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गौला नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं श्रमिक, कोई नहीं है सुध लेने वाला

गौला के श्रमिक गौला नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. लेकिन वन विभाग को मजदूरों की हालत पर तरस नहीं आ रहा. जिस कारण मजदूर गंदा पानी पीकर बीमारी के कगार पर हैं.

गौला के श्रमिक गौला नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
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Published : Apr 19, 2019, 2:46 PM IST

हल्द्वानी: कहते हैं जब सरकार गैर जिम्मेदार और अधिकारी लापरवाह हो जाए तो गरीबों का हक मरा जाना लाजमी हो जाता है. ऐसा ही वाक्या गौला नदी में देखने को मिल रहा है. प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व इन्हीं गौला श्रमिको की मेहनत से मिलता है. लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. गौला के श्रमिक गौला नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. लेकिन वन विभाग को मजदूरों की हालत पर तरस नहीं आ रहा. जिस कारण मजदूर गंदा पानी पीकर बीमारी के कगार पर हैं.

दरअसल प्रदेश सरकार का खजाना भरने का सबसे बड़ा स्रोत खनन है. इस खजाने को भरने में सबसे बड़ा योगदान हल्द्वानी के गौला नदी और यहां काम करने वाले हजारों श्रमिकों का होता है. लेकिन सरकार और अधिकारियों ने इन मजदूरों को उनके हालात पर छोड़ दिया है. यूपी-बिहार जैसे दूरदराज राज्यों से रोजगार की तलाश में हर साल करीब 20000 मजदूर खनन चुगान करने गौला नदी में पहुंचते हैं और मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. वहीं नदी में खनन कराने वाली कार्यदाई संस्था वन विकास निगम इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं देती है. खनन मजदूरी करने आए हजारों मजदूरों को पानी की बूंद बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है. मजबूरन श्रमिक नदी का गंदा पानी पी रहे हैं. जिस कारण मजदूर बार-बार बीमार हो जाते हैं. हालात ये हैं का इन्हे इलाज की सुविधा भी नहीं मिल पाती है.

जानकारी देते गौला श्रमिक और क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम, एमपी एस रावत.

ये भी पढ़े: नाले में उतरकर मेयर के पति ने की सफाई, फिर फफक-फफक के रो पड़े

मजदूरों का कहना है कि नदी के आस-पास वन विकास निगम की ओर से पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं की गई है. ना ही कोई हैंडपंप लगाया गया है. ना ही पानी के टैंकर की व्यवस्था है. मजबूर होकर नदी का गंदा पानी पीते हैं. साथ ही उन्होनें कहा है कि नदी में काम करने वाले सभी मजदूर अन्य प्रदेशों से आते हैं. जिस कारण आवाज नहीं उठा पाते, जिसका फायदा वन विकास निगम उठाता रहा है और मजदूरों को सुविधा देने के नाम पर शोषण कर रहा है.

वहीं इस पूरे मामले में वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एम पी एस रावत का कहना है कि वन विकास निगम द्वारा नदी में पानी का टैंकर भेजा जाता है. लेकिन मजदूरों की आदत ही है गंदा पानी पीने की.

हल्द्वानी: कहते हैं जब सरकार गैर जिम्मेदार और अधिकारी लापरवाह हो जाए तो गरीबों का हक मरा जाना लाजमी हो जाता है. ऐसा ही वाक्या गौला नदी में देखने को मिल रहा है. प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व इन्हीं गौला श्रमिको की मेहनत से मिलता है. लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. गौला के श्रमिक गौला नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. लेकिन वन विभाग को मजदूरों की हालत पर तरस नहीं आ रहा. जिस कारण मजदूर गंदा पानी पीकर बीमारी के कगार पर हैं.

दरअसल प्रदेश सरकार का खजाना भरने का सबसे बड़ा स्रोत खनन है. इस खजाने को भरने में सबसे बड़ा योगदान हल्द्वानी के गौला नदी और यहां काम करने वाले हजारों श्रमिकों का होता है. लेकिन सरकार और अधिकारियों ने इन मजदूरों को उनके हालात पर छोड़ दिया है. यूपी-बिहार जैसे दूरदराज राज्यों से रोजगार की तलाश में हर साल करीब 20000 मजदूर खनन चुगान करने गौला नदी में पहुंचते हैं और मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. वहीं नदी में खनन कराने वाली कार्यदाई संस्था वन विकास निगम इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं देती है. खनन मजदूरी करने आए हजारों मजदूरों को पानी की बूंद बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है. मजबूरन श्रमिक नदी का गंदा पानी पी रहे हैं. जिस कारण मजदूर बार-बार बीमार हो जाते हैं. हालात ये हैं का इन्हे इलाज की सुविधा भी नहीं मिल पाती है.

जानकारी देते गौला श्रमिक और क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम, एमपी एस रावत.

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मजदूरों का कहना है कि नदी के आस-पास वन विकास निगम की ओर से पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं की गई है. ना ही कोई हैंडपंप लगाया गया है. ना ही पानी के टैंकर की व्यवस्था है. मजबूर होकर नदी का गंदा पानी पीते हैं. साथ ही उन्होनें कहा है कि नदी में काम करने वाले सभी मजदूर अन्य प्रदेशों से आते हैं. जिस कारण आवाज नहीं उठा पाते, जिसका फायदा वन विकास निगम उठाता रहा है और मजदूरों को सुविधा देने के नाम पर शोषण कर रहा है.

वहीं इस पूरे मामले में वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एम पी एस रावत का कहना है कि वन विकास निगम द्वारा नदी में पानी का टैंकर भेजा जाता है. लेकिन मजदूरों की आदत ही है गंदा पानी पीने की.

Intro:स्लग- गंदा पानी पीने को मजबूर है मजदूर रिपोर्टर -भावनाथ पंडित/ हल्द्वानी एंकर-कहते हैं जब सरकार गैर जिम्मेदार और अधिकारी लापरवाह हो जाए तो गरीबों का हक मरना लाज़मी हो जाता है। ऐसा ही बानगी देखने को मिल रहा है हल्द्वानी की गौला नदी में। प्रदेश सरकार को सबसे सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले गौला श्रमिक नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं लेकिन वन विभाग देख कर भी अनजान बना हुआ है और मजदूरों को उनकी हालत पर छोड़ दिया है। मजदूर गंदा पानी पीकर बीमारी के कगार पर हैं। देखिए एक रिपोर्ट


Body:दरअसल प्रदेश सरकार का खजाना भरने का सबसे बड़ा स्रोत खनन है इस खजाने को भरने में सबसे बड़ा योगदान हल्द्वानी के गौला नदी वे काम करने वाले हजारों श्रमिकों का होता है। लेकिन यही मजदूर गंदा पानी पीकर अपने आप को जिंदा रख सरकार के खजाने को भरने में लगे हुए हैं लेकिन सरकार और अधिकारी इन मजदूरों को उनके हालात पर छोड़ दिया है। यूपी-बिहार जैसी दूरदराज राज्यों से उत्तराखंड पहुंच कुमाऊ की सबसे बड़ी गौला नदी में हर साल करीब 20000 मजदूर खनन चुगान करने गौला नदी में पहुंचते हैं। मजदूर अपनी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं साथ ही सरकार के राजस्व के खजाने को भी भरते हैं लेकिन सुविधा के नाम पर नदी में खनन कराने वाली कार्यदाई संस्था वन विकास निगम इन मजदूरों को कुछ भी नहीं देती है। खनन मजदूरी करने आए हजारों मजदूरों को पानी पीने के लिए बूंद बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है जिस से मजबूर श्रमिक नदी का गंदा पानी पी रहे हैं। यही नहीं इस गंदा पानी पीने से मजदूर बार बार बीमार पड़ जाते हैं और उनको इलाज की सुविधा भी नहीं मिलती है। मजदूरों का कहना है कि वन विकास निगम द्वारा पीने के पानी की नदी में कोई सुविधा नहीं की गई है ना ही कोई हैंडपंप लगाया गया है ना ही पानी के टैंकर की व्यवस्था किया गया है मजबूर होकर नदी का गंदा पानी पीते हैं। दरअसल नदी में काम करने वाले सभी मजदूर अन्य प्रदेशों से आते हैं इसलिए वह आवाज नहीं उठा सकते इसी का फायदा वन विकास निगम उठा रहा है और मजदूरों को सुविधा देने के नाम पर शोषण कर रहा है। बाइट -मजदूर बाइट -मजदूर बाइट- मजदूर


Conclusion:वहीं इस पूरे मामले में वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एम पी एस रावत का कहना है कि मजदूरों की आदत है गंदा पानी पीने की। वन विकास निगम द्वारा नदी में पानी का टैंकर भेजा जाता जाता है। बाइट- एमपी एस रावत क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम गौला मजदूरों के हित की बात करने वाला वन विकास निगम गोला नदी में काम करने वाले मजदूरों के हक के लिए बनी वेलफेयर सोसायटी पर कुंडली मार के बैठा हुआ है। वन विकास निगम मजदूरों को पीने के लिए जब पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं करा पा रहा है तो अन्य सुविधा क्या खाक देगा। लगातार गर्मी बढ़ रही गर्मी से पानी का संकट और गहरा सकता है ऐसे में अगर मजदूर गंदा पानी पीकर बीमार होते हैं तो महामारी भी फैल सकती है।
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