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भाजपा में प्राथमिकता पर नहीं 'विजय', अस्तित्व पर खड़े होने लगे सवाल

भारतीय जनता पार्टी में विजय बहुगुणा को पिछले 3 सालों से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है. तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा को बड़ी जिम्मेदारी से दूर ही रखा गया है. जिसके कारण एक बार फिर से बहुगुणा के राजनैतिक अस्तित्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं.

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Published : Sep 1, 2019, 9:10 PM IST

Updated : Sep 1, 2019, 11:32 PM IST

भाजपा में प्राथमिकता में नहीं 'विजय'

देहरादून: भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाये जाने के बाद विजय बहुगुणा के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा 2016 में भाजपा के सदस्य बने थे. तब से लेकर अबतक बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गयी है. जिससे साफ तौर पर लगता है कि 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को दो फाड़ कर भाजपा की जीत की बड़ी वजह बनने वाले बहुगुणा हाईकमान की पसंद नहीं बन सकें हैं. इसके अलावा तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा को दरकिनार किया जाना भी कुछ और ही साबित करता है.

भाजपा में प्राथमिकता पर नहीं 'विजय'

भारतीय जनता पार्टी में विजय बहुगुणा को पिछले 3 सालों से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है. तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा को बड़ी जिम्मेदारी से दूर ही रखा गया है. जिसके कारण एक बार फिर से बहुगुणा के राजनैतिक अस्तित्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं. बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कांग्रेस से बगावत कर अपने आठ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे. विजय बहुगुणा के नेतृत्व में एक साथ इतने विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ था. जिससे उत्तराखंड कांग्रेस हाशिए पर पहुंच गई थी. नतीजतन मोदी लहर और टूटी हुई कांग्रेस के बीच चुनावी जंग में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की.

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विधानसभा चुनावों में मिली बड़ी जीत के बाद ये माना जाने लगा कि बीजेपी विजय बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी, लेकिन पिछले न तो बहुगुणा ने विधानसभा चुनाव लड़ा और न ही लोकसभा चुनाव. इस तरह विजय बहुगुणा भाजपा में आने के बाद न तो विधायक ही रहे और न ही सांसद. इसके अलावा भी विजय बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी भाजपा में नहीं मिली है. हालांकि भाजपा नेता पार्टी में किसी भी नेता को दरकिनार नहीं किए जाने की बात कहकर विजय बहुगुणा के मामले पर पार्टी का बचाव करते हुए दिख रहे हैं.

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उत्तराखंड में विजय बहुगुणा के भाजपा ज्वाइंन करने के बाद ऐसे कई मौके आए जब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने का आभास हुआ. यह माना गया कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सरकार आने पर उन्हें मुख्यमंत्री की गद्दी के लिए आगे किया सकता है. इसके बाद साल 2018 में राज्यसभा सीट खाली होने के बाद विजय बहुगुणा को इस सीट से राज्यसभा भेजने की भी बातें हवा में थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने युवा चेहरा अनिल बलूनी को इस सीट पर तरजीह दी. इसके बाद 2019 में माना गया की माला राज्लयक्ष्मी की जगह विजय बहुगुणा को उनकी परंपरागत सीट टिहरी से चुनाव में उतारा जाएगा, लेकिन तब भी पार्टी ने माला राज्यलक्ष्मी पर ही विश्वास जताया.

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इसके बाद यह कयास लगाए गए कि विजय बहुगुणा को किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर उनका इनाम दिया जाएगा, लेकिन इस बार भी बहुगुणा के हाथ मायूसी ही लगी है. पार्टी ने भगत सिंह कोश्यारी को प्राथमिकता देते हुए महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया है. हालांकि अभी बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

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विजय बहुगुणा पर भाजपा हाईकमान का उदासीन रवैया कांग्रेस को भी चुटकियां लेने का मौका दे रहा है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने विजय बहुगुणा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो अपनों को ठुकराएगा वह गैरों की ठोकर ही खाएगा. सूर्यकांत धस्माना यहीं पर नहीं रुके उन्होंने कहा कि भाजपा में गए कुछ पुराने कांग्रेसी मंत्री बनने में कामयाब तो हो गए हैं, लेकिन वह जानते हैं कि कांग्रेस में मंत्री रहते हुए उनका क्या रुतबा था और अब क्या हालत है.

देहरादून: भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाये जाने के बाद विजय बहुगुणा के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा 2016 में भाजपा के सदस्य बने थे. तब से लेकर अबतक बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गयी है. जिससे साफ तौर पर लगता है कि 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को दो फाड़ कर भाजपा की जीत की बड़ी वजह बनने वाले बहुगुणा हाईकमान की पसंद नहीं बन सकें हैं. इसके अलावा तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा को दरकिनार किया जाना भी कुछ और ही साबित करता है.

भाजपा में प्राथमिकता पर नहीं 'विजय'

भारतीय जनता पार्टी में विजय बहुगुणा को पिछले 3 सालों से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है. तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा को बड़ी जिम्मेदारी से दूर ही रखा गया है. जिसके कारण एक बार फिर से बहुगुणा के राजनैतिक अस्तित्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं. बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कांग्रेस से बगावत कर अपने आठ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे. विजय बहुगुणा के नेतृत्व में एक साथ इतने विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ था. जिससे उत्तराखंड कांग्रेस हाशिए पर पहुंच गई थी. नतीजतन मोदी लहर और टूटी हुई कांग्रेस के बीच चुनावी जंग में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की.

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विधानसभा चुनावों में मिली बड़ी जीत के बाद ये माना जाने लगा कि बीजेपी विजय बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी, लेकिन पिछले न तो बहुगुणा ने विधानसभा चुनाव लड़ा और न ही लोकसभा चुनाव. इस तरह विजय बहुगुणा भाजपा में आने के बाद न तो विधायक ही रहे और न ही सांसद. इसके अलावा भी विजय बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी भाजपा में नहीं मिली है. हालांकि भाजपा नेता पार्टी में किसी भी नेता को दरकिनार नहीं किए जाने की बात कहकर विजय बहुगुणा के मामले पर पार्टी का बचाव करते हुए दिख रहे हैं.

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उत्तराखंड में विजय बहुगुणा के भाजपा ज्वाइंन करने के बाद ऐसे कई मौके आए जब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने का आभास हुआ. यह माना गया कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सरकार आने पर उन्हें मुख्यमंत्री की गद्दी के लिए आगे किया सकता है. इसके बाद साल 2018 में राज्यसभा सीट खाली होने के बाद विजय बहुगुणा को इस सीट से राज्यसभा भेजने की भी बातें हवा में थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने युवा चेहरा अनिल बलूनी को इस सीट पर तरजीह दी. इसके बाद 2019 में माना गया की माला राज्लयक्ष्मी की जगह विजय बहुगुणा को उनकी परंपरागत सीट टिहरी से चुनाव में उतारा जाएगा, लेकिन तब भी पार्टी ने माला राज्यलक्ष्मी पर ही विश्वास जताया.

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इसके बाद यह कयास लगाए गए कि विजय बहुगुणा को किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर उनका इनाम दिया जाएगा, लेकिन इस बार भी बहुगुणा के हाथ मायूसी ही लगी है. पार्टी ने भगत सिंह कोश्यारी को प्राथमिकता देते हुए महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया है. हालांकि अभी बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

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विजय बहुगुणा पर भाजपा हाईकमान का उदासीन रवैया कांग्रेस को भी चुटकियां लेने का मौका दे रहा है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने विजय बहुगुणा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो अपनों को ठुकराएगा वह गैरों की ठोकर ही खाएगा. सूर्यकांत धस्माना यहीं पर नहीं रुके उन्होंने कहा कि भाजपा में गए कुछ पुराने कांग्रेसी मंत्री बनने में कामयाब तो हो गए हैं, लेकिन वह जानते हैं कि कांग्रेस में मंत्री रहते हुए उनका क्या रुतबा था और अब क्या हालत है.

Intro:

special report....

Summary- भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाये जाने के साथ ही विजय बहुगुणा के राजनीतिक भविष्य पर फिर सवाल खड़े होने लगे हैं... पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा 2016 में भाजपा के सदस्य बने और तबसे अबतक उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नही दी गयी है....देखिये etv bharat की स्पेशल रिपोर्ट......


उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2017 से ठीक पहले कांग्रेस को दो फाड़ कर भाजपा की जीत की बड़ी वजह बनने वाले विजय बहुगुणा हाईकमान की पसंद नही बन सके। तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा का दरकिनार होना तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है...




Body:भारतीय जनता पार्टी में विजय बहुगुणा को पिछले 3 सालों से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है... तमाम मौकों पर विजय बहुगुणा को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के कयास जरूर लगाए जाते रहे लेकिन हर बार भाजपा हाईकमान की पसंद बहुगुणा की जगह पुराने भाजपाई ही रहे... आपको बता दें कि विधान सभा चुनाव 2017 से ठीक पहले 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कांग्रेस में बगावत कर अपने आठ विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था... विजय बहुगुणा के नेतृत्व में एक साथ इतने विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से उत्तराखंड में कांग्रेस हाशिए पर पहुंच गई... नतीजतन मोदी लहर और टूटी हुई कांग्रेस के बीच चुनावी जंग में कांग्रेस की सबसे बुरी हार हुई... इसके बाद भी कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आते रहे... तब यह माना गया कि कांग्रेसका उत्तराखंड में सफाया करने वाले विजय बहुगुणा को भाजपा कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है लेकिन पिछले 3 सालों में ना तो उन्होंने विधान सभा चुनाव 2017 को लड़ा... और ना ही 2019 में और है लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया गया। इस तरह विजय बहुगुणा भाजपा में आने के बाद ना तो विधायक ही है और ना ही सांसद इसके अलावा भी विजय बहुगुणा को कोई बड़ी जिम्मेदारी भाजपा में नहीं मिली है। हालांकि भाजपा नेता पार्टी में किसी भी नेता को दरकिनार नहीं किए जाने की बात कहकर विजय बहुगुणा के मामले पर पार्टी का बचाव करते हुए दिखाई दे रहे हैं।


बाइट देवेंद्र भसीन मीडिया प्रभारी उत्तराखंड भाजपा


उत्तराखंड में विजय बहुगुणा के भाजपा ज्वाइन करने के बाद ऐसे कई मौके आए जब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने का आभास हुआ.. यह माना गया कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सरकार आने पर उन्हें मुख्यमंत्री की गद्दी के लिए आगे लाया जा सकता है... इसके बाद साल 2018 में राज्यसभा सीट खाली होने के बाद विजय बहुगुणा को इस सीट से राज्यसभा भेजने के कयास लगाए गए.. लेकिन पार्टी हाईकमान ने एक युवा चेहरे अनिल बलूनी को इस सीट पर तरजीह दी। इसके बाद 2019 में यह मारा गया की माला राजलक्ष्मी के कमजोर प्रत्याशी होने के कारण विजय बहुगुणा को उनकी परंपरागत सीट टिहरी से चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाएगा... लेकिन तब भी पार्टी ने माला राज्य लक्ष्मी पर ही विश्वास जताया... इसके बाद यह कयास लगाए गए कि विजय बहुगुणा को किसी राज्य का राज्यपाल बनाए जाने को लेकर पार्टी हाईकमान प्राथमिकता देगा लेकिन भगतसिंह कोश्यारी का नाम आने के बाद यह तय हो गया कि पार्टी की प्राथमिकताओं में पुराने कांग्रेसी विजय बहुगुणा नहीं है.... हालांकि अभी उनको कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की अटकलें लगाई जा रही है लेकिन यह तय है कि विजय बहुगुणा का बड़ी जिम्मेदारी को लेकर इंतजार लंबा रहने वाला है।।।


विजय बहुगुणा पर भाजपा हाईकमान का उदासीन रवैया कांग्रेस को भी चुटकीयां लेने के लिए मौका दे रहा है.. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना विजय बहुगुणा पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि जो अपनों को ठुकराएगा वह गैरों की ठोकर खाएगा... सूर्यकांत धस्माना यहीं पर नहीं रुके उन्होंने कहा कि भाजपा में गए कुछ पुराने कांग्रेसी मंत्री बनने में कामयाब तो हो गए हैं लेकिन वह जानते हैं कि कांग्रेस में मंत्री पद पर उनका क्या रुतबा था और अब भाजपा में क्या हालत है।।।।


बाइट सूर्यकांत धस्माना प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तराखंड कांग्रेस





Conclusion:उत्तराखंड भाजपा में कांग्रेस से आए नए सदस्यों को लेकर आपसी उठापटक हमेशा से दिखाई दी है और पार्टी के अंदर कांग्रेस से आए नेताओं को लेकर खींचतान भी रही है.. हालांकि हाईकमान के स्तर पर आपसी सामंजस्य बनाए रखने और अनुशासन को रखने को लेकर प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन विजय बहुगुणा के मामले पर भाजपा हाईकमान का रवैया शायद खुद विजय बहुगुणा को भी सहज नही लगेगा। ऐसे में विजय बहुगुणा की भविष्य की राजनीति को लेकर सवाल उठना लाजमी है।
Last Updated : Sep 1, 2019, 11:32 PM IST
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