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पंचायत के एक्शन में 'पावर' दिखाने के लिए दलों ने कसी कमर, तारीखों का हुआ एलान - uttarakhand election

देवभूमि  में एक बार फिर से पंचायत का पर्व शुरू हो चुका है. सरकार और सियासी दलों ने पंचायतों चुनाव के लिए  भाग दौड़ शुरु कर दी है. जमीनी स्तर पर सबसे अहम माने जाने वाले इस चुनाव को लेकर सभी दल खासे उत्साहित दिखाई दे रहे हैं. जिसके चलते पार्टी मुख्यालयों में बैठकों और रणनीति बनाने का दौर शुरू हो गया है.

शुरू हुआ पंचायत चुनाव का 'एक्शन'
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Published : Sep 16, 2019, 8:25 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 10:40 PM IST

देहरादून: प्रदेश में पंचायत चुनावों की तारीखों का एलान हो गया है. तारीखों का एलान के साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई हैं. सभी दल पंचायत चुनाव के सियासी गुणाभाग में लगे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत पंचायत चुनाव की छोटी बड़ी खबरों को लेकर दर्शकों के लिए खास कार्यक्रम लेकर आया है. इस खास कार्यक्रम में प्रदेश की पंचायतों की स्थिती , संख्या और मुद्दों की जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा कौन सा दल इस पंचायत चुनाव में पहले से ही पावर में है और उसे इसका कितना फायदा मिलेगा इसका विश्लेषण भी किया जाएगा.

पंचायत के एक्शन में 'पावर' दिखाने के लिए दलों ने कसी कमर
देवभूमि में एक बार फिर से पंचायत का पर्व शुरू हो चुका है. सरकार और सियासी दलों ने पंचायतों चुनाव के लिए भाग दौड़ शुरु कर दी है. जमीनी स्तर पर सबसे अहम माने जाने वाले इस चुनाव को लेकर सभी दल खासे उत्साहित दिखाई दे रहे हैं. जिसके चलते पार्टी मुख्यालयों में बैठकों और रणनीति बनाने का दौर शुरू हो गया है. पिछले चुनावों में किये वादों, दावों और धरातल पर उतरे कामों को लेकर भी पंचायत चुनाव खासा दिलचस्प होने वाला है. जहां एक ओर सत्ता पर काबिज त्रिवेंद्र सरकार डबल इंजन के सहारे अपनी चुनावी वैतरणी को पार लगाने की बात कह रही है वहीं कांग्रेस भी देश के मौजूदा हालातों पर सवार होकर इन चुनावों में जीत की जुगत में लगी है. बात अगर अन्य छोटे-मोटे दलों और निर्दलीयों की करें तो वे भी इस चुनाव में किसी से कम नहीं दिखाई दे रहे हैं. हालांकि पंचायती एक्ट में संशोधन कर बीजेपी ने चुनावों से पहले मास्टर स्ट्रोक खेलकर कहीं कुछ हद तक निर्दलीय और अपने विरोधी दलों पर लगाम लगाने की कोशिश की है... लेकिन बीजेपी का ये दांव उनके लिए पंचायत चुनाव में कितना पावरफुल होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

पढ़ें-इस बार पंचायत चुनावों में बहुत कुछ होगा नया, एक क्लिक में जानें सारी डिटेल

पंचायत चुनाव क्या होते हैं
पंचायत चुनाव सरकार की सबसे छोटी ईकाई है. पंचायती राज प्रणाली में गांव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो कि स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अंग है. इसमें गांव के लोग सरपंच और ग्राम सभा का चुनाव करते हैं. इसके अलावा दूसरा जो चुनाव होता है वो क्षेत्र पंचायत का है जो गांव एवं जिले के मध्य सम्पर्क स्थापित करता है, तीसरा चुनाव जिला पंचायत का होता है जिसके लिए जनता द्वारा चुने गये क्षेत्र पंचायत सदस्य वोट करते हैं.

पढ़ें-हरिद्वारः डायरिया फैलने से गांव में मचा हड़कंप, CMO ने 2 झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक किए सील

पंचायत को जानें

  • सरकार की सबसे छोटी इकाई
  • पंचायत चुनाव स्थानीय स्वशासन का प्रमुख भाग है
  • ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का होता है चुनाव
  • जनता ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत को सीधे चुनती है

ये तो रही बात पंचायत के चुनावों की... अब बात करते हैं पंचायत चुनाव लड़ने की योग्यताओं के बारे में

पंचायत योग्यता
यूं तो हर किसी चुनाव में योग्यता के अपने अलग-अलग पैमाने होतें हैं,लेकिन पंचायत चुनावों में अब तक इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. जैसे प्रदेश में पंचायच चुनाव को लड़ने को लेकर कोई शैक्षिक योग्यता नहीं रखी गई थी. इसके अलावा कई ऐसे बिंदू थे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया था. इस बार त्रिस्तरीय पंचायतों चुनावों में कुर्सी का सपना देख रहे उम्मीदवारों को राज्य सरकार ने झटका दिया. सरकार ने अब दो से अधिक संतान वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. इसके अलावा शैक्षिक योग्तया में भी संशोधन किया है... पंचायती एक्ट में संशोधन कर राज्य की त्रिवेंद्र सरकार खूब सुर्खियों में आई थी.

  • पंचायत चुनावों में नहीं थी कोई खास योग्यता
  • त्रिवेंद्र सरकार ने पंचायती एक्ट में किया संशोधन
  • दो से अधिक संतान वाले उम्मीदवार नहीं लड़ सकते चुनाव
  • पंचायत चुनाव में शैक्षिक योग्यता के मानक किये गये लागू
  • 10वीं पास रखी गई शैक्षणिक योग्यता
  • उम्मीदवार के घर में टॉयलेट होना जरूरी.

एक चुनाव , चार वोट
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए मतदान होता है. प्रदेश में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों के लिए 144 चुनाव चिह्न निर्धारित कर दिए गए हैं. इन्हीं पर चुनाव लड़ा जाएगा.

पढ़ें-कैलाश नदी के तेज बहाव में फंसा युवक, पुलिस ने ऐसे बचाई जान

पंचायत चुनाव की कवायद तेज
उत्तराखंड में राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. उत्तराखंड के 12 जिलों में तीन चरणों में मतदान होंगे. पंचायत चुनाव को लेकर जारी अधिसूचना के बाद से सूबे के 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई है. अब उन सभी कार्यों पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है जो वोटर्स को लुभा सकते हैं. अब उसमें चाहे नई घोषणा हो या फिर इन 12 जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग. इस बार होने वाले चुनावों में प्रदेश के 43.14 लाख मतदाता 66344 प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने 7491 पंचायतों की पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी कर दी है.

  • 12 जिलों में होंगे पंचायत चुनाव
  • हरिद्वार जिले में नहीं होंगे पंचायत चुनाव
  • 43.14 लाख मतदाता करेंगे वोट
  • 66344 प्रतिनिधियों का होगा चुनाव
  • 7491 पंचायतों की पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी

हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में इस बार 166 ग्राम पंचायतें कम हुई हैं. ये पंचायतें पिछले साल नगर निकायों के सीमा विस्तार में शहरों का हिस्सा बन चुकी हैं. पिछले चुनाव में इन जिलों में ग्राम पंचायतों की संख्या 7657 थी, जो अब घटकर 7491 रह गई है.
इस बार घटी 166 पंचायतें

  • 2014 में कुल पंचायतें : 7657
  • 2019 में कुल पंचायतें : 7491

अब नहीं होंगे नए काम
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही प्रदेश का 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई है. अब इन जिलों में कोई भी नया काम शुरू नहीं हो पाएगा. कोई भी नया लाइसेंस, नया परमिट, नया राशन कार्ड साथ ही कोई भी फंड रिलीज नहीं हो सकता. साथ ही राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन पर संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा चुनाव के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी.

ऑनलाइन मिलेगी मतगणना की जानकारी
पिछले साल हुए नगर निगम चुनाव की तरह ही इस बार भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ऑनलाइन काउंटिंग की व्यवस्था की जाएगी. जिससे कोई भी व्यक्ति या उम्मीदवार अपने घर बैठे ही ऑनलाइन मतगणना की जानकारी ले पाएगा. इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग मतगणना की सटीक जानकारी के लिए मोबाइल एप्प भी जारी करेगा, जिससे हर विकासखंड के प्रत्याशियों की राउंड वाइज जानकारी ले पाएंगे.

देहरादून: प्रदेश में पंचायत चुनावों की तारीखों का एलान हो गया है. तारीखों का एलान के साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई हैं. सभी दल पंचायत चुनाव के सियासी गुणाभाग में लगे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत पंचायत चुनाव की छोटी बड़ी खबरों को लेकर दर्शकों के लिए खास कार्यक्रम लेकर आया है. इस खास कार्यक्रम में प्रदेश की पंचायतों की स्थिती , संख्या और मुद्दों की जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा कौन सा दल इस पंचायत चुनाव में पहले से ही पावर में है और उसे इसका कितना फायदा मिलेगा इसका विश्लेषण भी किया जाएगा.

पंचायत के एक्शन में 'पावर' दिखाने के लिए दलों ने कसी कमर
देवभूमि में एक बार फिर से पंचायत का पर्व शुरू हो चुका है. सरकार और सियासी दलों ने पंचायतों चुनाव के लिए भाग दौड़ शुरु कर दी है. जमीनी स्तर पर सबसे अहम माने जाने वाले इस चुनाव को लेकर सभी दल खासे उत्साहित दिखाई दे रहे हैं. जिसके चलते पार्टी मुख्यालयों में बैठकों और रणनीति बनाने का दौर शुरू हो गया है. पिछले चुनावों में किये वादों, दावों और धरातल पर उतरे कामों को लेकर भी पंचायत चुनाव खासा दिलचस्प होने वाला है. जहां एक ओर सत्ता पर काबिज त्रिवेंद्र सरकार डबल इंजन के सहारे अपनी चुनावी वैतरणी को पार लगाने की बात कह रही है वहीं कांग्रेस भी देश के मौजूदा हालातों पर सवार होकर इन चुनावों में जीत की जुगत में लगी है. बात अगर अन्य छोटे-मोटे दलों और निर्दलीयों की करें तो वे भी इस चुनाव में किसी से कम नहीं दिखाई दे रहे हैं. हालांकि पंचायती एक्ट में संशोधन कर बीजेपी ने चुनावों से पहले मास्टर स्ट्रोक खेलकर कहीं कुछ हद तक निर्दलीय और अपने विरोधी दलों पर लगाम लगाने की कोशिश की है... लेकिन बीजेपी का ये दांव उनके लिए पंचायत चुनाव में कितना पावरफुल होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

पढ़ें-इस बार पंचायत चुनावों में बहुत कुछ होगा नया, एक क्लिक में जानें सारी डिटेल

पंचायत चुनाव क्या होते हैं
पंचायत चुनाव सरकार की सबसे छोटी ईकाई है. पंचायती राज प्रणाली में गांव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो कि स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अंग है. इसमें गांव के लोग सरपंच और ग्राम सभा का चुनाव करते हैं. इसके अलावा दूसरा जो चुनाव होता है वो क्षेत्र पंचायत का है जो गांव एवं जिले के मध्य सम्पर्क स्थापित करता है, तीसरा चुनाव जिला पंचायत का होता है जिसके लिए जनता द्वारा चुने गये क्षेत्र पंचायत सदस्य वोट करते हैं.

पढ़ें-हरिद्वारः डायरिया फैलने से गांव में मचा हड़कंप, CMO ने 2 झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक किए सील

पंचायत को जानें

  • सरकार की सबसे छोटी इकाई
  • पंचायत चुनाव स्थानीय स्वशासन का प्रमुख भाग है
  • ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का होता है चुनाव
  • जनता ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत को सीधे चुनती है

ये तो रही बात पंचायत के चुनावों की... अब बात करते हैं पंचायत चुनाव लड़ने की योग्यताओं के बारे में

पंचायत योग्यता
यूं तो हर किसी चुनाव में योग्यता के अपने अलग-अलग पैमाने होतें हैं,लेकिन पंचायत चुनावों में अब तक इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. जैसे प्रदेश में पंचायच चुनाव को लड़ने को लेकर कोई शैक्षिक योग्यता नहीं रखी गई थी. इसके अलावा कई ऐसे बिंदू थे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया था. इस बार त्रिस्तरीय पंचायतों चुनावों में कुर्सी का सपना देख रहे उम्मीदवारों को राज्य सरकार ने झटका दिया. सरकार ने अब दो से अधिक संतान वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. इसके अलावा शैक्षिक योग्तया में भी संशोधन किया है... पंचायती एक्ट में संशोधन कर राज्य की त्रिवेंद्र सरकार खूब सुर्खियों में आई थी.

  • पंचायत चुनावों में नहीं थी कोई खास योग्यता
  • त्रिवेंद्र सरकार ने पंचायती एक्ट में किया संशोधन
  • दो से अधिक संतान वाले उम्मीदवार नहीं लड़ सकते चुनाव
  • पंचायत चुनाव में शैक्षिक योग्यता के मानक किये गये लागू
  • 10वीं पास रखी गई शैक्षणिक योग्यता
  • उम्मीदवार के घर में टॉयलेट होना जरूरी.

एक चुनाव , चार वोट
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए मतदान होता है. प्रदेश में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों के लिए 144 चुनाव चिह्न निर्धारित कर दिए गए हैं. इन्हीं पर चुनाव लड़ा जाएगा.

पढ़ें-कैलाश नदी के तेज बहाव में फंसा युवक, पुलिस ने ऐसे बचाई जान

पंचायत चुनाव की कवायद तेज
उत्तराखंड में राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. उत्तराखंड के 12 जिलों में तीन चरणों में मतदान होंगे. पंचायत चुनाव को लेकर जारी अधिसूचना के बाद से सूबे के 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई है. अब उन सभी कार्यों पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है जो वोटर्स को लुभा सकते हैं. अब उसमें चाहे नई घोषणा हो या फिर इन 12 जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग. इस बार होने वाले चुनावों में प्रदेश के 43.14 लाख मतदाता 66344 प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने 7491 पंचायतों की पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी कर दी है.

  • 12 जिलों में होंगे पंचायत चुनाव
  • हरिद्वार जिले में नहीं होंगे पंचायत चुनाव
  • 43.14 लाख मतदाता करेंगे वोट
  • 66344 प्रतिनिधियों का होगा चुनाव
  • 7491 पंचायतों की पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी

हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में इस बार 166 ग्राम पंचायतें कम हुई हैं. ये पंचायतें पिछले साल नगर निकायों के सीमा विस्तार में शहरों का हिस्सा बन चुकी हैं. पिछले चुनाव में इन जिलों में ग्राम पंचायतों की संख्या 7657 थी, जो अब घटकर 7491 रह गई है.
इस बार घटी 166 पंचायतें

  • 2014 में कुल पंचायतें : 7657
  • 2019 में कुल पंचायतें : 7491

अब नहीं होंगे नए काम
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही प्रदेश का 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई है. अब इन जिलों में कोई भी नया काम शुरू नहीं हो पाएगा. कोई भी नया लाइसेंस, नया परमिट, नया राशन कार्ड साथ ही कोई भी फंड रिलीज नहीं हो सकता. साथ ही राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन पर संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा चुनाव के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी.

ऑनलाइन मिलेगी मतगणना की जानकारी
पिछले साल हुए नगर निगम चुनाव की तरह ही इस बार भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ऑनलाइन काउंटिंग की व्यवस्था की जाएगी. जिससे कोई भी व्यक्ति या उम्मीदवार अपने घर बैठे ही ऑनलाइन मतगणना की जानकारी ले पाएगा. इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग मतगणना की सटीक जानकारी के लिए मोबाइल एप्प भी जारी करेगा, जिससे हर विकासखंड के प्रत्याशियों की राउंड वाइज जानकारी ले पाएंगे.

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पंचायत के एक्शन में 'पावर' दिखाने के लिए दलों ने कसी कमर, तारीखों का हुआ एलान

 



देहरादून:  प्रदेश में पंचायत चुनावों की तारीखों का एलान हो गया है. तारीखों का एलान के साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई हैं.  सभी दल पंचायत चुनाव के सियासी गुणाभाग में लगे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत पंचायत चुनाव की छोटी बड़ी खबरों को लेकर दर्शकों के लिए खास कार्यक्रम लेकर आया है. इस खास कार्यक्रम में प्रदेश की पंचायतों की स्थिती , संख्या और मुद्दों की जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा कौन सा दल इस पंचायत चुनाव में पहले से ही पावर में है और उसे इसका कितना फायदा मिलेगा इसका विश्लेषण भी किया जाएगा.

देवभूमि  में एक बार फिर से पंचायत का पर्व शुरू हो चुका है. सरकार और सियासी दलों ने पंचायतों चुनाव के लिए  भाग दौड़ शुरु कर दी है. जमीनी स्तर पर सबसे अहम माने जाने वाले इस चुनाव को लेकर सभी दल खासे उत्साहित दिखाई दे रहे हैं. जिसके चलते पार्टी मुख्यालयों में बैठकों और रणनीति बनाने का दौर शुरू हो गया है. पिछले चुनावों में किये वादों, दावों और धरातल पर उतरे कामों को लेकर भी पंचायत चुनाव खासा दिलचस्प होने वाला है. जहां एक ओर सत्ता पर काबिज त्रिवेंद्र सरकार डबल इंजन के सहारे अपनी चुनावी वैतरणी को पार लगाने की बात कह रही है वहीं कांग्रेस भी देश के मौजूदा हालातों पर सवार होकर इन चुनावों में जीत की जुगत में लगी है.  बात अगर अन्य छोटे-मोटे दलों और निर्दलीयों की करें तो वे भी इस चुनाव में किसी से कम नहीं दिखाई दे रहे हैं. हालांकि पंचायती एक्ट में संशोधन कर बीजेपी ने चुनावों से पहले मास्टर स्ट्रोक खेलकर कहीं कुछ हद तक निर्दलीय और अपने विरोधी दलों पर लगाम लगाने की कोशिश की है... लेकिन बीजेपी का ये दांव उनके लिए पंचायत चुनाव में कितना पावरफुल होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

पंचायत चुनाव क्या होते हैं

पंचायत चुनाव सरकार की सबसे छोटी ईकाई है. पंचायती राज प्रणाली में गांव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो कि स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अंग है. इसमें गांव के लोग सरपंच और ग्राम सभा का चुनाव करते हैं. इसके अलावा दूसरा जो चुनाव होता है वो क्षेत्र पंचायत का है जो गांव एवं जिले के मध्य सम्पर्क स्थापित करता है, तीसरा चुनाव जिला पंचायत का होता है जिसके लिए जनता द्वारा चुने गये क्षेत्र पंचायत सदस्य वोट करते हैं

पंचायत को जानें 

सरकार की सबसे छोटी इकाई 

पंचायत चुनाव स्थानीय स्वशासन का प्रमुख भाग है 

ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का होता है चुनाव 

जनता ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत को सीधे चुनती है

ये तो रही बात पंचायत के चुनावों की... अब बात करते हैं पंचायत चुनाव लड़ने की योग्यताओं के बारे में 

पंचायत योग्यता

यूं तो हर किसी चुनाव में योग्यता के अपने अलग-अलग पैमाने होतें हैं,लेकिन पंचायत चुनावों में अब तक इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. जैसे प्रदेश में पंचायच चुनाव को लड़ने को लेकर कोई शैक्षिक योग्यता नहीं रखी गई थी. इसके अलावा कई ऐसे बिंदू थे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया था. इस बार त्रिस्तरीय पंचायतों चुनावों में कुर्सी का सपना देख रहे उम्मीदवारों को राज्य सरकार ने झटका दिया. सरकार ने अब दो से अधिक संतान वाले लोगों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. इसके अलावा शैक्षिक योग्तया में भी संशोधन किया है... पंचायती एक्ट में संशोधन कर राज्य की त्रिवेंद्र सरकार खूब सुर्खियों में आई थी.  



पंचायत योग्यता

पंचायत चुनावों में नहीं थी कोई खास योग्यता

त्रिवेंद्र सरकार ने पंचायती एक्ट में किया संशोधन 

दो से अधिक संतान वाले उम्मीदवार नहीं लड़ सकते चुनाव

पंचायत चुनाव में शैक्षिक योग्यता के मानक किये गये लागू 

10वीं पास रखी गई शैक्षणिक योग्यता  

उम्मीदवार के घर में टॉयलेट होना जरूरी.



एक चुनाव , चार वोट

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए मतदान होता है. प्रदेश में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों के लिए 144 चुनाव चिह्न निर्धारित कर दिए गए हैं. इन्हीं पर चुनाव लड़ा जाएगा.

पंचायत चुनाव की कवायद तेज

उत्तराखंड में राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. उत्तराखंड के 12 जिलों में तीन चरणों में मतदान होंगे. पंचायत चुनाव को लेकर जारी अधिसूचना के बाद से सूबे के 12 जिलों में आचार संहिता लागू हो गई है. अब उन सभी कार्यों पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है जो वोटर्स को लुभा सकते हैं. अब उसमें चाहे नई घोषणा हो या फिर इन 12 जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग. इस बार होने वाले चुनावों में प्रदेश के 43.14 लाख मतदाता 66344 प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने 7491 पंचायतों की पुनरीक्षित मतदाता सूची जारी कर दी है.

पंचायत चुनाव की कवायद तेज

12 जिलों में होंगे पंचायत चुनाव 

हरिद्वार जिले में नहीं होंगे पंचायत चुनाव

43.14 लाख मतदाता करेंगे वोट  

66344 प्रतिनिधियों का होगा चुनाव 

7491 पंचायतों की पुनरीक्षित  मतदाता सूची जारी 

हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में इस बार 166 ग्राम पंचायतें कम हुई हैं. ये पंचायतें पिछले साल नगर निकायों के सीमा विस्तार में शहरों का हिस्सा बन चुकी हैं. पिछले चुनाव में इन जिलों में ग्राम पंचायतों की संख्या 7657 थी, जो अब घटकर 7491 रह गई है.

इस बार घटी 166 पंचायतें

2014 में कुल पंचायतें : 7657 

2019 में कुल पंचायतें : 7491

 


Conclusion:
Last Updated : Sep 16, 2019, 10:40 PM IST
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