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मानहानि के मामले में HC ने मांगी ट्रायल रिपोर्ट, निचली अदालत मंत्री को पहले ही दे चुका क्लीन चिट

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नैनीताल हाई कोर्ट ने मानहानि के मामले में सुनवाई करते हुए उनके ऊपर निचली अदालत में चले ट्रायल का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट.
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Published : Dec 14, 2019, 10:49 PM IST

Updated : Dec 15, 2019, 12:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नैनीताल हाई कोर्ट ने मानहानि के मामले में सुनवाई करते हुए उनके ऊपर निचली अदालत में चले ट्रायल का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. जबकि दुष्कर्म के आरोप में कैबिनेट मंत्री को पहले ही निचली अदालत क्लीन चिट दे चुका है.

बता दें कि ये पूरा मामला 1970 का है. तब यशपाल आर्य समेत बहादुर पाल पर हल्द्वानी की रहने वाली एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. कोर्ट में मामला चलने के बाद निचली अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था.

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यशपाल आर्य को निचली अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद 2010 में दिल्ली से प्रकाशित एक पत्रिका के संपादक गोपाल कृष्ण गुप्ता ने उन पर लेख प्रकाशित किया था. जिसके खिलाफ यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल की कोर्ट में गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद संजीव आर्य ने एक बार फिर जिला जज कोर्ट में अपील की. जिसमें सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.

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जिसके बाद गोपाल कृष्ण गिरफ्तारी से बचने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे. उन्होंने 2014 में इस मामले में स्टे ले लिया. जिसके बाद से मामला नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ में विचाराधीन था. शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायधीश रविंद्र मैंठाणी की एकल पीठ ने मामले को गंभीरता लिया. जिसके बाद उन्होंने यशपाल आर्य समेत अन्य पर 1970 में निचली अदालत में चले मुकदमे और ट्रायल की रिपोर्ट 2 सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नैनीताल हाई कोर्ट ने मानहानि के मामले में सुनवाई करते हुए उनके ऊपर निचली अदालत में चले ट्रायल का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. जबकि दुष्कर्म के आरोप में कैबिनेट मंत्री को पहले ही निचली अदालत क्लीन चिट दे चुका है.

बता दें कि ये पूरा मामला 1970 का है. तब यशपाल आर्य समेत बहादुर पाल पर हल्द्वानी की रहने वाली एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. कोर्ट में मामला चलने के बाद निचली अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था.

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यशपाल आर्य को निचली अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद 2010 में दिल्ली से प्रकाशित एक पत्रिका के संपादक गोपाल कृष्ण गुप्ता ने उन पर लेख प्रकाशित किया था. जिसके खिलाफ यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल की कोर्ट में गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद संजीव आर्य ने एक बार फिर जिला जज कोर्ट में अपील की. जिसमें सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.

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जिसके बाद गोपाल कृष्ण गिरफ्तारी से बचने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे. उन्होंने 2014 में इस मामले में स्टे ले लिया. जिसके बाद से मामला नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ में विचाराधीन था. शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायधीश रविंद्र मैंठाणी की एकल पीठ ने मामले को गंभीरता लिया. जिसके बाद उन्होंने यशपाल आर्य समेत अन्य पर 1970 में निचली अदालत में चले मुकदमे और ट्रायल की रिपोर्ट 2 सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

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1970 में यशपाल आर्य पर लगे रेप के आरोप की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश।

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1970 में रेप के मामले पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश रविंद्र मैथानी की एकल पीठ ने 1970 में यशपाल आर्य पर लगे रेप के आरोप के मामले पर निचली अदालत में चले ट्रायल का रिकॉर्ड हाई कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं


Body:आपको बता दें कि 1970 में यशपाल आर्य समेत बहादुर पाल पर हल्द्वानी निवासी महिला द्वारा रेप का आरोप लगाया था, और महिला द्वारा दोनों आरोपियों के खिलाफ हल्द्वानी कोतवाली में मामला दर्ज करवाया,जिसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले में जांच कर चार्जशीट कोर्ट में पेश की, जिसके बाद मामला निचली अदालत में चला और निचली अदालत द्वारा यशपाल आर्य और बहादुर पाल सिंह को बरी कर दिया।
यशपाल आर्य के बरी होने के बात 2010 में दिल्ली से प्रकाशित एक पत्रिका के संपादक गोपाल कृष्ण गुप्ता ने " यशपाल आर्य का महिला व जेल से संबंध" नामक लेख प्रकाशित किया जिसके खिलाफ यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल की कोर्ट में गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया, इसी के बाद संजीव आर्य ने एक बार फिर जिला जज के कोर्ट में अपील की और कोर्ट में मामले में सुनवाई करते थे गोपाल कृष्ण गुप्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट किए।
जिसके बाद गोपाल कृष्ण अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे और उन्होंने 2014 में स्टे ले लिया जिसके बाद से मामला नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ में विचाराधीन था।


Conclusion:आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायधीश रविंद्र मैंठाणी की एकल पीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यशपाल आर्य समेत अन्य पर 1970 में निचली अदालत में चले मुकदमे और ट्रायल की रिपोर्ट 2 सप्ताह के भीतर उनकी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं, ताकि महिला की गवाही व अन्य साक्ष्यों पर विचार किया जा सके।


बाईट- एम सी कांडपाल, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Dec 15, 2019, 12:36 PM IST
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