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राष्ट्रीय डेंगू दिवस: हर साल जान गंवाते हैं हजारों लोग, उत्तराखंड के इस जिले में सबसे ज्यादा केस - haldwani

जागरुकता के अभाव और समय पर डेंगू का इलाज न मिलने के कारण सूबे में हर साल कई लोग अपनी जान गवां देते हैं. जिसके चलते लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से पूरे देश में 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाया जाता है.

राष्ट्रीय डेंगू दिवस
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Published : May 16, 2019, 9:25 AM IST

Updated : May 17, 2019, 5:52 PM IST

हल्द्वानी: जागरुकता के अभाव और समय पर डेंगू का इलाज नहीं मिलने के कारण सूबे में हर साल कई लोग अपनी जान गवां देते हैं. जिसके चलते लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से पूरे देश में 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश को डेंगू मुक्त बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाकर लोगों को डेंगू के प्रति जागरुक कर रही है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में साल 2017 में 297 मरीज डेंगू के पॉजिटिव पाए गए थे. जबकि साल 2018 में 176 मरीज पॉजिटिव पाए गए थे.

राष्ट्रीय डेंगू दिवस.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार डेंगू के लिहाज से उत्तराखंड का नैनीताल जिला सबसे संवेदनशील माना जाता है. साल 2017 में उत्तराखंड में 757 लोग डेंगू की चपेट में आए थे. जिसमें 297 मरीज नैनीताल जिले के थे. साथ ही 200 से अधिक लोगों ने निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2017 में कोई मौत नहीं बताई गई थी. लेकिन 2017 में नैनीताल जिले में अलग-अलग जगहों पर इलाज के दौरान डेंगू से 5 लोगों की मौत हुई थी.

पढ़ें: रुद्रपुर में बिना पंजीकरण दौड़ रहे 50 से अधिक ई-रिक्शा सीज

कुमाऊं मंडल क्षेत्र में सुशीला तिवारी अस्पताल के अलावा किसी अन्य सरकारी अस्पताल में डेंगू का इलाज नहीं होता. जिसके चलते क्षेत्र के लोग इसी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिसमें से ज्यादातर लोग नैनीताल जिले के लालकुआं और हल्द्वानी से आते है.

वहीं, जिला मलेरिया अधिकारी अर्जुन सिंह का कहना है कि डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए विभाग समय-समय पर मच्छर के लारवा को टेस्ट के लिए भेजता है. साथ ही फॉगिंग और छिड़काव भी किया जाता है.

हल्द्वानी: जागरुकता के अभाव और समय पर डेंगू का इलाज नहीं मिलने के कारण सूबे में हर साल कई लोग अपनी जान गवां देते हैं. जिसके चलते लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से पूरे देश में 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश को डेंगू मुक्त बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाकर लोगों को डेंगू के प्रति जागरुक कर रही है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में साल 2017 में 297 मरीज डेंगू के पॉजिटिव पाए गए थे. जबकि साल 2018 में 176 मरीज पॉजिटिव पाए गए थे.

राष्ट्रीय डेंगू दिवस.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार डेंगू के लिहाज से उत्तराखंड का नैनीताल जिला सबसे संवेदनशील माना जाता है. साल 2017 में उत्तराखंड में 757 लोग डेंगू की चपेट में आए थे. जिसमें 297 मरीज नैनीताल जिले के थे. साथ ही 200 से अधिक लोगों ने निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2017 में कोई मौत नहीं बताई गई थी. लेकिन 2017 में नैनीताल जिले में अलग-अलग जगहों पर इलाज के दौरान डेंगू से 5 लोगों की मौत हुई थी.

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कुमाऊं मंडल क्षेत्र में सुशीला तिवारी अस्पताल के अलावा किसी अन्य सरकारी अस्पताल में डेंगू का इलाज नहीं होता. जिसके चलते क्षेत्र के लोग इसी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिसमें से ज्यादातर लोग नैनीताल जिले के लालकुआं और हल्द्वानी से आते है.

वहीं, जिला मलेरिया अधिकारी अर्जुन सिंह का कहना है कि डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए विभाग समय-समय पर मच्छर के लारवा को टेस्ट के लिए भेजता है. साथ ही फॉगिंग और छिड़काव भी किया जाता है.

Intro:स्लग-राष्ट्रीय डेंगू दिवस ( कल डेंगू दिवस )
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित /हल्द्वानी।
एंकर-- आज राष्ट्रीय डेंगू दिवस है। देश को डेंगू मुक्त बनाने के लिए सरकार कई योजनाओं चलाकर डेंगू बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि लगातार डेंगू के मरीजों में इजाफा हो रहा है। डेंगू जैसे संक्रामक रोगों के लिहाज से उत्तराखंड के नैनीताल जिला सबसे संवेदनशील माना जाता है। बात नैनीताल जिले की करें तो 2017 में 297 मरीज डेंगू के पॉजिटिव पाए गए जबकि वर्ष 2018 में 176 मरीज पॉजिटिव पाए गए थे।


Body:डेंगू जैसे संक्रामक रोगों से बचाव के लिए मलेरिया विभाग कई योजनाएं चलाता है साथी डेंगू और मलेरिया को लेकर लोगों को समय-समय पर जागरूक भी करता है लेकिन लगातार डेंगू के मरीजों में इजाफा हो रहा है। सरकारी आंकड़े के अनुसार डेंगू के लिहाज से उत्तराखंड के नैनीताल जिला सबसे संवेदनशील माना जाता है क्योंकि 2017 में उत्तराखंड में 757 लोग डेंगू के चपेट में आए थे। जिसमें अकेले नैनीताल जिले में 297 मरीज कि रिपोर्ट पॉजिटिव पाए गए थे। खास बात यह है कि यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के लेकिन उस समय 200 से अधिक लोगों ने निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा था। सरकारी आंकड़े में कोई मौत नहीं बताया गया लेकिन 2017 में नैनीताल जिले में अलग-अलग जगहों में इलाज के दौरान डेंगू से 5 लोगों को भी मौत हुई थी। बात 2016 की करें तो 112 मरीज डेंगू के पॉजिटिव पाए गए थे 2018 में 176 मरीज पॉजिटिव पाए गए थे। सरकारी आंकड़े के अनुसार 2018 में कोई भी मौत नहीं हुई है।


Conclusion:बात कुमाऊं मंडल की करे तो हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में कुमाऊ के सभी मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं क्योंकि सुशीला तिवारी के अलावा कई अन्य डेंगू के इलाज नहीं होता है। डेंगू के लिहाज से नैनीताल जिले के लालकुआं और हल्द्वानी सबसे संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। 2017 -18 में डेंगू ने पहाड़ों पर भी दस्तक दी थी।
जिला मलेरिया अधिकारी अर्जुन सिंह का कहना है कि डेंगू और मलेरिया के रोकथाम के लिए विभाग समय-समय पर मच्छर के लारवा को टेस्ट के लिए भेजता है इसके अलावा फॉकिंग और छिड़काव भी किया जाता है।

नोट इस खबर को आंकड़े के अनुसार बनाई गई है जिला मलेरिया अधिकारी का बाइट नहीं हो पाया है कल 10:00 बजे बाइट भेजूंगा उस से पहले इस खबर को लगा दिया जाए।
विजुअल में सुशीला तिवारी अस्पताल का विजुअल भेजा जा रहा है
Last Updated : May 17, 2019, 5:52 PM IST
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