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लकड़ियों पर पकाया जा रहा मिड-डे मील, उज्ज्वला योजना का उड़ा मखौल - उत्तराखंड

प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां मिड डे मील पकाने के लिए गैस सिलिंडर उपलब्ध नहीं है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन लकड़ियों के सहारे मिड डे मील भोजन तैयार करने को मजबूर हैं.

लकड़ियों पर पक रहा मिड डे मील.
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Published : Apr 26, 2019, 12:54 PM IST

Updated : Apr 26, 2019, 8:54 PM IST

हल्द्वानी: प्रदेश के हजारों स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत प्राथमिक और जूनियर के बच्चों को भोजन दिया जाता. लेकिन आज भी प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां मिड डे मील पकाने के लिए गैस सिलिंडर उपलब्ध नहीं है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन लकड़ियों के सहारे मिड-डे मील भोजन तैयार करने को मजबूर हैं.

बता दें कि उत्तराखंड में 17,689 स्कूलों में मिड-डे मील पकाया जाता है. जिसमें से 5,603 स्कूलों में ही गैस कनेक्शन उपलब्ध है. वहीं, जनपद नैनीताल में 1,411 स्कूलों में मिड डे मील बनाया जाता है. जिसमें से सिर्फ 649 स्कूलों को ही गैस कनेक्शन उपलब्ध है. इन 649 में से 337 स्कूलों को हंस फाउंडेशन द्वारा गैस कनेक्शन दिया गया है.

लकड़ियों पर पक रहा मिड डे मील.

प्रदेश में 12,086 स्कूल ऐसे हैं जहां आज भी लकड़ियों पर मिड-डे मील तैयार किया जाता. जिसके चलते मिड डे मील बनाने वाली भोजन माताओं को लकड़ी के धुएं में काम करना पड़ता है. जिससे उनके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है. भोजन माताओं की जिंदगी से हो रहे खिलवाड़ पर केंद्र और राज्य सरकार उदासीन बना हुआ है. राज्य सरकार बजट के अभाव में इन भोजन माताओं के जिंदगी को धुएं में झोंक रहा है.

वहीं, बेसिक शिक्षा अधिकारी गोपाल स्वरूप भारद्वाज का कहना है कि इस बात से शासन को अवगत करा दिया गया है. बजट मिलते हैं इन स्कूलों में गैस कनेक्शन दे दिया जाएगा.

हल्द्वानी: प्रदेश के हजारों स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत प्राथमिक और जूनियर के बच्चों को भोजन दिया जाता. लेकिन आज भी प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां मिड डे मील पकाने के लिए गैस सिलिंडर उपलब्ध नहीं है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन लकड़ियों के सहारे मिड-डे मील भोजन तैयार करने को मजबूर हैं.

बता दें कि उत्तराखंड में 17,689 स्कूलों में मिड-डे मील पकाया जाता है. जिसमें से 5,603 स्कूलों में ही गैस कनेक्शन उपलब्ध है. वहीं, जनपद नैनीताल में 1,411 स्कूलों में मिड डे मील बनाया जाता है. जिसमें से सिर्फ 649 स्कूलों को ही गैस कनेक्शन उपलब्ध है. इन 649 में से 337 स्कूलों को हंस फाउंडेशन द्वारा गैस कनेक्शन दिया गया है.

लकड़ियों पर पक रहा मिड डे मील.

प्रदेश में 12,086 स्कूल ऐसे हैं जहां आज भी लकड़ियों पर मिड-डे मील तैयार किया जाता. जिसके चलते मिड डे मील बनाने वाली भोजन माताओं को लकड़ी के धुएं में काम करना पड़ता है. जिससे उनके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है. भोजन माताओं की जिंदगी से हो रहे खिलवाड़ पर केंद्र और राज्य सरकार उदासीन बना हुआ है. राज्य सरकार बजट के अभाव में इन भोजन माताओं के जिंदगी को धुएं में झोंक रहा है.

वहीं, बेसिक शिक्षा अधिकारी गोपाल स्वरूप भारद्वाज का कहना है कि इस बात से शासन को अवगत करा दिया गया है. बजट मिलते हैं इन स्कूलों में गैस कनेक्शन दे दिया जाएगा.

Intro:स्लग-जिले के कितने स्कूलों में मिड डे मील यह खाना बन रहा है गैस के चूल्हे पर कितने स्कूल में बन रहा है लकड़ीयो पर।
रिपोर्टर भावनाथ पंडित हल्द्वानी।
एंकर- केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर गरीब महिलाओं के गैस संयोजन कराने का दावा करती है। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में प्राप्त आंकड़े भोजन माताओं के जिंदगी में धूल के गुबार एक भयावह तस्वीर पेश कर रही है
देखें एक रिपोर्ट


Body:प्रदेश के सभी सरकारी स्कूल में सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही है । सबको शिक्षा का अधिकार के उद्देश्य से सरकार की सबसे बड़ी योजना मिड डे मील योजना का भार स्कूल के मोजन बताओ के ऊपर है । प्राथमिक और जूनियर के बच्चों को मध्यांतर भोजन के उद्देश्य से बनाई गई मिड डे मील योजन को सफल बनाने के लिए प्रदेश के हजारों स्कूलों के भोजन माता अपनी जिंदगी को धुएं में झोंक रही हैं। प्रदेश में हजारों ऐसे स्कूल हैं जहां मिड डे मील भोजन पकाने के लिए आज भी गैस कनेक्शन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में स्कूल प्रबंधक लकड़ियों के सहारे इन स्कूलों में मिड डे मील भोजन तैयार करा रहा है जिससे कि बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके। लेकिन इन सबके बीच इन बच्चों को भविष्य को उज्जवल करने के लिए प्रदेश की हजारों भोजन माता अपनी जिंदगी को धुंए में झोंक रही है। बात प्रदेश की स्कूलों की करें तो उत्तराखंड में 17689 स्कूल है जहां मिड डे मील पकाया जाता है। जिसमें 5603 स्कूल ऐसे हैं जिनको अभी तक गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। यही नहीं इन कनेक्शनों में अधिकतर के कनेक्शन एक संस्था द्वारा दिया गया है। सबसे दयनीय स्थिति पहाड़ की स्कूलों का है जहां मिड डे मील भोजन तैयार करने के लिए गैस चूल्हे उपलब्ध नहीं है और लकड़ी पर खाना पकाया जाता है।
बातें नैनीताल जिले की करें तो जिले के 1411 स्कूल है जहां मिड डे मील भोजन बच्चों को दिया जाता है 649 स्कूल ऐसे हैं जहां गैस चूल्हा पर मिड डे मील भोजन तैयार किया जाता है। यही नहीं 649 गैस कनेक्शनों में 337 कनेक्शन हंस फाउंडेशन द्वारा दिया गया है।


Conclusion:भोजन माताओं की जिंदगी से से खिलवाड़ पर केंद्र सरकार उदासीन बना हुआ है तो वहीं राज्य सरकार बजट के अभाव में इन भोजन माताओं के जिंदगी को धुयें में झोंक रहा है।
वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी गोपाल स्वरूप भारद्वाज का कहना है कि इस बात को शासन को अवगत करा दिया गया है बजट मिलते हैं इन स्कूलों में गैस कनेक्शन दे दिया जाएगा।

बाइट -गोपाल स्वरूप भारद्वाज जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जिला नैनीताल
Last Updated : Apr 26, 2019, 8:54 PM IST
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