मसूरी/रुद्रपुर/नैनीतालः देवभूमि में हरेला पर्व पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. हरियाली के प्रतीक इस पर्व के अवसर राज्य के अनेक शहरों में विविध कार्यक्रम हो रहे हैं. मुख्य रूप से हरेला पर्व पर बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जा रहा है. मसूरी, रुद्रपुर, नैनीताल सहित अन्य भागों में लोगों ने पर्यावरण संवर्धन का संकल्प लेते हुए अनेक फलदार पौधे रोपे. इस कार्य में वन विभाग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
श्रावण मास के प्रथम दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार को कर्क संक्रांति के रूप से भी जाना जाता है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर बढऩे लगता है. इसलिए इसे कर्क संक्रांति व श्रावण संक्रांति भी कहा जाता है.
मसूरी के सेंट जॉर्ज कॉलेज के पास क्रिश्चियन विलेज के जंगलों में 300 से अधिक विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपे गए.
कार्यक्रम का शुभारंभ मसूरी व्यापार मंडल अध्यक्ष रजत अग्रवाल और गढ़वाल जल संस्थान के अधिशासी अधिकारी सुशील सैनी ने किया.उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रोजेक्ट रिस्पना नदी के किनारे लाखों पेड़ लगाये जा रहे हैं. पिछले साल भी लाखों पेड़ लगाए गए थे.
इस बार भी नदी किनारे विभिन्न प्रजाति के पेड़ लगाए जा रहे हैं और उनको पूरी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाने का सपना जल्द पूरा होगा.
वन दरोगा गजेंद्र गौड़ ने बताया कि प्रदेश भर में हरेला पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. वह इस दौरान पूरे प्रदेश में लोग अपने क्षेत्र में पौधारोपण कर रहे हैं. वहीं वन विभाग द्वारा रिस्पना नदी के उद्गम क्षेत्र में करीब 8 हजार पौधों को रोपा जा चुका है.
रुद्रप्रयाग में हरेला पर्व के अवसर पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने विकास खंड अगस्त्य मुनि के निरवाली धारकोट गांव में वृहद पौधारोपण कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हरेला पर्व का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण और जल संरक्षण है. इसके लिए अधिक से अधिक पौधारोपण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम सबको इस अभियान में मिलकर काम करने की जरूरत है.
धारकोटा और भटवाड़ी गांव में जिलाधिकारी के साथ ही पुलिस अधीक्षक अजय सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी मंयक शेखर झा, 10 जैक्लाइन के कर्नल विवेक जमदार के साथ ही विभागीय अधिकारी, आईटीबीपी अधिकारी, 10 जैक्लाइन व पुलिस के जवान, राजकीय इंटर कॉलेज कोटगी के छात्र-छात्राओं के साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं जनता ने पौधारोपण अभियान में बढ़चढ़कर भाग लिया.
जिलाधिकारी घिल्डियाल ने कहा कि आज के दौर में पर्यावरण को बढ़ते प्रदूषण के खतरे से जहां भारी जल संकट का खतरा पैदा हो रहा है, वहीं जंगल भी समाप्त हो रहे हैं. ऐसे में इसका बड़ा खामियाजा जीव-जंतुओं को भुगतना पड़ रहा है.
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उन्होंने कहा कि यदि हम पौधारोपण करते हैं तो इससे पर्यावरण को फायदा तो होगा ही, साथ ही जल संकट से भी निजात मिलेगी और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक भी कम होगा.
क्योंकि फलदार पौधों के रोपण के बाद बंदर, लंगूर और तमाम प्रकार के जंगली जानवरों के लिए भोजन जंगलों में ही उपलब्ध हो जाएगा और वह खेती की तरफ रूझान नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार के इस महत्वाकांक्षी अभियान को सफल बनाने के लिए सभी लोग अधिक से अधिक सहयोग करें.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पर्यावरणविद सतेन्द्र सिंह भण्डारी ने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी रोपे गए पौधों को बचाने की है. पर्यावरण को बचाने के लिए हमें पौधारोपण को आंदोलन का रूप देना होगा. जब तक पेड़-पौधे हैं, तभी तक हमारा जीवन है. हमें प्रकृति और पर्यावरण की अहमियत को समझना होगा.
इसी तरह नैनीताल में हरेला पर्व निमित्त भीमताल में प्रदेश के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने मेले का शुभारंभ किया. कुमाऊं में हरेला पर्व धार्मिक व पौराणिक महत्व का है. यूं तो कुमाऊं में हरेला पर्व साल में तीन बार चैत्र, श्रावण व आश्विन माह के अंतिम दिन दशहरे पर मनाया जाता है, लेकिन श्रावण मास के हरेला पर्व का खास महत्व है.
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हरेला आज से ठीक 9 दिन पहले 7 अनाजों के मिश्रण के साथ बोया जाता है. जिसको परिवार की महिला मुखिया एक टोकरों में बोती है और इसका 10 दिन तक देख भाल करती है और रोज सुबह और शाम को पूजा करने के बाद पानी भी देती है, जिसे 10 दिन बाद यानी हरेले के दीन काटा जाता है.
मान्यता है कि अगर टोकरी में बोया गया अनाज अधिक मात्रा में होता है तो उस साल देश मे किसानों की फसल भी अच्छी होती है, अगर टोकरी में बोया गया अनाज कम होता है तो उस साल फसल भी कम होती है.
नैनीताल के भीमताल में 6 दिनों तक हरेला मेले का आयोजन होगा. जिसका यहां के लोग और दूरदराज से आने वाले ग्रामीण लुत्फ उठांएगे. साथ ही मेले में पौधारोपण, खेलकूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी.