देहरादून: उत्तराखंड में बजट सत्र की तैयारियां जोर-शोरों से चल रही हैं. विभागीय स्तर से विभिन्न योजनाओं के आधार पर बढ़े हुए बजट की उम्मीद की जा रही है. मगर स्वास्थ्य महकमे के हालात और आंकड़े बजट खर्च को लेकर विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के बजट को लेकर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
उत्तराखंड कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए करीब 53000 करोड़ के बजट को मंजूरी दी है. राज्य का यह बजट वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिहाज से करीब 5000 करोड़ अधिक होगा. साल 2019 में 48663.90 करोड़ का सर प्लस बजट त्रिवेंद्र सरकार ने पेश किया था. स्वास्थ्य विभाग के लिहाज से राज्य सरकार ने 2019 के बजट में 11 अरब 99 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. इस लिहाज से वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेश होने जा रहे बजट के दौरान स्वास्थ्य विभाग को और भी ज्यादा बजट मिलने की उम्मीद है.
पढ़ें- कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंचे अभिनेता रणदीप हुड्डा, जंगल सफारी का उठाया लुत्फ
इन सबके बाद भी चिंता की बात यह है कि उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग मौजूदा बजट को ही खर्च नहीं कर पाया है. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि महकमे में बजट सरेंडर करने की परिपाटी चली आ रही है. साल 2019-20 के बजट में कुल 18 अरब 66 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया था. जिसमें 13 अरब 84 करोड़ रुपये विभाग को मिले थे. इसमें भी विभाग महज जनवरी तक 10 अरब ₹67 करोड़ ही खर्च कर सका है.
पढ़ें- आबकारी विभाग में बंपर तबादले, ज्वॉइंट कमिश्नर से डीईओ तक बदले गए
यानी करीब तीन अरब रुपए विभाग सरेंडर करने की स्थिति में है. इसी बजट को साल 2018-19 में आकलन कर देखें तो 2018-19 में विभाग को 15 अरब 31 करोड़ रुपए मिले. जिसमें से 13 अरब ₹85 करोड़ ही विभाग खर्च कर सका. यहां भी विभाग ने करीब 2 अरब रुपए सरेंडर किये. वित्तीय वर्ष 2017-18 में विभाग को 11 अरब 61 करोड़ रुपए मिले. जिसमें से 10 अरब 70 करोड़ रुपए विभाग ने खर्च किए. यानी यहां भी करीब एक अरब रुपए विभाग खर्च नहीं कर पाया.
पढ़ें- उत्तराखंडः अटल आयुष्मान योजना में सरकार ने किया बदलाव, कैबिनेट बैठक में 14 प्रस्तावों पर मुहर लगी
बजट को लेकर विभाग के इस खर्च का आंकलन करें तो साल दर साल विभाग बजट खर्च करने में फिसड्डी साबित हो रहा है. प्रदेश में यूं तो सभी विभागों की हालात बजट खर्च को लेकर खर्च लचर ही दिखाई देती है, मगर स्वास्थ्य विभाग इन सबसे दो कदम आगे है. विभाग के बजट आंकलन से पता चलता है कि विभाग में आने वाला करीब 75% बजट तनख्वाह, पेंशन और सेवानिवृत्ति के तमाम प्रावधानों समेत दूसरे खर्चों पर ही व्यय कर दिया जाता है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में मिलने वाले 11 अरब 99 करोड़ के बजट में करीब 9 अरब का बजट अयोजनागत मद में खर्च हुआ. करीब ढाई सौ करोड़ रुपए विकास कार्य या स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए प्रयोग में लाए गये. चिकित्सा शिक्षा में भी बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च नहीं हो पाया है.
पढ़ें- उत्तराखंडः अटल आयुष्मान योजना में सरकार ने किया बदलाव, कैबिनेट बैठक में 14 प्रस्तावों पर मुहर लगी
महकमे में अस्थाई कर्मियों की तनख्वाह के भी लाले पड़ते दिख रहे हैं. चिकित्सा शिक्षा में अपर निदेशक आशुतोष सयाना बताते हैं कि अभी फिलहाल कर्मियों के वेतन के लिए ही बजट की मांग की जा रही है. हालांकि दूसरे मदों में भी विभाग को बजट की और आवश्यकता है. लेकिन सवाल यह है कि जिसमें विभाग के पास पैसा है उसमें शत-प्रतिशत खर्चा क्यों नहीं हो पा रहा है.
उत्तराखंड सरकार बजट पेश करने जा रही है. माना जा रहा है कि इस बार स्वास्थ्य विभाग में करीब 400 करोड़ का बजट बढ़ाया जाएगा. जिस हिसाब से इस बार 22 अरब का बजट स्वास्थ्य विभाग को मिल सकता है.