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प्रयागराज कुंभ में इस बाबा के साथ सेल्फी लेने वालों की मची होड़, जानिए क्या है वजह?

महंत नारायण नंद गिरी बताते है कि जब तक माता-पिता जीवित थे तब तक वो उनके साथ रहते थे, उनके माता पिता का स्वर्गवास हो गया, तब वो सन्यासी बन गये.

बाबा महंत नारायण नंद गिरी
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Published : Feb 7, 2019, 3:01 PM IST

प्रयागराज/हरिद्वार: हाथ में कमंडल लिए, गले में रुद्राक्ष की माला पहने जैसे ही 18 इंच की लंबाई वाले बाबा मेला क्षेत्र में निकले, कि बाबा के साथ सेल्फी लेने के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई. एक के बाद एक लोग बाबा के साथ सेल्फी लेते नजर आए. हरिद्वार जूना अखाड़ा के महंत नारायण नंद गिरी की लंबाई 18 इंच है.

पढ़ें- मऊ: झंडारोहण के दौरान करंट लगने से एक अध्यापक और तीन छात्र झुलसे

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महंत नारायण नंद गिरी बताते है कि जब तक माता-पिता जीवित थे तब तक वो उनके साथ रहते थे, उनके माता पिता का स्वर्गवास हो गया, तब वो सन्यासी बन गये. बाबा ने बताया कि वो चार भाई-बहन हैं और साल 2009 में लगे कुम्भ हरिद्वार में जूना अखाड़े के महंत आंनद गिरी से उन्होंने दीक्षा ली और संन्यासी बन गये.

प्रयागराज कुंभ पहुंचे 18 इंच के बाबा महंत नारायण नंद गिरी
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18 इंच की लंबाई के वजह से देश-दुनिया में बनी पहचान

बता दें, बाबा की लंबाई 18 इंच की है. उनका कहना है कि वो प्रयागराज कुंभ में बाबा सबसे छोटे बाबा के नाम से पहचाने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी उम्र 50 साल हो गई है और अब उनको एक कान से कम सुनाई देता है. अब लोगों ने भिक्षा नहीं मांगते सिर्फ संत महत्माओं से भिक्षा लेकर पेट पालते हैं.

प्रयागराज/हरिद्वार: हाथ में कमंडल लिए, गले में रुद्राक्ष की माला पहने जैसे ही 18 इंच की लंबाई वाले बाबा मेला क्षेत्र में निकले, कि बाबा के साथ सेल्फी लेने के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई. एक के बाद एक लोग बाबा के साथ सेल्फी लेते नजर आए. हरिद्वार जूना अखाड़ा के महंत नारायण नंद गिरी की लंबाई 18 इंच है.

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महंत नारायण नंद गिरी बताते है कि जब तक माता-पिता जीवित थे तब तक वो उनके साथ रहते थे, उनके माता पिता का स्वर्गवास हो गया, तब वो सन्यासी बन गये. बाबा ने बताया कि वो चार भाई-बहन हैं और साल 2009 में लगे कुम्भ हरिद्वार में जूना अखाड़े के महंत आंनद गिरी से उन्होंने दीक्षा ली और संन्यासी बन गये.

प्रयागराज कुंभ पहुंचे 18 इंच के बाबा महंत नारायण नंद गिरी
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18 इंच की लंबाई के वजह से देश-दुनिया में बनी पहचान

बता दें, बाबा की लंबाई 18 इंच की है. उनका कहना है कि वो प्रयागराज कुंभ में बाबा सबसे छोटे बाबा के नाम से पहचाने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी उम्र 50 साल हो गई है और अब उनको एक कान से कम सुनाई देता है. अब लोगों ने भिक्षा नहीं मांगते सिर्फ संत महत्माओं से भिक्षा लेकर पेट पालते हैं.

Intro:कुम्भ 2019 : कुंभ में आए 18 इंच के बाबा, श्रद्धालुओं के बीच बने आकर्षण का केंद्र

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प्रयागराज: हाथ में कमंडल लिए, गले मे रुद्राक्ष की माला पहने जैसे ही 18 इंच की लंबाई वाले बाबा मेला क्षेत्र में निकले की बाबा के साथ सेल्फी लेने के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई. एक के बाद एक लोग बाबा के साथ फोटोग्राफी करते नजर आए. जूना अखाड़ा में आये महंत नारायण नंद गिरी बचपन से ही उनकी लंबाई 18 इंच की है. वह बताते है कि जब तक माता पिता जीवित थे तब तक उनके साथ रहता था लेकिन जब से वह भगवान के प्यारे हो गए तभी से मैं संयासी बन गया. परिवार में मैं चार भाई बहन हूँ जिसमें मैं अब संयासी बन गया. 2009 में लगे कुम्भ हरिद्वार में जूना अखाड़े के महंत आंनद गिरी से सन्यास का दीक्षा लिया और अब बस कुम्भ में ही घूमा करता हूँ.


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18 इंच की लंबाई के वजह से देश-दुनिया में बनी पहचान

बाबा ने कहा कि मेरी लंबाई 18 इंच की है. इस कुम्भ में सबसे छोटा बाबा के नाम से जाना जाता हूँ. इसके साथ ही कान से कम सुनाई पड़ता है. अभी मेरी उम्र 50 साल की हो गई है लेकिन बचपन से ही संत महत्माओं की तरफ मेरा रुझान बढ़ा रहा. किसी के ऊपर बोझ बनाना नहीं चाहता था इसलिए संयासी बनाकर देश दुनिया की सैर कर रहा हूँ, यही मेरी जिंदगी है. उन्होंने कहा कि मैं बाहर के लोगों से भिक्षा नहीं मांगता हूं सिर्फ संत महत्माओं से भिक्षा लेकर पेट भरता हूँ.


Conclusion:जहां जाता हूँ वही भीड़ लगती है

बाबा ने बताया कि जहां जाता हूँ वही हमको देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो जाती है. कोई सेल्फी लेता है तो कोई फोटोशूट करता है. कुम्भ में जिधर घूमने जाता हूँ वही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो जाती है. कुछ लोग पूछते हैं बाबा जी आप की लंबाई कितनी है, मैं उनसे उतना ही कहता हूं जो है सामने है. बाबा ने बताया कि मेरी लंबाई बचपन से ही 18 इंच की है और अब तक लंबाई उतनी है. लोगों का कहना है दुनिया मे सबसे छोटा बाबा हूँ. यही मेरी पहचान है.
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