देहरादून: देश में जीएसटी लागू होने के बाद विपक्ष पार्टियों समेत देश के तमाम व्यापारियों ने खुल तौर पर इसका विरोध किया था. अब जीएसटी की वजह से प्रदेश सत्ता पक्ष के ही विधायक परेशान नजर आ रहे हैं. जिससे परेशान होकर अब ये विधायक विधायक निधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. विधायकों का तर्क है कि इनकी निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी के चलते कट जाता है. ऐसे में जनता से जुड़े विकास कार्यों इससे लगातार बाधा पहुंच रही है.
उत्तराखंड राज्य में विधायक निधि का मामला कभी समाप्त करने तो कभी बढ़ाने को लेकर हमेशा ही चर्चाओं में बना रहता है. लेकिन अब विधायक निधि पर पड़ रही जीएसटी की मार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक खुलकर सामने आ गए हैं. सत्ता पक्ष के विधायकों का कहना है कि उनकी विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है. अभी वर्तमान में विधायकों को 3 करोड़ 75 लाख रुपए विधायक निधि में मिलता है. इसमें से करीब एक करोड़ रुपए जीएसटी में चला जाता है.
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इतनी बड़ी रकम के जीएसटी में चले जाने से परेशान विधायकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया है की उनकी विधायक निधि को बढ़ाया जाए ताकि विधायक निधि बराबर के दायरे में आ सके.
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वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि कांग्रेस लगातार जीएसटी का विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि जीएसटी से तमाम तरह के विकासकार्य ठप हो गये हैं. कई छोटे-बड़े उघोग इसके चलते बंद हो गये हैं. उन्होंने कहा कि विकास के लिए जितना बजट प्रस्तावित होता है उसका एक बड़ा हिस्सा जीएसटी में चला जाता है, ऐसे में विकास कैसे होगा? वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जीएसटी पूरे देश में लागू हुई है. जिसके कारण प्रदेश में इससे अलग व्यवस्था नहीं की जा सकती है.