नैनीताल: हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिवहन निगम के मुख्य सचिव को दीपावली से पहले 69 करोड़ रुपए का बकाया शासनादेश अनुसार देने के आदेश दिये हैं. जिससे कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आखिर रोडवेज कर्मचारी कब तक मुफ्त में रोडवेज की गाड़ियां चलाएंगे?
रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल और वेतन मामले में सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव ने कहा कि उन्होंने 16 अक्टूबर 2019 को सरकार को अवगत कराया था कि सरकार के पास निगम का 69 करोड़ रुपए बकाया है. साथ ही सुनवाई में परिवहन निगम ने कहा कि मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ, रक्षाबंधन, चुनाव ड्यूटी, दिव्यांग, सीनियर सिटीजन समेत आपदा के समय सरकार द्वारा फ्री सेवा कराई गई थी. जिसका खर्च अब तक राज्य सरकार ने नहीं दिया है. जबकि इस मामले में सरकार ने शासनादेश भी जारी किया था.
पढ़ें-पहल: महिलाएं रद्दी से तैयार कर रही डेकोरेटिव सामान, मार्केट में अच्छी खासी डिमांड
निगम ने बताया कि सरकार ने 85 करोड़ में से 19 करोड़ निगम को दिए हैं जबकि 69 करोड़ रुपए अभी भी सरकार पर बकाया है. निगम की तरफ से कहा गया है कि निगम एक व्यवसायिक संस्था है अगर सरकार इसे फ्री में चलाना चाहती है तो उसका भुगतान भी सरकार ही करेगी, नहीं तो निगम घाटे में चला जाएगा.
पढ़ें-अब पटाखे और आतिशबाजी से दिवाली हो रही रोशन, पर 'जलता' है शहर, जानिए पटाखों का इतिहास
बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है जो सरासर गलत है. याचिका में कर्मचारियों ने कहा कि सरकार उन्हें हड़ताल पर जाने पर मजबूर करती है. सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं और न ही उन्हें नियमित वेतन दे रहे हैं. उन्हें पिछले 4 साल से ओवरटाइम तक का पैसा नहीं दिया गया है. वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है.
पढ़ें-अब नहीं दिखाई देते कुम्हार की चाक पर बने दीये, दम तोड़ रहा पारंपरिक रोजगार
कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार की ओर से निगम का उनके साथ कई बार समझौता हो चुका है. बावजूद इसके भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है. याचिका में सरकार पर निगम को 85 करोड़ रुपया बकाया देने की बात भी कही गई है.
पढ़ें-आधुनिकता के रंग में रंगी दिवाली, चाइनीज लाइट्स और पटाखों के शोर में दीयों की रौनक हुई कम
वहीं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को ₹700 करोड़ रुपए देने हैं. जिसके लिए राज्य सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है. जिसके कारण परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.