हल्द्वानी: पहाड़ की आयरन लेडी कमला नेगी महिलाओं और पुरुषों के लिए मिसाल बन गई हैं. साइकिल से लेकर जेसीबी मशीन के टायर के पंचर कमला जोड़ती हैं. वैसे तो पहाड़ की महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा से ही कर्मक्षेत्र में डटी रहती आई हैं लेकिन नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक ओड़ाखान निवासी कमला नेगी ने अलग ही मिसाल कायम की है. कमला के काम के कारण लोग उन्हें पहाड़ की आयरन लेडी के नाम से जानते हैं.
टायरों के पंचर बनाती हैं कमला नेगी: 54 वर्षीय कमला नेगी पिछले 15 सालों से छोटे-बड़े वाहनों के टायर पंचर जोड़ने का काम कर रही हैं. कमला नेगी साइकिल से लेकर कार, ट्रक और जेसीबी मशीन तक के टायरों के पंचर कुछ मिनटों में आसानी से अकेले जोड़ देती हैं. यहां तक कि कमला नेगी बाइक और कार की सर्विसिंग भी करती हैं. कमला नेगी ने पुरुष समाज के इस काम को करते हुए पुरुषों को आईना दिखाने का काम किया है.
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नैनीताल जिले के ओड़ाखान में है कमला की दुकान: रामगढ़-मुक्तेश्वर मार्ग ओड़ाखान में कमला नेगी की टायर पंचर जोड़ने की दुकान है. कमला नेगी अपनी दुकान में टायर पंचर जोड़ने काम करती हैं. उनकी दुकान पर स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक भी अपने वाहनों के टायर के पंचर जुड़ाने आते हैं. दरअसल, इलाके में 25 किलोमीटर दूरी के बीच कोई भी टायर पंचर जोड़ने की दुकान नहीं है. कमला नेगी की दुकान पर पंचर जोड़ने की सुविधा सप्ताह के सातों दिन है.
टायर डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध हैं कमला: दुकान के पास ही उनका घर है. लोग उनसे संपर्क कर इमरजेंसी में भी टायर का पंचर जुड़ाते हैं. कमला नेगी को स्थानीय लोग कमला दीदी के नाम से पुकारते हैं. कोई उनको टायर एक्सपर्ट कहता है, तो कोई उनको टायर डॉक्टर के नाम से पुकारता है. कमला नेगी के टायर पंचर जोड़ने की कला का हर कोई मुरीद है, क्योंकि छोटी गाड़ियां हों या जेसीबी मशीन, सभी के टायर पंचर जोड़ने का काम वो बड़ी फुर्ती के साथ करती हैं.
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पुरुषों के वर्चस्व वाले फील्ड में कमा रहीं नाम: आमतौर पर पंचर बनाते हुए आपने महिलाओं को नहीं देखा होगा लेकिन कमला नेगी बड़े-बड़े औजारों को अकेले ही ऑपरेट कर लेती हैं. कुछ मिनटों में ही टायर का पंचर जोड़ देती हैं. कमला बताती हैं कि वह साइकिल से लेकर स्कूटर, ट्रक, बस, कार और जेसीबी के टायर तक का पंचर जोड़ती हैं.
कमला ने 2004 में शुरू किया था पंचर बनाना: कमला नेगी ने बताया कि इस काम की शुरुआत उन्होंने 2004 में की थी, तब उनके पास किराए की साइकिल हुआ करती थी. बच्चों को किराए पर साइकिल देती थीं. उस समय साइकिल पंचर हो जाने पर अपने हाथ से पंचर जोड़ने का काम करती थीं. धीरे-धीरे लोग उनके पास साइकिल स्कूटर, मोटरसाइकिल तक के पंचर जुड़वाने वाले आने लगे. जिसके बाद उन्होंने इस काम की शुरुआत की और आज वो बड़ी-बड़ी गाड़ियों के पंचर जोड़ने का काम करती हैं.
शुरुआत में कमला को लोग देते थे ताना: कमला नेगी ने कहा कि शुरुआती दिनों में लोग उनको इस काम के लिए ताने भी देते थे. लेकिन आज वह महिलाओं और पुरुषों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. इसके चलते कई सामाजिक संगठनों ने भी उनको सम्मानित किया है. कमला देवी ने बताया कि वह एक महिला सामाजिक संगठन से भी जुड़ी हुई हैं. उन्होंने इस काम के लिए अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया. कमला कृषि के क्षेत्र में भी अन्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम करती हैं.
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पति हयात सिंह देते हैं कमला का साथ: कमला नेगी के पंचर जोड़ने के इस हुनर को देखकर हर कोई दंग रह जाता है. कमला नेगी का कहना है कि जब उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी तो लोग उनको ताने मारते थे. तरह-तरह की बातें करते थे. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. इस काम को बखूबी करते हुए अपने परिवार की आजीविका का साधन बनाया. अब उनकी बेटी की शादी हो चुकी है. उनका एक बेटा भारतीय सेना में देश की रक्षा कर रहा है. पति हयात सिंह खेती और बागवानी का काम करते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं.