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विद्युत कर्मचारियों को फ्री बिजली मामले में हाईकोर्ट सख्त, दो हफ्ते में विभाग से मांगा जवाब - high court becomes strict in the matter of free electricity

उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्री बिजली देने के मामले में हाईकोर्ट ने 2 सप्ताह में जवाब मांगा है. गुरुवार को इस मामले में उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन निगम ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश किया.

विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अब नहीं मिलेगी फ्री बिजली
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Published : Nov 14, 2019, 8:41 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अब फ्री में बिजली नहीं मिलेगी. अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्री में बिजली देने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन निगम और पिटकुल को उन अधिकारियों और कर्मचारियों का डाटा पेश करने के आदेश दिए हैं, जिन्हें फ्री में बिजली मुहैया कराई जाती है.

कोर्ट ने मामले में पिटकुल को पार्टी बनाते हुए फ्री में बिजली देने पर उत्तराखंड जल विद्युत निगम समेत पिटकुल को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. गुरुवार को इस मामले में उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन निगम ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश कर बताया कि अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलने वाली बिजली को सीमित किया जाए. जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में 2 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.

विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अब नहीं मिलेगी फ्री बिजली

पढ़ें-'चौकीदार चोर है' बयान पर राहुल को मिली राहत, नहीं चलेगा अवमानना का केस

बता दें कि देहरादून के आरटीआई क्लब ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों को बिलों में रियायत देती है. उनसे एक महीने में मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से ₹100 का ही बिल लिया जाता है.

पढ़ें-लोगों की आस्था से खिलवाड़, वन विभाग ने देवताओं के पौराणिक पाषाण को तोड़ा

याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट पेश की, जिनके घर में आज तक मीटर नहीं लगे हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम और पिटकुल को जवाब पेश करने के आदेश दिए है.

नैनीताल: उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अब फ्री में बिजली नहीं मिलेगी. अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्री में बिजली देने के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन निगम और पिटकुल को उन अधिकारियों और कर्मचारियों का डाटा पेश करने के आदेश दिए हैं, जिन्हें फ्री में बिजली मुहैया कराई जाती है.

कोर्ट ने मामले में पिटकुल को पार्टी बनाते हुए फ्री में बिजली देने पर उत्तराखंड जल विद्युत निगम समेत पिटकुल को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. गुरुवार को इस मामले में उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन निगम ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश कर बताया कि अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलने वाली बिजली को सीमित किया जाए. जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में 2 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.

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बता दें कि देहरादून के आरटीआई क्लब ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों को बिलों में रियायत देती है. उनसे एक महीने में मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से ₹100 का ही बिल लिया जाता है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट पेश की, जिनके घर में आज तक मीटर नहीं लगे हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम और पिटकुल को जवाब पेश करने के आदेश दिए है.

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उत्तराखंड में विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अब नहीं मिलेगी फ्री में बिजली, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन निगम ने हाई कोर्ट में पेश किया शपथ पत्र।

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उत्तराखंड में विद्युत विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्री में बिजली देने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन निगम और पिटकुल को उन अधिकारियों और कर्मचारियों का डाटा पेश करने के आदेश दिए हैं जिनको फ्री में बिजली दी जाती है साथ ही कोर्ट ने मामले में पिटकुल को स्वत: पार्टी बनाते हुए फ्री में बिजली देने पर उत्तराखंड जल विद्युत निगम समेत पिटकुल को 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, आज मामले में उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन निगम द्वारा हाई कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया गया और कोर्ट को बताया कि अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलने वाली बिजली को सीमित करा जाएगा और अब फ्री में कर्मचारियों और अधिकारियों को बिजली नहीं दी जाएगी।


Body:आपको बता दें कि देहरादून की आर टी आई क्लब नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों से 1 महीने का बिल मात्र 400 से ₹500 और कर्मचारियों से मात्र ₹100 ले रही है, जबकि इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है, लिहाजा इन लोगों से बाजार भाव के हिसाब से किराया लिया जाए।


Conclusion:वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे और जहां लगे हैं वह खराब स्थिति में है, याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट कोर्ट में पेश की जिसमें घर में आज तक बिजली के मीटर नहीं लगे और जहां लगे हैं वह खराब है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम और पिटकुल को जवाब पेश करने के आदेश दिए है,
वहीं हाई कोर्ट ने पूर्व में सचिव ऊर्जा निगम को जवाब पेश करने के आदेश दिए गए थे लेकिन आज उनके द्वारा जवाब पेश नहीं किया गया और उनके द्वारा जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा गया जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सचिव ऊर्जा निगम को 2 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

बाइट- मोहम्मद मतलूब अधिवक्ता याचिकाकर्ता
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