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उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, दीपावली से पहले रोडवेज कर्मचारियों को मिल सकता है तोहफा

निगम ने कोर्ट में बताया कि सरकार ने 85 करोड़ में से 19 करोड़ निगम को दिए हैं, जबकि 69 करोड़ रुपए अभी भी सरकार पर बकाया है. निगम की तरफ से कहा गया है कि निगम एक व्यवसायिक संस्था है अगर सरकार इसे फ्री में चलाना चाहती है तो उसका भुगतान भी सरकार ही करेगी, नहीं तो निगम घाटे में चला जाएगा.

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Published : Oct 22, 2019, 10:51 PM IST

दीपावली से पहले रोडवेज कर्मचारियों को मिल सकता है तोहफा.

नैनीताल: हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिवहन निगम के मुख्य सचिव को दीपावली से पहले 69 करोड़ रुपए का बकाया शासनादेश अनुसार देने के आदेश दिये हैं. जिससे कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आखिर रोडवेज कर्मचारी कब तक मुफ्त में रोडवेज की गाड़ियां चलाएंगे?

रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल और वेतन मामले में सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव ने कहा कि उन्होंने 16 अक्टूबर 2019 को सरकार को अवगत कराया था कि सरकार के पास निगम का 69 करोड़ रुपए बकाया है. साथ ही सुनवाई में परिवहन निगम ने कहा कि मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ, रक्षाबंधन, चुनाव ड्यूटी, दिव्यांग, सीनियर सिटीजन समेत आपदा के समय सरकार द्वारा फ्री सेवा कराई गई थी. जिसका खर्च अब तक राज्य सरकार ने नहीं दिया है. जबकि इस मामले में सरकार ने शासनादेश भी जारी किया था.

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निगम ने बताया कि सरकार ने 85 करोड़ में से 19 करोड़ निगम को दिए हैं जबकि 69 करोड़ रुपए अभी भी सरकार पर बकाया है. निगम की तरफ से कहा गया है कि निगम एक व्यवसायिक संस्था है अगर सरकार इसे फ्री में चलाना चाहती है तो उसका भुगतान भी सरकार ही करेगी, नहीं तो निगम घाटे में चला जाएगा.

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बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है जो सरासर गलत है. याचिका में कर्मचारियों ने कहा कि सरकार उन्हें हड़ताल पर जाने पर मजबूर करती है. सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं और न ही उन्हें नियमित वेतन दे रहे हैं. उन्हें पिछले 4 साल से ओवरटाइम तक का पैसा नहीं दिया गया है. वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

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कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार की ओर से निगम का उनके साथ कई बार समझौता हो चुका है. बावजूद इसके भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है. याचिका में सरकार पर निगम को 85 करोड़ रुपया बकाया देने की बात भी कही गई है.

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वहीं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को ₹700 करोड़ रुपए देने हैं. जिसके लिए राज्य सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है. जिसके कारण परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिवहन निगम के मुख्य सचिव को दीपावली से पहले 69 करोड़ रुपए का बकाया शासनादेश अनुसार देने के आदेश दिये हैं. जिससे कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आखिर रोडवेज कर्मचारी कब तक मुफ्त में रोडवेज की गाड़ियां चलाएंगे?

रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल और वेतन मामले में सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव ने कहा कि उन्होंने 16 अक्टूबर 2019 को सरकार को अवगत कराया था कि सरकार के पास निगम का 69 करोड़ रुपए बकाया है. साथ ही सुनवाई में परिवहन निगम ने कहा कि मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ, रक्षाबंधन, चुनाव ड्यूटी, दिव्यांग, सीनियर सिटीजन समेत आपदा के समय सरकार द्वारा फ्री सेवा कराई गई थी. जिसका खर्च अब तक राज्य सरकार ने नहीं दिया है. जबकि इस मामले में सरकार ने शासनादेश भी जारी किया था.

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निगम ने बताया कि सरकार ने 85 करोड़ में से 19 करोड़ निगम को दिए हैं जबकि 69 करोड़ रुपए अभी भी सरकार पर बकाया है. निगम की तरफ से कहा गया है कि निगम एक व्यवसायिक संस्था है अगर सरकार इसे फ्री में चलाना चाहती है तो उसका भुगतान भी सरकार ही करेगी, नहीं तो निगम घाटे में चला जाएगा.

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बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है जो सरासर गलत है. याचिका में कर्मचारियों ने कहा कि सरकार उन्हें हड़ताल पर जाने पर मजबूर करती है. सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं और न ही उन्हें नियमित वेतन दे रहे हैं. उन्हें पिछले 4 साल से ओवरटाइम तक का पैसा नहीं दिया गया है. वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का भी अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

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कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार की ओर से निगम का उनके साथ कई बार समझौता हो चुका है. बावजूद इसके भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है. याचिका में सरकार पर निगम को 85 करोड़ रुपया बकाया देने की बात भी कही गई है.

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वहीं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को ₹700 करोड़ रुपए देने हैं. जिसके लिए राज्य सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है. जिसके कारण परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश के सचिव परिवहन मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह परिवहन निगम का दीपावली से पहले बकाया 69 करोड़ रुपए शासनादेश के अनुसार दें, ताकि कर्मचारियों को वेतन मिल सके, वहीं कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि आखिर रोडवेज कर्मचारी कब तक रोडवेज कि मुफ्त में गाड़ियां चलाएंगे।

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रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल और वेतन ना मिलने के मामले की सुनवाई के दौरान सचिव परिवहन की तरफ से कहा गया कि उन्होंने 16 अक्टूबर 2019 को सरकार को अवगत कराया था कि सरकार के पास निगम का 69 करो रुपया बकाया है, वही परिवहन निगम की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ, रक्षाबंधन, चुनाव ड्यूटी, विकलांग, सीनियर सिटीजन समेत आपदा के समय सरकार द्वारा फ्री सेवा कराई गई थी जिसका खर्च अब तक राज्य सरकार द्वारा नहीं दिया गया है। जबकि इसमें सरकार ने शासनादेश भी जारी किया था सरकार ने 85 करोड़ में से 19 करोड निगम को दिए, जबकि 69करोड़ रुपए अभी भी सरकार के ऊपर बकाया है, निगम की तरफ से कहा गया कि निगम एक व्यवसायिक संस्था है अगर सरकार इसे फ्री में चलाना चाहती है तो उसका भुगतान भी सरकार ही करेगी नहीं तो निगम घाटी में चला जाएगा।


Body:आपको बता दें कि रोडवेज कर्मचारी एसोसिएशन के द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है जो सरासर गलत है, सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है और सरकार व परिवहन निगम ना तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रहे हैं, ना ही उनको नियमित वेतन दे रहे हैं और उनको पिछले 4 साल से ओवरटाइम का पैसा तक नहीं दिया है, वहीं रिटायर्ड कर्मचारियों के देय का अब तक भुगतान नहीं किया गया है।


Conclusion:कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार ओर निगम का उनके साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है लेकिन उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने जा रही है साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार निगम को 85 करोड़ रुपया बकाया देना है,
वही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखंड परिवहन निगम को ₹700 देना है जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,, और उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ लेने के लिए ना तो राज्य सरकार कोई प्रयास कर रही है,,,
और उत्तराखण्ड सरकार भी उनका का पैसा नही दे रही है जिस वजह से उत्तराखंड परिवहन निगम नई बसें नहीं खरीद पा रहा है ना ही यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं की व्यवस्था कर पा रहा है, जबकि पूर्व में कोर्ट ने बसों में सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं देने के आदेश दिए थे।
मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- एम सी पंत,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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