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राजनीति का मुद्दा बनकर रह गया 100 करोड़ का ISBT, 2700 पेड़ों की बलि के बाद भी नहीं हुआ निर्माण

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Published : Jun 16, 2019, 1:57 PM IST

2008 में मौजूदा सरकार ने गौलापार में 8 हेक्टेयर भूमि पर आईएसबीटी के प्रस्ताव की मंजूरी दी थी. करीब 100 करोड़ की लागत से ISBT का निर्माण होना था.आईएसबीटी के निर्माण के लिए 2700 हरे पेड़ काटे गए. निर्माण के दौरान खुदाई के समय भूमि से कई नर कंकाल निकले जिसके बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने आईएसबीटी निर्माण पर रोक लगा दी. और 10 साल बीत जाने बाद भी आईएसबीटी का सपना केवल सपना ही रह गया है.

अधर में अटका ISBT निर्माण.

हल्द्वानी: नगर में बढ़ते परिवहन दबाव को देखते हुए मौजूदा सरकार ने 2008 में आईएसबीटी के प्रस्ताव की मंजूरी दी थी. जिसे लेकर लोगों को नगर में परिवहन व्यवस्था ठीक होने की उम्मीद जागी. लेकिन 10 साल बाद भी आईएसबीटी का निर्माण नहीं हो सका. जिसके चलते ISBT का सपना मात्र राजनीतिक मुद्दा बन कर रह गया है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

जानकारी देती नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और सांसद अजय भट्ट.

दरअसल हल्द्वानी से अन्य राज्यों के लिए परिवहन व्यवस्था ठीक करने के उद्देश्य से वर्ष 2008 -09 में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे के प्रस्ताव को मंजूरी दी. जिसके बाद 2015 में गौलापार में 8 हेक्टेयर भूमि का चयन आईएसबीटी बनाने के लिए किया गया. जिसके बाद वन विभाग ने भी 8 हेक्टेयर भूमि को आईएसबीटी के लिए हस्तांतरित कर दिया था. वहीं,14 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गौलापार में आईएसबीटी निर्माण का शिलान्यास किया. जिसके बाद आईएसबीटी का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 8 हेक्टेयर भूमि में बन रहे आईएसबीटी के निर्माण के लिए 2700 हरे पेड़ काटे गए. लेकिन मई 2017 में आईएसबीटी के लिए आवंटित भूमि में खुदाई के दौरान कई नर कंकाल मिलने लगे. जिसके बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने आईएसबीटी निर्माण पर रोक लगा दी.

बता दें कि करीब 100 करोड़ की लागत से बन रहे आईएसबीटी निर्माण में रोक लगने तक करीब ढाई करोड़ से अधिक का खर्च हो चुका था. बताया जाता है कि गौलापार में बनने वाला आईएसबीटी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृरदेश का ड्रीम प्रोजेक्ट था. और इसका पूरा श्रेय इंदिरा हृदयेश को जाना था. लेकिन सत्ताधारी बीजेपी ने आईएसबीटी में नर कंकाल होने का हवाला देते हुए प्रस्तावित भूमि पर निर्माण पर रोक लगा दी.
जिसके बाद अगस्त 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गौलापार आईएसबीटी को किसी अन्य स्थान में शिफ्ट करने की निर्देश दिए. काफी जद्दोजहद के बाद हल्द्वानी के बरेली रोड स्थित तीन पानी ओपन यूनिवर्सिटी के समीप भूमि का चयन किया गया. लेकिन 2 साल बाद आईएसबीटी के लिए भूमि हस्तांतरण नहीं पाया.

जिसके चलते 10 साल बाद भी हल्द्वानी वासियों को अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे का लाभ नहीं मिल पाया. जिससे कहीं ना कहीं सरकार के ऊपर सवाल खड़े होते हैं. साथ ही गौलापार में ढाई करोड़ रुपए खर्च करने के बाद दूसरी जगह पर आईएसबीटी शिफ्ट करना राजनीतिक द्वेष भावना से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

वहीं, इस मामले में नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदयेश का कहना है कि मौजूदा सरकार की मंशा विकास करना नहीं है. और भी विकास के कामों में रोड़ा अटकाना सरकार का काम है. गौलापार में आईएसबीटी का निर्माण राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही हो पाएगा.

उधर, नवनिर्वाचित सांसद अजय भट्ट का कहना है कि हल्द्वानी में आईएसबीटी जरूर बनेगा जिसके लिए भूमि का चयन कर लिया गया है. वन भूमि हस्तांतरित का मामला अटका हुआ है. जैसे ही भूमि हस्तांतरित होगी निर्माण काम शुरू कर दिया जाएगा.

हल्द्वानी: नगर में बढ़ते परिवहन दबाव को देखते हुए मौजूदा सरकार ने 2008 में आईएसबीटी के प्रस्ताव की मंजूरी दी थी. जिसे लेकर लोगों को नगर में परिवहन व्यवस्था ठीक होने की उम्मीद जागी. लेकिन 10 साल बाद भी आईएसबीटी का निर्माण नहीं हो सका. जिसके चलते ISBT का सपना मात्र राजनीतिक मुद्दा बन कर रह गया है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

जानकारी देती नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और सांसद अजय भट्ट.

दरअसल हल्द्वानी से अन्य राज्यों के लिए परिवहन व्यवस्था ठीक करने के उद्देश्य से वर्ष 2008 -09 में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे के प्रस्ताव को मंजूरी दी. जिसके बाद 2015 में गौलापार में 8 हेक्टेयर भूमि का चयन आईएसबीटी बनाने के लिए किया गया. जिसके बाद वन विभाग ने भी 8 हेक्टेयर भूमि को आईएसबीटी के लिए हस्तांतरित कर दिया था. वहीं,14 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गौलापार में आईएसबीटी निर्माण का शिलान्यास किया. जिसके बाद आईएसबीटी का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 8 हेक्टेयर भूमि में बन रहे आईएसबीटी के निर्माण के लिए 2700 हरे पेड़ काटे गए. लेकिन मई 2017 में आईएसबीटी के लिए आवंटित भूमि में खुदाई के दौरान कई नर कंकाल मिलने लगे. जिसके बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने आईएसबीटी निर्माण पर रोक लगा दी.

बता दें कि करीब 100 करोड़ की लागत से बन रहे आईएसबीटी निर्माण में रोक लगने तक करीब ढाई करोड़ से अधिक का खर्च हो चुका था. बताया जाता है कि गौलापार में बनने वाला आईएसबीटी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृरदेश का ड्रीम प्रोजेक्ट था. और इसका पूरा श्रेय इंदिरा हृदयेश को जाना था. लेकिन सत्ताधारी बीजेपी ने आईएसबीटी में नर कंकाल होने का हवाला देते हुए प्रस्तावित भूमि पर निर्माण पर रोक लगा दी.
जिसके बाद अगस्त 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गौलापार आईएसबीटी को किसी अन्य स्थान में शिफ्ट करने की निर्देश दिए. काफी जद्दोजहद के बाद हल्द्वानी के बरेली रोड स्थित तीन पानी ओपन यूनिवर्सिटी के समीप भूमि का चयन किया गया. लेकिन 2 साल बाद आईएसबीटी के लिए भूमि हस्तांतरण नहीं पाया.

जिसके चलते 10 साल बाद भी हल्द्वानी वासियों को अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे का लाभ नहीं मिल पाया. जिससे कहीं ना कहीं सरकार के ऊपर सवाल खड़े होते हैं. साथ ही गौलापार में ढाई करोड़ रुपए खर्च करने के बाद दूसरी जगह पर आईएसबीटी शिफ्ट करना राजनीतिक द्वेष भावना से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

वहीं, इस मामले में नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदयेश का कहना है कि मौजूदा सरकार की मंशा विकास करना नहीं है. और भी विकास के कामों में रोड़ा अटकाना सरकार का काम है. गौलापार में आईएसबीटी का निर्माण राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही हो पाएगा.

उधर, नवनिर्वाचित सांसद अजय भट्ट का कहना है कि हल्द्वानी में आईएसबीटी जरूर बनेगा जिसके लिए भूमि का चयन कर लिया गया है. वन भूमि हस्तांतरित का मामला अटका हुआ है. जैसे ही भूमि हस्तांतरित होगी निर्माण काम शुरू कर दिया जाएगा.

Intro:स्लग-10 साल बाद भी नहीं मिल पाया हल्द्वानी वासियों को आईएसबीटी का लाभ आईएसबीटी के नाम पर हो रही है राजनीति।
एंकर - कुमाऊ की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी मे बढ़ते परिवहन दबाव को देखते हुए के 2008 में सरकार ने आईएसबीटी का प्रस्ताव की मंजूरी दी जिसके बाद हल्द्वानी के लोगों को उम्मीद जगी कि कुमाऊ की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी की परिवहन व्यवस्था ठीक हो जाएगी और पहाड़ के लोगों को अन्य राज्यों में आने जाने के लिए परिवहन की उचित व्यवस्था होगी लेकिन 10 साल बाद भी आईएसबीटी का निर्माण नहीं हो पाया और यहां के लोगों केवल राजनीतिक शिकार हुए .......दिखे एक रिपोर्ट........


Body:दरअसल हल्द्वानी से अन्य राज्यों के लिए परिवहन व्यवस्था ठीक करने के उद्देश्य से वर्ष 2008 -09 में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे के प्रस्ताव को मंजूरी दी। जिसके बाद 2015 में गौलापार में 8 हेक्टेयर भूमि में आईएसबीटी बनने के लिए भूमि का चयन किया गया। जिसके बाद वन विभाग ने 8 हेक्टेयर भूमि को आईएसबीटी को हस्तांतरित कर दिया । 14 अक्टूबर 2016 को गौलापार में आईएसबीटी का निर्माण का शिलान्यास तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने हरीश रावत ने किया। 8 हेक्टेयर भूमि में बन रहे आईएसबीटी के निर्माण के दौरान 2700 हरे पेड़ काटे गए आईएसबीटी का काम जोरों पर चलने लगा लेकिन मई 2017 में निर्माण के खुदाई के दौरान आईएसबीटी भूमि में कई नर कंकाल मिले जिसके बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने आईएसबीटी निर्माण पर रोक लगा दिया। तब करीब 100 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहे आईएसबीटी निर्माण में करीब ढाई करोड़ से अधिक का खर्च हो चुका था। बताया जाता है कि गौलापार में बनने वाला आईएसबीटी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हरदेश का ड्रीम प्रोजेक्ट था और इसका पूरा श्रेय इंदिरा हृदयेश को जाना था लेकिन सत्ताधारी बीजेपी ने आईएसबीटी में नर कंकाल होने का हवाला देते हुए प्रस्तावित भूमि पर निर्माण पर रोक लगा दी।
जिसके बाद अगस्त 2017 सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गौलापार आईएसबीटी को कई अन्य शिफ्ट करने की निर्देश दिए। जिसके बाद काफी जद्दोजहद के बाद हल्द्वानी के बरेली रोड स्थित तीन पानी ओपन यूनिवर्सिटी के बगल में भूमि का चयन किया गया लेकिन 2 साल बाद भी नई जगह पर बनने जा रहे आईएसबीटी की भूमिका हस्तांतरण भी नहीं हुआ है।
वही 10 साल बाद भी हल्द्वानी वासियों को अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे का लाभ नहीं मिलना कहीं ना कहीं सरकार के ऊपर सवाल खड़े करते हैं क्योंकि गौलापार में ढाई करोड रुपए खर्च करने के बाद कहीं अन्य जगह पर आईएसबीटी का शिफ्ट करना राजनीतिक द्वेष भावना भी देखा गया।

वहीं इस पूरे मामले में नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हिरदेश का कहना है कि सरकार की मंशा विकास करना नहीं है। और विकास के कामों में रोड़ा अटकाना सरकार का काम है। गौलापार में निर्मित आईएसबीटी का निर्माण राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही हो पाएगा।
बाइट -इंदिरा हृदयेश नेता प्रतिपक्ष



Conclusion:वही नवनिर्वाचित सांसद अजय भट्ट का कहना है कि हल्द्वानी में आईएसबीटी जरूर बनेगा जिसके लिए भूमि का चयन कर लिया गया है वन भूमि हस्तांतरित का मामला अटका हुआ है जैसे भी भूमि हस्तांतरित होगा निर्माण काम शुरू कर दिया जाएगा।
बाइट- अजय भट्ट नैनीताल संसद।
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