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चौकीदार को 'चौकीदारों' से मिली नाउम्मीदी, इच्छा मृत्यु की मांग - देहरादून

अल्मोड़ा के रहने वाले चौकीदार प्रेमलाल ने शुक्रवार को उत्तराखंड के राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है.

चौकीदार ने की इच्छा मृतयु की मांग
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Published : Apr 12, 2019, 10:20 PM IST

देहरादून: जहां एक ओर केंद्र में सत्तारूढ़ दल पूरे देश में चौकीदार के नाम पर वोट मांग रहा है. वहीं, एक चौकीदार ऐसा भी है जो सिस्टम के तंग आकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगा रहा है. अल्मोड़ा के रहने वाले चौकीदार प्रेमलाल ने शुक्रवार को उत्तराखंड के राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. प्रेमलाल का कहना है कि अब उन्हें देश के चौकीदारों से भी कोई उम्मीद नहीं है.

चौकीदार ने की इच्छा मृतयु की मांग.

बता दें कि प्रेमलाल पिछले 10 सालों से समाज कल्याण विभाग में संविदा पर बतौर चौकीदार काम कर रहा था. लेकिन समाज कल्याण के निदेशक ने उसे नौकरी से निकाल दिया है. जिसके चलते उसके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. प्रेमलाल का कहना है कि नौकरी छिन जाने के बाद उनको परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें: बैंक में शार्ट सर्किट से लगी आग, फायर ब्रिगेड की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

चौकीदार प्रेमलाल ने बताया कि इस मामले से उन्होंने विभागीय मंत्री रेखा आर्य को भी अवगत कराया था. बावजूद इसके न ही शासन और न ही प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान दिया. जिससे आजिज आकर उन्होंने अब राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

वहीं, इस मामले में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव राम विलास का कहना है कि मामला विभाग के संज्ञान में है. लेकिन ये मामला दो विभागों के बीच लटककर रह गया है. लिहाजा, इसमें देरी हो रही है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में राज्यपाल ही दखल देने के लिए अधिकृत है.

देहरादून: जहां एक ओर केंद्र में सत्तारूढ़ दल पूरे देश में चौकीदार के नाम पर वोट मांग रहा है. वहीं, एक चौकीदार ऐसा भी है जो सिस्टम के तंग आकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगा रहा है. अल्मोड़ा के रहने वाले चौकीदार प्रेमलाल ने शुक्रवार को उत्तराखंड के राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. प्रेमलाल का कहना है कि अब उन्हें देश के चौकीदारों से भी कोई उम्मीद नहीं है.

चौकीदार ने की इच्छा मृतयु की मांग.

बता दें कि प्रेमलाल पिछले 10 सालों से समाज कल्याण विभाग में संविदा पर बतौर चौकीदार काम कर रहा था. लेकिन समाज कल्याण के निदेशक ने उसे नौकरी से निकाल दिया है. जिसके चलते उसके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. प्रेमलाल का कहना है कि नौकरी छिन जाने के बाद उनको परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें: बैंक में शार्ट सर्किट से लगी आग, फायर ब्रिगेड की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

चौकीदार प्रेमलाल ने बताया कि इस मामले से उन्होंने विभागीय मंत्री रेखा आर्य को भी अवगत कराया था. बावजूद इसके न ही शासन और न ही प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान दिया. जिससे आजिज आकर उन्होंने अब राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

वहीं, इस मामले में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव राम विलास का कहना है कि मामला विभाग के संज्ञान में है. लेकिन ये मामला दो विभागों के बीच लटककर रह गया है. लिहाजा, इसमें देरी हो रही है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में राज्यपाल ही दखल देने के लिए अधिकृत है.

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watchman ask for honor killing in dehradun

चौकीदार को 'चौकीदारों' से मिली नाउम्मीदी, इच्छा मृत्यु की मांग

देहरादून: जहां एक ओर केंद्र में सत्तारूढ़ दल पूरे देश में चौकीदार के नाम पर वोट मांग रहा है. वहीं, एक चौकीदार ऐसा भी है जो सिस्टम के तंग आकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगा रहा है. अल्मोड़ा के रहने वाले चौकीदार प्रेमराम ने शुक्रवार को उत्तराखंड के राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. प्रेमराम का कहना है कि अब उन्हें देश के चौकीदारों से भी कोई उम्मीद नहीं है. 

बता दें कि प्रेमराम पिछले 10 सालों से समाज कल्याण विभाग में संविदा पर बतौर चौकीदार काम कर रहा था. लेकिन समाज कल्याण के निदेशक ने उसे नौकरी से निकाल दिया है. जिसके चलते उसके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. प्रेमराम का कहना है कि नौकरी छिन जाने के बाद उनको परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

चौकीदार प्रेमराम ने बताया कि इस मामले से उन्होंने विभागीय मंत्री रेखा आर्य को भी अवगत कराया था. बावजूद इसके न ही शासन और न ही प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान दिया. जिससे आजिज आकर उन्होंने अब राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

वहीं, इस मामले में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव राम विलास का कहना है कि मामला विभाग के संज्ञान में है. लेकिन ये मामला दो विभागों के बीच लटककर रह गया है. लिहाजा, इसमें देरी हो रही है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में राज्यपाल ही दखल देने के लिए अधिकृत है.



    


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