हल्द्वानी: प्रदेश के हजारों स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत प्राथमिक और जूनियर के बच्चों को भोजन दिया जाता. लेकिन आज भी प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां मिड डे मील पकाने के लिए गैस सिलिंडर उपलब्ध नहीं है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन लकड़ियों के सहारे मिड-डे मील भोजन तैयार करने को मजबूर हैं.
बता दें कि उत्तराखंड में 17,689 स्कूलों में मिड-डे मील पकाया जाता है. जिसमें से 5,603 स्कूलों में ही गैस कनेक्शन उपलब्ध है. वहीं, जनपद नैनीताल में 1,411 स्कूलों में मिड डे मील बनाया जाता है. जिसमें से सिर्फ 649 स्कूलों को ही गैस कनेक्शन उपलब्ध है. इन 649 में से 337 स्कूलों को हंस फाउंडेशन द्वारा गैस कनेक्शन दिया गया है.
प्रदेश में 12,086 स्कूल ऐसे हैं जहां आज भी लकड़ियों पर मिड-डे मील तैयार किया जाता. जिसके चलते मिड डे मील बनाने वाली भोजन माताओं को लकड़ी के धुएं में काम करना पड़ता है. जिससे उनके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है. भोजन माताओं की जिंदगी से हो रहे खिलवाड़ पर केंद्र और राज्य सरकार उदासीन बना हुआ है. राज्य सरकार बजट के अभाव में इन भोजन माताओं के जिंदगी को धुएं में झोंक रहा है.
वहीं, बेसिक शिक्षा अधिकारी गोपाल स्वरूप भारद्वाज का कहना है कि इस बात से शासन को अवगत करा दिया गया है. बजट मिलते हैं इन स्कूलों में गैस कनेक्शन दे दिया जाएगा.