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GST के बोझ तले 'माननीय', कर रहे विधायक निधि बढ़ाने की मांग

उत्तराखंड राज्य में विधायक निधि का मामला कभी  समाप्त करने तो कभी बढ़ाने को लेकर हमेशा ही चर्चाओं में बना रहता है. लेकिन अब विधायक निधि पर पड़ रही जीएसटी की मार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक भी खुलकर सामने आ गए हैं. सत्ता पक्ष के विधायकों का कहना है कि उनकी विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है.

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GST के बोझ तले 'माननीय'.
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Published : Dec 19, 2019, 6:41 PM IST

देहरादून: देश में जीएसटी लागू होने के बाद विपक्ष पार्टियों समेत देश के तमाम व्यापारियों ने खुल तौर पर इसका विरोध किया था. अब जीएसटी की वजह से प्रदेश सत्ता पक्ष के ही विधायक परेशान नजर आ रहे हैं. जिससे परेशान होकर अब ये विधायक विधायक निधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. विधायकों का तर्क है कि इनकी निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी के चलते कट जाता है. ऐसे में जनता से जुड़े विकास कार्यों इससे लगातार बाधा पहुंच रही है.

GST के बोझ तले 'माननीय'

उत्तराखंड राज्य में विधायक निधि का मामला कभी समाप्त करने तो कभी बढ़ाने को लेकर हमेशा ही चर्चाओं में बना रहता है. लेकिन अब विधायक निधि पर पड़ रही जीएसटी की मार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक खुलकर सामने आ गए हैं. सत्ता पक्ष के विधायकों का कहना है कि उनकी विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है. अभी वर्तमान में विधायकों को 3 करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि में मिलता है. इसमें से करीब एक करोड़ रुपए जीएसटी में चला जाता है.

पढ़ें-हरिद्वारः कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे यात्री, नगर निगम ने नहीं कराई अलाव की व्यवस्था

इतनी बड़ी रकम के जीएसटी में चले जाने से परेशान विधायकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया है की उनकी विधायक निधि को बढ़ाया जाए ताकि विधायक निधि बराबर के दायरे में आ सके.

पढ़ें-टांडा रेंज में घायल अवस्था में मिला हाथी, वन महकमे में मची खलबली

वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि कांग्रेस लगातार जीएसटी का विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि जीएसटी से तमाम तरह के विकासकार्य ठप हो गये हैं. कई छोटे-बड़े उघोग इसके चलते बंद हो गये हैं. उन्होंने कहा कि विकास के लिए जितना बजट प्रस्तावित होता है उसका एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है, ऐसे में विकास कैसे होगा? वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जीएसटी पूरे देश में लागू हुई है. जिसके कारण प्रदेश में इससे अलग व्यवस्था नहीं की जा सकती है.

देहरादून: देश में जीएसटी लागू होने के बाद विपक्ष पार्टियों समेत देश के तमाम व्यापारियों ने खुल तौर पर इसका विरोध किया था. अब जीएसटी की वजह से प्रदेश सत्ता पक्ष के ही विधायक परेशान नजर आ रहे हैं. जिससे परेशान होकर अब ये विधायक विधायक निधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. विधायकों का तर्क है कि इनकी निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी के चलते कट जाता है. ऐसे में जनता से जुड़े विकास कार्यों इससे लगातार बाधा पहुंच रही है.

GST के बोझ तले 'माननीय'

उत्तराखंड राज्य में विधायक निधि का मामला कभी समाप्त करने तो कभी बढ़ाने को लेकर हमेशा ही चर्चाओं में बना रहता है. लेकिन अब विधायक निधि पर पड़ रही जीएसटी की मार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक खुलकर सामने आ गए हैं. सत्ता पक्ष के विधायकों का कहना है कि उनकी विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है. अभी वर्तमान में विधायकों को 3 करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि में मिलता है. इसमें से करीब एक करोड़ रुपए जीएसटी में चला जाता है.

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इतनी बड़ी रकम के जीएसटी में चले जाने से परेशान विधायकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया है की उनकी विधायक निधि को बढ़ाया जाए ताकि विधायक निधि बराबर के दायरे में आ सके.

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वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि कांग्रेस लगातार जीएसटी का विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि जीएसटी से तमाम तरह के विकासकार्य ठप हो गये हैं. कई छोटे-बड़े उघोग इसके चलते बंद हो गये हैं. उन्होंने कहा कि विकास के लिए जितना बजट प्रस्तावित होता है उसका एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है, ऐसे में विकास कैसे होगा? वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जीएसटी पूरे देश में लागू हुई है. जिसके कारण प्रदेश में इससे अलग व्यवस्था नहीं की जा सकती है.

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देश मे gst लागू होने के बाद विपक्ष पार्टियों समेत देश के तमाम व्यापारियों ने खुल कर विरोध किया था। लेकिन अब gst की वजह से प्रदेश ने सत्ता पक्ष के ही विधायक परेशान नज़र आ रहे है। और विधायक निधि बढ़ाने की मांग कर रहे है। तर्क है कि विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा gst के चलते कट जाता है। ऐसे में जनता से जुड़े विकास कार्यो में बाधा पहुच रही है। आखिर क्या है मामला देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट......


Body:उत्तराखंड राज्य में विधायक निधि को लेकर कई बार मामला चर्चाओं में रहा है। कभी विधायक निधि को समाप्त करने तो कभी विधायक निधि को बढ़ाने को लेकर। लेकिन अब विधायक निधि पर पड़ रहे gst की मार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक, खुलकर सामने आ गए है। तो वही प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रहा कांग्रेस, gst लागू होने के बाद से भी लगातार विरोध करता नजर आ रहा है। 

वहीं भाजपा विधायकों ने बताया कि विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है क्योंकि अभी वर्तमान समय में विधायकों को 3 करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि के रूप में हर साल मिलता है। लेकिन इसमें से करीब एक करोड़ रुपए जीएसटी में चला जाता है। इस वजह से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया है की विधायक निधि को और बढ़ा दिया जाए ताकि विधायक निधि बराबर के दायरे में आ जाए।

बाइट - खजान दास, विधायक, भाजपा
बाइट - देशराज कर्णवाल, विधायक, भाजपा


वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी ने बताया कि जिस मामले को लेकर कांग्रेस लगातार जीएसटी का विरोध कर रहा है। वो अब सामने आने लगा है। विकास कार्य ठप हो गए हैं और विकास के लिए जितना बजट प्रस्तावित किया जाता है। उसका एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है, ऐसे में विकास कैसे होगा।हालांकि धरातल पर बजट बनाया जाता है वह विकास के लिए पर्याप्त नहीं होगा। साथ ही बताया कि कांग्रेस का विधायक भी निश्चित तौर पर विधायक निधि बढ़ाने की मांग कर रहा है।

बाइट - आरपी रतूड़ी, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस


वही सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जीएसटी पूरे देश में लागू हुई है और उत्तराखंड उसे अलग नहीं है और ना ही अलग हो सकता है। लिहाजा जो व्यवस्था पूरे देश में लागू है वह व्यवस्था उत्तराखंड में भी लागू है।

बाइट - त्रिवेन्द्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री




Conclusion:कभी तनख्वाह तो कभी विधायक निधि बढ़ाने को लेकर उत्तराखंड के विधायक कई बार सरकार के सम्मुख पेशकश रख चुके हैं, ऐसे में अगर सरकार विधायकों की विधायक निधि बढ़ती भी है तो आम जनता को इस बात का ध्यान भी रखना होगा, कि बड़ी हुई विधायक निधि, जनता के विकास के काम आ रही है या फिर नेता जी के? देहरादून से ईटीवी भारत के लिए रोहित सोनी की रिपोर्ट......


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