्ञान लेने की बात कही. जिसके बाद हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा में हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पर्यटन और सचिव श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और चारधाम क्षेत्रों की सभी जिला पंचायतों को मामले में पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं. साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें-ऊर्जा के क्षेत्र में उतरा इंडियन ऑयल, 64 लाख की लागत से लगाया सोलर प्लांट

बता दें कि महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश के. श्रीराम ने नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि चारधाम यात्रा में काफी अव्यवस्थाएं हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों को चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि न तो यहां कि सड़कें अच्छी हैं और न ही यात्रियों के लिए घोड़े-खच्चर और डोलियों की व्यवस्था है. जिसके कारण श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है. वहीं मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे पत्र में कहा गया है कि चारधाम में आपदा जैसी घटना का इंतजार हो रहा है, लिहाजा यमुनोत्री में तत्काल सुरक्षा के उपायों की जरूरत है.

maharashtra
महाराष्ट्र हाईकोर्ट

पढ़ें-बुजुर्ग मां को बेटों ने किया 'अनाथ', भटकते हुए मिला बेटी का साथ

महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि यात्रा मार्ग में कई किलोमीटर तक कोई भी पुलिस का जवान मौजूद नहीं रहता. जिससे यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाएं फैली हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग में स्वास्थ्य समेत अन्य कई दूसरी व्यवस्थाएं गायब हैं. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे इस पत्र में महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि यात्रा मार्ग में यात्रियों के लिए किसी प्रकार के भोजन की भी व्यवस्था नहीं की गई है. साथ ही उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर दुकानें इतनी नजदीक हैं कि अगर कोई भगदड़ मचती है तो जान माल का खतरा हो सकता है.लिहाजा मुख्य न्यायाधीश को मामले का संज्ञान लेना चाहिए. जिस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.

नैनीताल: महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने पत्र लिखकर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से चारधाम यात्रा में हो रही अव्यवस्थाओं पर संज्ञान लेने की बात कही. जिसके बाद हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा में हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पर्यटन और सचिव श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और चारधाम क्षेत्रों की सभी जिला पंचायतों को मामले में पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं. साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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बता दें कि महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश के. श्रीराम ने नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि चारधाम यात्रा में काफी अव्यवस्थाएं हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों को चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि न तो यहां कि सड़कें अच्छी हैं और न ही यात्रियों के लिए घोड़े-खच्चर और डोलियों की व्यवस्था है. जिसके कारण श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है. वहीं मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे पत्र में कहा गया है कि चारधाम में आपदा जैसी घटना का इंतजार हो रहा है, लिहाजा यमुनोत्री में तत्काल सुरक्षा के उपायों की जरूरत है.

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महाराष्ट्र हाईकोर्ट

पढ़ें-बुजुर्ग मां को बेटों ने किया 'अनाथ', भटकते हुए मिला बेटी का साथ

महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि यात्रा मार्ग में कई किलोमीटर तक कोई भी पुलिस का जवान मौजूद नहीं रहता. जिससे यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाएं फैली हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग में स्वास्थ्य समेत अन्य कई दूसरी व्यवस्थाएं गायब हैं. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे इस पत्र में महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि यात्रा मार्ग में यात्रियों के लिए किसी प्रकार के भोजन की भी व्यवस्था नहीं की गई है. साथ ही उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर दुकानें इतनी नजदीक हैं कि अगर कोई भगदड़ मचती है तो जान माल का खतरा हो सकता है.लिहाजा मुख्य न्यायाधीश को मामले का संज्ञान लेना चाहिए. जिस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.

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उत्तराखंड मैं आयोजित होने वाली चार धाम यात्रा में अव्यवस्थाओं के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

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प्रदेश में शुरू हुई चार धाम यात्रा में होरी अवस्थाओं के मामले पर नदी ताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर नैनीताल हाईकोर्ट में जवाब पेश करने का आदेश दिया है साथ ही कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव प्रमुख सचिव पर्यटन और सचिव श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और चार धाम क्षेत्रों की सभी जिला पंचायतों को मामले में पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं


Body:आपको बता दें कि महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश के आज श्री राम ने नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि उत्तराखंड में आयोजित होने वाली चार धाम यात्रा में काफी अवस्थाएं हैं और चार धाम आने वाले यात्रियों को चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यात्रा मार्ग पर ना तो अच्छी सड़कें हैं ना ही यात्रियों के लिए खच्चर और डोलियों की व्यवस्था है जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे पत्र में कहा है कि चार धाम में आपदा जैसी घटना का इंतजार हो रहा है लिहाजा यमुनोत्री में तत्काल सुरक्षा के उपाय की जरूरत है।


Conclusion:साथ ही महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि यात्रा मार्ग में कई किलोमीटर तक कोई पुलिस का जवान मौजूद नहीं रहता है जिससे यात्रा मार्ग में अव्यवस्थाओं का आलम है, साथी यात्रा मार्ग में स्वास्थ्य समेत अन्य कोई दूसरी व्यवस्थाएं नहीं है और ना ही यात्रियों के बैठने के लिए बेंच, कुर्सी या अन्य सुविधाएं हैं साथ ही यात्रियों के लिए हेलीपैड में भी किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं है,,,
नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजे इस पत्र में महाराष्ट्र हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा है कि यात्रा मार्ग में यात्रियों के लिए किसी प्रकार के भोजन की भी व्यवस्था नहीं है वहीं कई स्थानों में दुकानें इतनी नजदीक बनी है कि अगर मार्ग में कोई भगदड़ मचती है तो जान माल का खतरा बढ़ेगा लिहाजा मुख्य न्यायाधीश को मामले का संज्ञान लेना चाहिए,,
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