नैनीताल: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नैनीताल हाई कोर्ट ने मानहानि के मामले में सुनवाई करते हुए उनके ऊपर निचली अदालत में चले ट्रायल का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. जबकि दुष्कर्म के आरोप में कैबिनेट मंत्री को पहले ही निचली अदालत क्लीन चिट दे चुका है.
बता दें कि ये पूरा मामला 1970 का है. तब यशपाल आर्य समेत बहादुर पाल पर हल्द्वानी की रहने वाली एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. कोर्ट में मामला चलने के बाद निचली अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था.
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यशपाल आर्य को निचली अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद 2010 में दिल्ली से प्रकाशित एक पत्रिका के संपादक गोपाल कृष्ण गुप्ता ने उन पर लेख प्रकाशित किया था. जिसके खिलाफ यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल की कोर्ट में गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद संजीव आर्य ने एक बार फिर जिला जज कोर्ट में अपील की. जिसमें सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.
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जिसके बाद गोपाल कृष्ण गिरफ्तारी से बचने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे. उन्होंने 2014 में इस मामले में स्टे ले लिया. जिसके बाद से मामला नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ में विचाराधीन था. शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायधीश रविंद्र मैंठाणी की एकल पीठ ने मामले को गंभीरता लिया. जिसके बाद उन्होंने यशपाल आर्य समेत अन्य पर 1970 में निचली अदालत में चले मुकदमे और ट्रायल की रिपोर्ट 2 सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.